महिलाओं का कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न (निवारण, प्रतिषेध और प्रतितोष) अधिनियम, 2013 का उद्देश्य क्या है और इस अधिनियम के कार्यान्वयन की पूरी जानकारी इस वेब पेज पर है, पढ़िए कैसे ICC कामकाजी महिलाओं को संरक्षण देती है और कैसे कोई भी महिला अपने लिए गरिमामई कामकाजी वातावरण बना सकती है Sec 1
प्रश्न / 1 / महिलाओं का कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न (निवारण, प्रतिषेध और प्रतितोष) अधिनियम, 2013 बनाए जाने का मुख्य उद्देश्य क्या है ?
उत्तर / 1 / इस अधिनियम के उद्देश्य को अधिनियम शीर्ष में स्पष्ट करते हुए अभिलिखित किया गया है कि, महिलाओं के कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न से संरक्षण और लैंगिक उत्पीड़न के परिवादों के निवारण तथा प्रतितोषण और उससे संबंधित या उसके आनुषंगिक विषयों का उपबंध करने के लिए यह अधिनियम बनाया गया है । जिसके विभिन्न व्यवहारिक पहलु है इन पहलुओं को आसानी से समझने के लिए अग्रलिखित्त बिंदुवार विश्लेषण किया गया है :-
अधिनियम के उद्देश्य को तिन विशिष्ट भागों में बाटा गया है वे हैं :-
A / महिलाओं के कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न से संरक्षण :-
कामकाजी महिलाओं को उनके कार्यस्थल पर सुरक्षित और गरिमापूर्ण वातावरण स्थापित करने के लिए महिलाओं का कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न (निवारण, प्रतिषेध और प्रतितोष) अधिनियम, 2013 अधिनियमित किया गया है |
B / लैंगिक उत्पीड़न के परिवादों के निवारण तथा प्रतितोषण
लैंगिक उत्पीडन जैसे घृणित और असहनीय मानसिक कष्ट देने वाले अपराध के निवारण का प्रभावी तंत्र प्रत्तेक कार्यस्थल पर स्थापित करने के लिए तथा उसके प्रतितोषण अर्थात इस अधिनियम से अधिनियमित किये गये कानून को व्यवहारिक रूप से अमल में लाकर सतत चलने वाली गतिविधियों को करने हेतु बनाये गए नियमों को व्यवहारिक प्रकिया में कार्यान्वित करने के लिए महिलाओं का कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न (निवारण, प्रतिषेध और प्रतितोष) अधिनियम, 2013 अधिनियमित किया गया है |
C / उससे संबंधित या उसके आनुषंगिक विषयों का उपबंध करने के लिए अधिनियम
कामकाजी महिलाओं के कार्यस्थल पर सुरक्षित और गरिमापूर्ण वातावरण स्थापित कर इस अधिनियम को और अधिक व्यवहारिक बनाने हेतु आवश्यक आनुषंगिक विषयों का उपबंध करने के लिए महिलाओं का कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न (निवारण, प्रतिषेध और प्रतितोष) अधिनियम, 2013 अधिनियमित किया गया है |
उपरोक्तानुसार इस अधिनियम के व्यवहारिक पहलुओं पर प्रकाश डाला गया है जिससे की इस अधिनियम के कार्यान्वयन को अधिक प्रभावशील बनाया जा सके उल्लेखनीय है की इस अधिनियम का किया गया उक्त विश्लेषण महज कुछ विधिक पहलुओं की चर्चा मात्र है व्यवहारिकता में इस अधिनियम के कई सकरात्मक पहलु है जिसे नियमानुसार कार्यान्वयन पर अनुभव किया जा सकता है
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