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आतंरिक परिवाद समिति के समक्ष शिकायत करने व शिकायत पर कार्यवाही के दौरान कुछ शब्द ऐसे भी आयेंगे जिसकी परिभाषा जानना और समझना आवश्यक होगा ऐसे ही शब्दों की परिभाषा इस पेज पर परिभाषित है Sec 2



महिलाओं का कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न ( निवारण, प्रतिषेध और प्रतितोष ) अधिनियम, 2013 का इस्तमाल करते समय क़ानूनी भाषा का प्रयोग होना स्वाभाविक है और कुछ शब्द भी होंगे जिनकी परिभाषा जानना और समझना जरुरी होगा

प्रश्न - "व्यथित महिला” किसे कहते है ?

उत्तर - धारा 2 (क) के अनुसार "व्यथित महिला” से निम्नलिखित अभिप्रेत है.

धारा 2 (क) (i) किसी कार्यस्थल के संबंध में किसी भी आयु की ऐसी महिला, चाहे नियोजित है या नहीं, जो प्रत्यर्थी द्वारा लैंगिक उत्पीड़न के किसी कार्य के करने का अभिकथन करती है,

धारा 2 (क) (ii) किसी निवास स्थान या गृह के संबंध में किसी भी आयु की ऐसी महिला, जो ऐसे किसी निवास स्थान या गृह में नियोजित है;

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प्रश्न - "समुचित सरकार” अर्थात कौन सी सरकार होती है ?

उत्तर - धारा 2 (ख) के अनुसार "समुचित सरकार” से निम्नलिखित अभिप्रेत है,

धारा 2 (ख) (i) ऐसे कार्यस्थल के संबंध में, जो,

(अ) केन्द्रीय सरकार या संघ राज्यक्षेत्र प्रशासन द्वारा स्थापित, उसके स्वामित्वाधीन, नियंत्रणाधीन या प्रत्यक्षतः या अप्रत्यक्षतः उपलब्ध कराई गई निधियों द्वारा पूर्णतः या भागत: वित्तपोषित है, केन्द्रीय सरकार, 

(आ) राज्य सरकार द्वारा स्थापित, उसके स्वामित्वाधीन, नियंत्रणाधीन या प्रत्यक्षतः या अप्रत्यक्षतः उपलब्ध कराई गई निधियों द्वारा पूर्णत: या भागत: वित्तपोषित है, राज्य सरकार,

धारा 2 (ख) (ii) उपखंड (i) के अंतर्गत न आने वाले और उसके राज्यक्षेत्र के भीतर आने वाले किसी कार्यस्थल के संबंध में, राज्य सरकार,

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प्रश्न - स्थानीय परिवाद समिति का अध्यक्ष को कार्यवाही प्रक्रिया में अध्यक्ष का संबोधन क्यों किया जाता है ?

उत्तर - धारा 2 (ग) में अभिलिखित है कि, “अध्यक्ष” से धारा 7 की उपधारा (1) के अधीन नामनिर्दिष्ट स्थानीय परिवाद समिति का अध्यक्ष अभिप्रेत है.

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प्रश्न - “जिला अधिकारी” किसे कहते हैं ?

उत्तर - धारा 2 (घ) “जिला अधिकारी" से धारा 5 के अधीन अधिसूचित कोई अधिकारी अभिप्रेत है l

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प्रश्न - "घरेलू कर्मकार" के अंतर्गत कौन - कौन सी महिलायें आती हैं ?

उत्तर - धारा 2 (ड) "घरेलू कर्मकार" से ऐसी कोई महिला अभिप्रेत है जो किसी गृहस्थी में पारिश्रमिक के लिए गृहस्थी का कार्य करने के लिए चाहे नकद या वस्तुरूप में या तो सीधे या किसी अभिकरण के माध्यम से अस्थायी, स्थायी अंशकालिका पूर्णकालिक आधार पर नियोजित है किंतु इसके अंतर्गत नियोजक के कुटुंब का कोई सदस्य नहीं है;

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प्रश्न - “कर्मचारी" की परिभाषा में आने वाले व्यक्ति कौन - कौन से हैं ?

 उत्तर - धारा 2 (च) “कर्मचारी" से ऐसा कोई व्यक्ति अभिप्रेत है, जो किसी कार्यस्थल पर किसी कार्य के लिए या तो सीधे या किसी अभिकर्ता के माध्यम से, जिसके अंतर्गत कोई ठेकेदार भी है प्रधान नियोजक की जानकारी से या उसके बिना, नियमित, अस्थायी तदर्थ या दैनिक मजदूरी के आधार पर, चाहे पारिश्रमिक पर या उसके बिना, नियोजित है या कि आधार पर या अन्यथा कार्य कर रहा है, चाहे नियोजन के निबंधन अभिव्यक्त या विवक्षित हैं या नहीं और इसके अंतर्गत कोई सहकर्मकार, कोई संविदा कर्मकार, परिवीक्षाधीन शिक्षु प्रशिक्षु या ऐसे किसी अन्य नाम से ज्ञात कोई व्यक्ति भी है

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प्रश्न - “नियोजन” शब्द का व्यापक अर्थ क्या है ?

उत्तर - धारा 2 (घ) “नियोजन” से निम्नलिखित अभिप्रेत है.

धारा 2 (घ) (1) समुचित सरकार या किसी स्थानीय प्राधिकरण के किसी विभाग, संगठन, उपक्रम, स्थापन, उद्यम, संस्था कार्यालय या यूनिट के संबंध में उस विभाग, संगठन, उपक्रम, स्थापन, उद्यम, संस्था, कार्यालय शाखा या यूनिट का प्रधान या ऐसा अन्य अधिकारी जो यथास्थिति, समुचित सरकार या स्थानीय प्राधिकरण द्वारा इस निमित्त आदेश द्वारा विनिर्दिष्ट किया जाए

धारा 2 (घ) (ii) उपखंड (1) के अंतर्गत न आने वाले किसी कार्यस्थल के संबंध में कार्यस्थल के प्रबंध, पर्यवेक्षण और नियंत्रण के लिए उत्तरदायी कोई व्यक्ति।

स्पष्टीकरण- इस उपखंड के प्रयोजनों के लिए प्रबंध के अंतर्गत ऐसे संगठन के लिए नीतियों की विनिर्मिति और प्रशासन के लिए उत्तरदायी व्यक्ति या बोर्ड या समिति भी है,

धारा 2 (घ) (iii) उपखंड (i) और उपखंड (ii) के अंतर्गत आने वाले कार्यस्थल के संबंध में अपने कर्मचारियों के संबंध में संविदात्मक बाध्यताओं का निर्वहन करने वाला व्यक्ति,

धारा 2 (घ) (iv) किसी निवास स्थान या गृह के संबंध में, ऐसा कोई व्यक्ति या गृहस्थी, जो ऐसे नियोजित कर्मकार की संख्या, समयावधि या प्रकार या नियोजन की प्रकृति या घरेलू कर्मकार द्वारा निष्पादित कार्यकलापों का विचार किए बिना, घरेलू कर्मकार को नियोजित करता है या उसके नियोजन से फायदा प्राप्त करता है.

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 प्रश्न - किसी भी कार्यालय की आतंरिक परिवाद समिति अर्थात कौन सी समिति होती है ?

उत्तर - धारा 2 (ज) आंतरिक समितिसे धारा 4 के अधीन गठित आंतरिक परिवाद समिति अभिप्रेत है;

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 प्रश्न - प्रत्तेक जिले में गठित होने वाली स्थानीय समिति" मतलब कौन सी समिति होती है ?

उत्तर - धारा 2 (छ) स्थानीय समिति" से धारा 6 के अधीन गठित स्थानीय परिवाद समिति अभिप्रेत है,

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 प्रश्न - "सदस्य" अर्थात किस समिति के सदस्य को कहते है ?

उत्तर - धारा 2 (अ) "सदस्य" से यथास्थिति, आंतरिक समिति या स्थानीय समिति का कोई सदस्य अभिप्रेत है,

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 प्रश्न - विहित" शब्द का अर्थ क्या है ?

उत्तर - धारा 2 (ट) विहित" से इस अधिनियम के अधीन बनाए गए नियमों द्वारा विहित अभिप्रेत है;

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 प्रश्न - “पीठासीन अधिकारी” किसे कहते है ?

उत्तर - धारा 2 (ठ) “पीठासीन अधिकारी” से धारा 4 की उपधारा (2) के अधीन नामनिर्दिष्ट किया गया आंतरिक परिवाद समिति का पीठासीन अधिकारी अभिप्रेत है,

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 प्रश्न - “प्रत्यर्थी” अर्थात आरोपी किसे कहा जाता है ?

उत्तर - धारा 2 (इ) “प्रत्यर्थी” से ऐसा व्यक्ति अभिप्रेत है जिसके विरुद्ध व्यथित महिला ने धारा 9 के अधीन कोई परिवाद किया है,

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 प्रश्न - "लैंगिक उत्पीड़न" की परिभाषा में कौन - कौन से आपराधिक कृत्य आते हैं ?

उत्तर - धारा 2 (इ) "लैंगिक उत्पीड़न" के अन्तर्गत निम्नलिखित कोई एक या अधिक अवांछनीय कार्य या व्यवहार चाहे प्रत्यक्ष रूप से या विवक्षित रूप से हैं, अर्थात् -

धारा 2 (इ) (i) शारीरिक संपर्क और

धारा 2 (इ) (ii) लैंगिक अनुकूलता की मांग या अनुरोध करना या

धारा 2 (इ) (iii) लैंगिक अत्युक्त टिप्पणियां करना या

धारा 2 (इ) (iv) अश्लील साहित्य दिखाना या

धारा 2 (इ) (v) लैंगिक प्रकृति का कोई अन्य अवांछनीय शारीरिक, मौखिक या अमौखिक आचरण करना-

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 प्रश्न - विधि ने किन - किन स्थानों को कार्यस्थल माना है ?

उत्तर - धारा 2 (ण) कार्यस्थल" के अंतर्गत निम्नलिखित भी हैं ।

धारा 2 (ण) (i) ऐसा कोई विभाग, संगठन, उपक्रम, स्थापन, उद्यम, संस्था, कार्यालय, शाखा या यूनिट, जो समुचित सरकार या स्थानीय प्राधिकरण या किसी सरकारी कम्पनी या निगम या सहकारी सोसाइटी द्वारा स्थापित, उसके स्वामित्वाधीन, नियंत्रणाधीन या पूर्णत: या सारतः, उसके द्वारा प्रत्यक्षतः या अप्रत्यक्षतः उपलब्ध कराई गई निधियों द्वारा वित्तपोषित की जाती है।

धारा 2 (ण) (ii) कोई प्राइवेट सेक्टर संगठन या किसी प्राइवेट उद्यम, उपक्रम, उद्यम, संस्था स्थापन, सोसाइटी, न्यास, गैर-सरकारी संगठन यूनिट या सेवा प्रदाता, जो वाणिज्यिक, वृत्तिक, व्यावसायिक, शैक्षिक, मनोरंजक, औद्योगिक, स्वास्थ्य सेवाएं या वित्तीय क्रियाकलाप करता है, जिनके अंतर्गत उत्पादन, प्रदाता, विक्रय, वितरण या सेवा भी है:

धारा 2 (ण) (iii) अस्पताल या परिचर्या गृह

धारा 2 (ण) (iv) प्रशिक्षण, खेलकूद या उनसे संबंधित अन्य क्रियाकलापों के लिए प्रयुक्त, कोई खेलकूद संस्थान, स्टेडियम, खेलकूद प्रक्षेत्र या प्रतिस्पर्धा या क्रीड़ा का स्थान, चाहे आवासीय है या नहीं,

धारा 2 (ण) (v) नियोजन से उद्भूत या उसके प्रक्रम के दौरान कर्मचारी द्वारा परिदर्शित कोई स्थान जिसके अंतर्गत ऐसी यात्रा करने के लिए नियोजक द्वारा उपलब्ध कराया गया परिवहन भी है,

धारा 2 (ण) (vi) कोई निवास स्थान या कोई गृह

धारा 2 (ण) (त) किसी कार्यस्थल के संबंध में असंगठित सेक्टर से ऐसा कोई उद्यम अभिप्रेत है, जो व्यष्टियों या स्वनियोजित कर्मकारों के स्वामित्वाधीन है और किसी प्रकार के माल के उत्पादन या विक्रय अथवा सेवा प्रदान करने में लगा हुआ है और जहां उद्यम, कर्मकारों को नियोजित करता है, वहां ऐसे कर्मकारों की संख्या दस से अन्यून है।

 

 

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