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आतंरिक परिवाद समिति Icc से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न... जिनको जानना और समझना आवश्यक है ये है आतंरिक परिवाद समिति Icc गठन की प्रक्रिया Sec 4

 


महिलाओं का कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न (निवारण, प्रतिषेध और प्रतितोष) अधिनियम, 2013 की धारा 4 के प्रावधानानुसार आंतरिक परिवाद समिति के गठन की प्रक्रिया क्या है ?

नोट :- आतंरिक परिवाद समिति को संक्षिप्त में ICC कहा जाता है |

धारा 4 के तहत :- आतंरिक परिवाद समिति Icc गठन की प्रक्रिया
(1) कौन करेगा ICC का गठन ?  

धारा 4 (1) कहती है कि, किसी कार्यस्थल का प्रत्येक नियोजक, लिखित आदेश द्वारा, “आंतरिक परिवाद समिति" नामक एक समिति का गठन करेगा:

(1) जिन कार्यालयों की एक से अधिक शाखा होंगी तो उन शखाओं में कौन करेगा ICC का गठन ?

धारा 4 (1- परंतु) कहती है कि, परंतु जहां कार्यस्थल के कार्यालय या प्रशासनिक यूनिट, भिन्न-भिन्न स्थानों या खंड या उपखंड स्तर पर अवस्थित हैं, वहां आंतरिक समिति सभी प्रशासनिक यूनिटों या कार्यालयों में गठित की जाएगी।

(2) ICC के सदस्यों के नामों का नामनिर्देशन कौन करेगा ?

धारा 4 (2) कहती है कि, आंतरिक समिति, नियोजक द्वारा नामनिर्देशित किए जाने वाले निम्नलिखित सदस्यों से मिलकर बनेगी, अर्थात् :

(क) एक पीठासीन अधिकारी,

(ख) कर्मचारियों में से दो से अन्यून ऐसे सदस्य,

(ग) गैर-सरकारी संगठनों या संगमों में से ऐसा एक सदस्य या ऐसा कोई व्यक्ति, जो लैंगिक उत्पीड़न से संबंधित मुद्दों से सुपरिचित है ।

(2-क) ICC के पीठासीन अधिकारी के नाम का नामनिर्देशन कौन करेगा ?

धारा 4 (2-क) कहती है कि, एक पीठासीन अधिकारी, जो कर्मचारियों में से कार्यस्थल पर ज्येष्ठ स्तर पर नियोजित महिला होगी :

(2-क) जिन कार्यालयों में जेष्ट स्तर की महिला अधिकारी उपलब्ध नहीं होगी तो पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति प्रक्रिया कैसे होगी ?

धारा 4 (2-क-परंतु) कहती है कि, परंतु किसी ज्येष्ठ स्तर की महिला कर्मचारी के उपलब्ध नहीं होने की दशा में, पीठासीन अधिकारी, उपधारा (1) में निर्दिष्ट कार्यस्थल के अन्य कार्यालयों या प्रशासनिक यूनिटों से नामनिर्देशित किया जाएगा:

सजग रहिये, संगठित रहिये ICC गठित करिए
 

(2-क) जिनके प्रधान कार्यालयों और उप-कार्यालयों में जेष्ट स्तर की महिला अधिकारी उपलब्ध नहीं होगी तब  पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति प्रक्रिया कैसे होगी ?

धारा 4 (2-क-परंतु) कहती है कि,  परंतु यह और कि कार्यस्थल के अन्य कार्यालयों या प्रशासनिक यूनिटों में ज्येष्ठ स्तर की महिला कर्मचारी नहीं होने की दशा में, पीठासीन अधिकारी, उसी नियोजक या अन्य विभाग या संगठन के किसी अन्य कार्यस्थल से नामनिर्दिष्ट किया जाएगा,

 (2-ख) क्या कर्मचारियों का कोई प्रतिनिधि ICC का सदस्य होता है क्या और इस समिति के सदस्य होने की पात्रता क्या होती है ?

धारा 4 (2-ख) कहती है कि,  कर्मचारियों में से दो से अन्यून ऐसे सदस्य, जो महिलाओं की समस्याओं के प्रति अधिमानी रूप से प्रतिबद्ध हैं या जिनके पास सामाजिक कार्य में अनुभव है या विधिक ज्ञान है;

 (2-ग) क्या कार्यालय के बहार का कोई व्यक्ति कार्यालय के ICC का सदस्य बनाया जाता है क्या और उसके सदस्य होने की पात्रता क्या होती है ?

धारा 4 (2-ग) कहती है कि, गैर-सरकारी संगठनों या संगमों में से ऐसा एक सदस्य जो महिलाओं की समस्याओं के प्रति प्रतिबद्ध है या ऐसा कोई व्यक्ति, जो लैंगिक उत्पीड़न से संबंधित मुद्दों से सुपरिचित है ।

उसे बाहरी सदस्य के रूप में ICC में सदस्य बनाये जाने का प्रावधान है

(2-परंतु ) ICC में महिला सदस्य कितने होंगे ?

धारा 4 (2-परंतु) कहती है कि,  परंतु इस प्रकार नामनिर्देशित कुल सदस्यों में से कम से कम आधे सदस्य महिलाएं होंगी।


(3) ICC के सदस्यों का कार्यकाल कितना होगा ?

धारा 4 (3) कहती है कि, आंतरिक समिति का पीठासीन अधिकारी और प्रत्येक सदस्य अपने नामनिर्देशन की तारीख से तीन वर्ष से अनधिक की ऐसी अवधि के लिए पद धारण करेगा, जो नियोजक द्वारा विनिर्दिष्ट की जाए

(4 ) ICC के बाहरी सदस्यों के फ़ीस एवं भत्ते क्या होंगे

धारा 4 (4) कहती है कि, गैर-सरकारी संगठनों या संगमों में से नियुक्त किए गए सदस्य को आंतरिक समिति की कार्यवाहियां करने के लिए नियोजक द्वारा ऐसी फीसें या भत्ते, जो विहित किए जाएं, सदंत किए जाएंगे।

 (5) ICC के सदस्यों की पात्रता स्वमेव ख़त्म हो जाएगी ?

धारा 4 (5) कहती है कि, जहां आंतरिक समिति का पीठासीन अधिकारी या कोई सदस्य,

(क) धारा 16 के उपबंधों का उल्लंघन करता है; या

(ख) किसी अपराध के लिए सिद्धदोष ठहराया गया है या उसके विरुद्ध तत्समय प्रवृत्त किसी विधि के अधीन किसी अपराध की कोई जांच लंबित है, या

(ग) किन्हीं अनुशासनिक कार्यवाहियों में दोषी पाया गया है या उसके विरुद्ध कोई अनुशासनिक कार्यवाही लंबित है; या

(घ) अपनी हैसियत का इस प्रकार दुरुपयोग करता है, जिससे उसका पद पर बने रहना लोक हित पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाला हो गया है,

वहां, यथास्थिति, ऐसे पीठासीन अधिकारी या सदस्य को समिति से हटा दिया जाएगा और इस प्रकार सृजित रिक्ति या किसी अन्य आकस्मिक रिक्ति को इस धारा के उपबंधों के अनुसार नए नामनिर्देशन द्वारा भरा जाएगा

#मेरीभागीदारी
#meribhagidari ।
#POSHAct


 

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