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माननीय मुख्यमंत्री श्रीमान भूपेश बघेल जी और माननीय नगरीय प्रशासन मंत्री श्रीमान शिव डहरिया जी ने "मेरी भागीदारी" का मार्गदर्शन किया ‌‍///////////////////////////////////////// सक्रीय और सशक्त महिलाओं को प्रत्तेक कार्यस्थल की आतंरिक परिवाद समिति से जोड़कर व्यवहारिक सुरक्षा व्यवस्था कायम करने की दिशा में बढ़ने लगा है "हमारा छत्तीसगढ़" ////////////////////////////////////////// जिन महिलाओं के पास कामकाजी महिलाओं की सुरक्षा करने की शक्ति और सामर्थ्य है उनको प्रत्येक कार्यालय की निर्णायक भूमिका का हिस्सा बनाने के लिए शासन भी दृढ़ निश्चयी है //////////////////////////////////// इसलिए अपनी निर्णायक सक्षमता को साबित करने के लिए जरुरी है की आप भी कहिये की महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए .... "मेरी भागीदारी" भी है ///////////////////////////////////// कैसे ? पढ़िए पूरा लेख...



शासकीय और गैर-शासकीय कार्यालयों में आवश्यकता है... सशक्त महिलाओं की...

महिलाओं को सुरक्षित और गरिमापूर्ण कामकाजी वातावरण दिलवाने के लिए हमारी सरकार बेहद गंभीर है इसलिए सरकार ने महिलाओं का कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न (निवारण, प्रतिषेध और प्रतितोष) अधिनियम, 2013 को बनाया है | इस अधिनियम के तहत प्रत्येक कार्यस्थल पर आतंरिक परिवाद समिति का गठन करने की अनिवार्यता की जिम्मेदारी प्रत्येक कार्यालय के नियोक्ताओं पर डालकर उसे इस विधिनिर्देश को मानने के लिए बाध्य कर दिया गया है और जो नियोक्ता इस विधिनिर्देश को नहीं मानेगा उसे ५० हजार तक के अर्थदंड से दण्डित करने का प्रावधान भी किया है ...

इसलिए सशक्त महिलाओं की आवश्यकता है !


सरकारी कार्यालयों / अशासकीय ऑफिस / बैंक / स्कूल / कॉलेज / अस्पताल /  बस स्टैंड / रेलवे स्टेशन / एअरपोर्ट / नगर निगम / कलेक्ट्रेट
 जैसे सार्वजनिक स्थानों पर गठित आंतरिक परिवाद समिति के सदस्य बनिए ! गर आप महिला सुरक्षा एवं संरक्षण के विषय पर काम करके अपनी विशेष पहचान बनाने के इच्छुक है तो प्रत्येक कार्यस्थल पर गठित होने वाली आंतरिक परिवाद समिति के बाहरी सदस्य के रूप में एक सशक्त और निर्णायक भूमिका निभाने के लिए आप स्वयं को तैयार कर सकतीं है, इसके लिए आपको लैंगिक उत्पीड़न (निवारण, प्रतिषेध और प्रतितोष) अधिनियम, 2013 की शक्तियों को जानना जानना और समझना पड़ेगा जिसके आधार पर आप सार्वजनिक स्थानों में शत-प्रतिशत महिला सुरक्षा सुनिश्चित करवाने के लिए अपना अद्वितीय योगदान दे सकती है
आपकी सक्रियता को निर्णायक भूमिका दिलवाने की दिशा में सोचिए ब आप सार्वजनिक स्थानों के आतंरिक परिवाद समिति की सदस्य बन जायेंगी तब आपको अपनी सक्षमता को साबित करने का अवसर मिलेगा आपके निर्णयों को वैधानिक महत्त्व मिलेगा l अगर आपके पास सार्वजनिक महत्व के मुद्दों को निर्भीकता से विधि द्वारा प्राधिकृत मंच अर्थात आतंरिक परिवाद समिति के कार्यवाही में रखने का हौसला, बौद्धिक सामर्थ्य और आत्मविश्वास है तो आपको आपकी उम्र, शैक्षणिक योग्यता, लिंग-भेद, जैसी विधिक प्रक्रियात्मक अड्चने रोक नहीं सकती हैं क्योंकि आतंरिक परिवाद समिति की बाहरी सदस्य बनाने के लिए सिर्फ एक आहर्ता चाहिए वह यह की आप महिलाओं की समस्याओं के प्रति प्रतिबद्ध हो...
सभी कार्यस्थलों में गरिमापूर्ण कामकाजी वातावरण बनाने के लिए आवश्यक है कि, प्रत्येक कार्यस्थल में एक ऐसी सशक्त महिला सक्रीय होनी चाहिये जो महिलाओं के सम्मान और गरिमा को बनाये रखने के लिए प्रतिबद्ध रहे इसलिए दृढ़ निश्चयी महिलाओं की सक्रीय भागीदारी की जरुरत सभी जगह है अत: आप भी आतंरिक परिवाद समिति की बाहरी सदस्य के रूप में अपना निर्णायक सामाजिक योगदान विधिमान्य प्राधिकृत तौर पर दे सकतीं है और  कार्यरत महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करवा सकती है पहल करिये महिलाओं को आपकी जरुरत है l 

छत्तीसगढ़ सरकार महिलाओं के अधिकारों को सुनिश्चित करवाने के लिए अग्रणी भूमिका निभा रही है

माननीय मुख्यमंत्री श्रीमान भूपेश बघेल जी ने छत्तीसगढ़ राज्य की कामकाजी महिलाओं के संरक्षण के लिए... "मेरी भागीदारी" को संदेश देकर मार्गदर्शन दिया है

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 माननीय गृहमंत्री श्रीमान ताम्रध्वज साहू जी ने छत्तीसगढ़ राज्य की कामकाजी महिलाओं को सशक्त एवं सुरक्षित बनाने के लिए... "मेरी भागीदारी" को संदेश देकर मार्गदर्शन दिया है

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माननीय नगरीय प्रशासन मंत्री श्रीमान शिव डहरिया जी ने नगरीय निकाय क्षेत्र के सभी कार्यस्थलों में कामकाजी महिलाओं को गरिमापूर्ण कामकाजी वातावरण बनाने के लिए "मेरी भागीदारी" को संदेश देकर मार्गदर्शन किया है


छत्तीसगढ़ सरकार ने महिलाओं को दी है सशक्त जिम्मेदारी... क्या आप इस जिम्मेदारी को निभाने के लिए आगे नहीं आयेंगी ?

एक भारतीय नागरिक होने के नाते हमारी यह नागरिक जिम्मेदारी है कि, हम अपना योगदान गरिमापूर्ण सामाजिक व्यवस्था को बनाने के लिए दें | सामाजिक गरिमा की अपेक्षाओं के अनुरूप  अपने आसपास के सार्वजनिक स्थानों में कामकाजी वातावरण बनाये रखें जिससे की सभी सार्वजनिक स्थानों पर महिलाओं को लैंगिक उत्पीडन जैसी मानसिक प्रताड़ना का सामना न करना पड़े | इसलिए हमारी सरकार ने भी सभी सार्वजनिक स्थानों पर विशेषकर महिलाओं को सुरक्षित करने के लिए एक कानून बनाया है जिसका नाम है "महिलाओं का कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न (निवारण, प्रतिषेध और प्रतितोष) अधिनियम, 2013" इस अधिनियम के द्वारा लैंगिक उत्पीड़न मुक्त वातावरण बनाने के लिए जन सामान्य की भागीदारी और जिम्मेदारी को प्रावधानित कर सभी कार्यक्षेत्रों के लिए एक व्यवहारिक तंत्र बनाया गया है जो की विधि निर्देशित तौर  पर प्राधिकार प्राप्त भी है और इस अधिनियम के प्रावधानानुसार निर्णायक भूमिका निभाने वाला भी है जिसका सदस्य बनाने का अवसर आपके पास है |

समाज सेविकाओं की निर्णायक भूमिका को जानिये और समझिये आप भी आतंरिक परिवाद समिति के बाहरी सदस्य बन जाइये

हमारे आसपास के सार्वजनिक स्थानों पर असामाजिक तत्वों का जमावड़ा अक्सर हमारे लिए चुनौती बन जाता है और इसका व्यवहारिक समाधान खोजना हमारी मजबूरी हो जाती है | ऐसे ही हमारी महिला रिश्तेदार जिन कार्यस्थलों पर कार्य करने जाती है वहां की अनापेक्षित और विपरीत कामकाजी स्थिति भी हमें व्यथित करती हैं उल्लेखनीय है की लैंगिक उत्पीडन के वातावरण वाली विपरीत स्थिति पीड़ित महिला के साथ - साथ उसके परिवार के सदस्यों को मानसिक दबाव का सामना करवाती है अगर आपने भी ऐसी परिस्थितियों का अनुभव किया है या ऐसी परिस्थितियों का सामना करने के कारण आप परेशान है तो अब आप निश्चिंत हो जाईये क्योकि आतंरिक परिवाद समिति ऐसी समस्याओं से निपटने के लिए सक्षम होती हैं गौरतलब रहे की अब सभी कार्यक्षेत्रों में आतंरिक परिवाद समिति का गठन किया जाना आवश्यक हो गया है इसके साथ-साथ यह भी आवश्यक है कि आतंरिक परिवाद समिति प्रत्येक  माह अपनी बैठक का आयोजन करें और कार्यस्थल पर कार्यरत सभी लोगों को लैंगिक उत्पीडन मुक्त वातावरण बनाने के लिए आवश्यक कार्याचरण की जानकारी देकर उन्हें शिक्षित प्रशिक्षित भी करे तथा सभी अधिकारिओ और कर्मचारियों को इस बात का विश्वास दिलवाए की कार्यस्थल पर उनके  संरक्षण करने के लिए आतंरिक परिवाद समिति सक्रीय है... इसलिए आप भी पहल करियें और सभी कार्यस्थलों पर आतंरिक परिवाद समिति का गठन करवाने के लिए अपनी भागीदारी देने के लिए सामने आ जाइये
आपकी महत्वपूर्ण भूमिका को
सुनिश्चित करवाना अब आपके हाथ में है महिलाओं का कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न (निवारण, प्रतिषेध और प्रतितोष) अधिनियम, 2013 ने कार्यस्थल पर कार्यरत सभी ओहदेदार / प्राधिकारियों के प्रतिनिधियों को आतंरिक परिवाद समिति का सदस्य बनाने का प्राधिकार दिया है इसके साथ – साथ एक बाहरी सदस्य जिसको लैंगिक उत्पीडन के विषय कार्यान्वित करने की प्रकिया की जानकारी हो और व्यथित महिला / पुरुष को संरक्षण प्रदान करने का ज्ञान हो ऐसे व्यक्ति को सदस्य बनाने का प्रावधान किया गया है तथा  कार्यस्थल पर कार्यरत सभी लोगों के लिए संगोष्ठी, अभिविन्यास कार्यक्रम और लैंगिक उत्पीडन से मुक्त कामकाजी वातावरण बनाने के लिए प्रभावी नियम कानून की जानकारी देने वाले प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन करने का विधि निर्देश भी इस अधिनयम में दिया गया है इसलिए आप भी सक्रिय हो जाइये, और सामाजिक उत्थान के लिए अपनी भागीदारी दीजिये l


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छत्तीसगढ़ की सशक्त समाजसेवी महिलाओं को जानकारी उपलब्ध करवाने वाले डिजिटल मंच पर प्रकाशित की गई है सारी जानकारी.............. जानिये कैसे आप भी बन सकती है स्कुल, कॉलेज, अस्पताल, उद्योग, शासकीय कार्यालयों जैसे संस्थान के आंतरिक परिवाद समिति की सदस्य ........................................................ पढ़िए और जानिए एक सशक्त महिला होने का अवसर आपके पास भी कैसे है ! ................................... उम्र, शैक्षणिक योग्यता, राजनैतिक पद जैसे विषय आपको अपनी सशक्त प्रशासनिक भूमिका बनाने से रोक नहीं सकते हैं .................................. क्योकि महिलाओं के मुद्दों को दृढ़ता से रखने की सक्षमता रखने वाली महिला को आतंरिक परिवाद समिति का सदस्य बनाया जाता है .... नीचे लिखी है पूरी जानकारी 👇👇👇

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आपराधिक कानूनों पर राष्‍ट्रीय वेबिनार ,हाल ही में लागू किए गए आपराधिक कानूनों ‘भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस), और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए)’ पर आधारित था। यह पहल विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों के कल्‍याण के लिए इन परिवर्तनकारी कानूनी बदलावों के बारे में राष्ट्रव्यापी जागरूकता और जानकारी बढ़ाने के लिए है, और इन कानूनों में महिलाओं और बच्‍चों की सुरक्षा, गरिमा और संरक्षा से संबंधित विशेषताओं पर जोर दिया गया।।

  म हिला और बाल विकास मंत्रालय ने ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्रालय इनके  सहयोग से नए आपराधिक कानूनों पर दूसरा राष्‍ट्रीय वेबिनार आयोजित किया गया  महिला और बाल विकास मंत्रालय ने ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्रालय इन दोनों के  सहयोग से नए आपराधिक कानूनों पर दूसरे  राष्‍ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया। इसका आयोजन अभी देश में लागू किए गए आपराधिक कानूनों ‘के भारतीय न्याय संहिता (BNS) , भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) , और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) पर आधारित था। यह पहल विशेषत: महिलाओं और बच्चों इन दोनों के कल्‍याण के लिए इन परिवर्तनकारी कानूनी बदलावों के बारे में राष्ट्रव्यापी जागरूकता और जानकारी बढ़ाने के लिए  है। इस प्रकार  का पहला वेबिनार 21 जून , 2024 इस तिथि को आयोजित किया गया था। आज के इस वेबिनार में पंचायती राज मंत्रालय के सचिव और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय व  ग्रामीण विकास मंत्रालय के संयुक्त सचिव इन्होने उद्घाटन भाषण दिया। उन्‍होंने अपने इस संबोधन में इन नए आपराधिक कानूनों के प्रमुख प्रावधानों के बारे में पूरी जानकारी दी। पुल...

कार्यस्थलों पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न के खिलाफ एक बड़ा कदम

विगत दिंनाक २ सितंबर २०२४ को केंद्र सरकार द्वारा महिला सुरक्षा एवं गरिमा को सुनिश्चित करने के लिए नियम , कानून को सशक्त बनाया गया है और व्यथित महिलाओंको शिकायत दर्ज कराने के लिए SHe Box शी-बॉक्स नामक इलेक्ट्रॉनिक व्यवस्था स्थापित की गई है , जिसका सह–विस्तार विवरण अग्रलिखित है :  सभी   कार्यस्थलों पर महिलाओं को सुरक्षित माहौल प्रदान करना ! देश में हर एक कार्यस्थलों पर महिलाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने  केंद्रीय मंत्री श्रीमती अन्नपूर्णा देवीजी  के नेतृत्व में २९ अगस्त २०२४ को आयोजित एक कार्यक्रम में नया शी-बॉक्स पोर्टल लॉन्च किया है। इस केंद्रीकृत प्लेटफॉर्म को कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न से संबंधित शिकायतों के पंजीकरण और निगरानी को कारगर बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। नई दिल्ली में आयोजित इस लॉन्च कार्यक्रम में मंत्रालय की नई वेबसाइट का भी अनावरण किया गया। इन दोनों से ही सरकार की जनता के साथ डिजिटल सहभागिता बढ़ने की उम्मीद है।   केंद्रीय मंत्री ने लॉन्च किया शी-बॉक्स पोर्टल कार्यस्थल पर उत्पीड़न के खिलाफ एक ...

महिलाओं की सलामती और सुरक्षा के लिए फास्ट ट्रैक विशेष अदालतें प्रारंभ की गई हैं… इन अदालतों के संबध में सभी जानकारी होने पर न्यायालयीन कार्यवाहियों की प्रक्रिया के विषय पर… जन जागरूकता आयेगी तथा पीड़ित और व्यथित महिलाओं को त्वरित न्याय मिल सकेगा…

मौत की सजा महिलाओं और बालिकाओं की सुरक्षा के लिए सरकार ने आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2018 पारित करके बलात्कार के अपराधियों के लिए मौत की सजा सहित कड़ी सजा का प्रावधान किया है। यौन अपराधों की शीघ्र सुनवाई   पीड़ितों को तत्काल राहत प्रदान करने के लिए अक्टूबर 2019 से न्याय विभाग, यौन अपराधों से संबंधित मामलों की शीघ्र सुनवाई के लिए देश भर में 389 अनन्य पोक्सो न्यायालयों सहित 1023 फास्ट ट्रैक विशेष न्यायालयों (एफ. टी.एस.सी.) की स्थापना के लिए एक केंद्र प्रायोजित योजना लागू कर रहा है।  अदालत प्रारंभ हुई   ऐसी प्रत्येक अदालत में 1 न्यायिक अधिकारी और 7 सदस्य कर्मचारियों का प्रावधान किया गया है। कुल पात्र 31 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में से 28 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश इस योजना में शामिल हो चुके हैं। पुदुचेरी ने इस योजना में शामिल होने के लिए एक विशेष अनुरोध किया और मई, 2023 में एक विशेष पॉक्सो कोर्ट का संचालन किया गया। वित्तीय व्यवस्था   यह योजना शुरू में रुपये 767.25 करोड़ के कुल परिव्यय पर दो वित्तीय वर्षों 2019-20 और 2020-21 में एक वर्ष की अवधि के लिए थी। इ...

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महिलायें क्यों पिछड़ जाति है पहला कारण नियम कानून की जानकारी नहीं होना दूसरा कारण निष्पक्ष सलाहकार का आभाव तीसरा कारण कार्यवाही प्रक्रिया से अवगत करवाने वाले सामाजिक कार्यकर्त्ता की कमी 1/ नियम कानून की जानकारी नहीं होना इस बात को कहे जाने पर शायद ही दो मत नहीं होगा की महिलाओं को नियम कानून की जानकारी देने का व्यवहारिक तंत्र हमारी शिक्षण व्यवस्था और सामाजिक व्यवस्था में नहीं है जिसके कारण नियम कानून की जानकारी के आभाव में महिलाओं को सुरक्षित और गरिमापूर्ण कामकाजी वातावरण उपलब्ध करवाने की शासकीय कार्यवाहियों में महिलाओं की भागीदारी वर्तमान में नहीं के बराबर है जबकि वास्तविकता यह है कि , लैंगिक उत्पीड़न मुक्त कामकाजी वातावरण बनाने के लिए जो शिकायत समिति विधि निर्देशानुसार प्रत्येक कार्यस्थल पर बनाए जाने का प्रावधान है उसमे महिला सदस्यों की संख्या ज्यादा रखकर बहुमत स्थापित किए जाने का विधि निर्देश दिया गया है l 2/ निष्पक्ष सलाहकार का आभाव हमारी सामाजिक और प्रशासकीय व्यवस्था में महिलाओं को निष्पक्ष सलाहकार मिलना आसान नहीं होता है विशेषकर जब महिला किसी भी...

उपराष्ट्रपति ने जोर देकर यह कहा कि सूक्ष्म लैंगिक भेदभाव चिंताजनक है, लैंगिक न्याय के लिए पुरुष मानसिकता में बदलाव की आवश्यकता है, उपराष्ट्रपति ने महिलाओं से आग्रह किया, चुनौतियों का सामना करें और बाधाओं को तोड़कर आगे बढ़ें

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