घरेलु हिंसा
से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम 2005
घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, २००५ भारत की संसद द्वारा पारित एक अधिनियम है, जिसका उद्देश्य घरेलू हिंसा से
महिलाओं को बचाना है और पीड़ित महिलाओं को विधिक सहायता उपलब्ध कराना है।
घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम, २००५ यह कानून पूरी तरह से १३ सितंबर २००५ को तैयार किया गया था और पुरे भारत देश में यह २६ अक्टूबर २००६ को लागू हुआ। इस कानून में कुल ५ अध्याय और ३७ धाराएं है|
घरेलु हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम २००५
क्रमांक ४३ सन २००५ *
१३ सितम्बर २००५
ऐसी महिलाओं के ,जो कुटुंब के भीतर होने वाली किसी किस्म की हिंसा से पीडीत है, संविधान के अधीन प्रत्याभूत अधिकारों के अधिक प्रभावी संरक्षण / उससे संधित या उसके आनुषंगिक विषयों का उपबंध करने के लिए यह अधिनियम।
भारत गणराज्य के छप्पनवें वर्ष में संसदद्वारा निम्नलिखित रुप में यह अधिनियमित हो:-
अध्याय १
प्रारंभिक
1. संक्षिप्त नाम, विस्तार और इस अधिनियम का प्रारंभ-
1. इस अधिनियम का संक्षिप्त नाम घरेलु हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, २००५ है।
2. इसका विस्तार जम्मू- कश्मीर राज्य के सिवाय संपूर्ण भारत देश पर है।
3. यह उस तारीख को प्रवृत्त होगा, जिसे केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, नियत करे।
टिप्पणी
प्रवर्तन का दिनांक- महिला एवं बाल विकास मंत्रालय अधिसूचना क्र. का. आ. 1776 अ दिनांक १७ अक्तूबर, २००६ भारत का राजपत्र (असाधारण) भाग खण्ड 3 (ii) दिनांक 17-10-2006 पृष्ठ 1 पर प्रकाशित घरेलु हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005 (2005 का 43) की धारा 1 की उपधारा (3) द्वार प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, केन्द्रीय सरकार इसके द्वारा अक्तूबर २००६ के छब्बीसवे दिन को ऐसी तारीख नियत करती है, जिससे उक्त अधिनियम प्रवृत्त होगा।