सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

सरकार ने महिला उद्यमियों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए कई महत्वपूर्ण उपाय किए हैं

सरकार ने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को पर्याप्त वित्तीय पहुंच और निर्बाध ऋण सुनिश्चित करने के लिए चल रही स्कीमों सहित विभिन्न उपाय किए हैं। इनमें से कुछ निम्‍नलिखित हैं:

 प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) जो स्वरोजगार पैदा करने के उद्देश्य से एक प्रमुख क्रेडिट-लिंक्ड सब्सिडी कार्यक्रम है;

 • क्रेडिट डिलीवरी सिस्टम को मजबूत बनाने तथा अधिकतम 5 करोड़ रुपये तक की कोलेट्रल और तीसरे पक्ष की गारंटी की परेशानी के बिना सूक्ष्म और लघु उद्यम (एमएसई) क्षेत्र को ऋण प्रवाह को सुविधाजनक बनाने के लिए क्रेडिट गारंटी योजना (सीजीएस);

 • आत्मनिर्भर भारत (एसआरआई) फंड के माध्यम से 50,000 करोड़ रुपये का इक्विटी निवेश;

 • प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र ऋण के अंतर्गत लाभ प्राप्त करने के लिए अनौपचारिक सूक्ष्म उद्यमों (आईएमई) को एमएसएमई के औपचारिक दायरे में लाने के लिए 11 जनवरी 2023 को उद्यम सहायता मंच का शुभारंभ; 02.07.2021 से प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र ऋण लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से खुदरा और थोक व्यापारियों को एमएसएमई के रूप में शामिल करना;

 • और एमएसएमई की स्थिति में उर्ध्‍वगामी परिवर्तन के मामले में गैर-कर लाभ 3 वर्ष के लिए बढ़ाया गया। 

मंत्रालय के उद्यम पोर्टल पर एमएसएमई के स्वामित्व वाली अनेक महिला उद्यमियों को पंजीकृत किया गया है। कुल उद्यम पंजीकरण में से 19 प्रतिशत एमएसएमई महिलाओं के स्वामित्व में हैं। इसके अतिरिक्‍त, सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिए क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट (सीजीटीएमएसई) और एसआरआई फंडों के अंतर्गत महिला उद्यमियों का विवरण नीचे दिया गया है:

 1.   क्रेडिट गारंटी योजना:  

एमएसएमई मंत्रालय सीजीटीएमएसई के माध्यम से सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिए क्रेडिट गारंटी योजना लागू कर रहा है, ताकि एमएसई को 500 लाख रुपये (01.04.2023 से) की सीमा तक कोलेट्रल मुक्त ऋण प्रदान किया जा सके, जिसमें महिलाओं को ऋण के लिए 85 प्रतिशत तक गारंटी कवरेज है, जबकि सामान्य दर 75 प्रतिशत है। प्रारंभ होने के बाद से 30 जून 2023 तक 4.50 लाख करोड़ रुपये की राशि वाली कुल 72.59 लाख गारंटी को मंजूरी दी गई है। इसमें से 65,209 करोड़ रुपये की 15.10 लाख गारंटी महिलाओं के स्वामित्व वाले एमएसई को दी गई है।

 2. आत्मनिर्भर भारत (एसआरआई) फंड:

 भारत सरकार ने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम में इक्विटी फंडिंग के रूप में 50,000 करोड़ रुपये लगाने के लिए फंड की घोषणा की है। इसे आत्मनिर्भर भारत (एसआरआई) फंड के रूप में भी जाना जाता है। इस योजना के अंतर्गत 50,000 करोड़ रुपये के फंड के कुल आकार में भारत सरकार से 10,000 करोड़ रुपये और निजी इक्विटी/वेंचर कैपिटल फंड के माध्यम से 40,000 करोड़ रुपये का प्रावधान है। इस पहल का उद्देश्य एमएसएमई क्षेत्र की पात्र इकाइयों को विकास पूंजी प्रदान करना है।  30 जून 2023 तक और प्रारंभ होने के बाद से कुल 45 डॉटर फंड एनवीसीएफएल (मदर फंड) के साथ सूचीबद्ध किए गए हैं और 4,885 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश के माध्यम से 342 एमएसएमई को सहायता प्रदान की गई है, जिनमें से 60 महिलाओं के स्वामित्व में हैं।

 सरकार द्वारा कार्यान्वित की जा रही कुछ अन्य योजनाओं/कार्यक्रमों का ब्यौरा निम्नानुसार है :

 1. प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई) वित्‍त मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग की शुरुआत 08 अप्रैल 2015 को की गई थी ताकि व्यक्तियों को 10 लाख रुपये तक के गारंटी-मुक्त ऋण प्रदान किए जा सकें। इसका उद्देश्‍य उन्‍हें अपनी व्यवसाय गतिविधियों को स्थापित या विस्तारित करने में सहायता देना है। यह योजना विनिर्माण, व्यापार, सेवा क्षेत्रों और कृषि से संबद्ध गतिविधियों में आय सृजन गतिविधियों के लिए शिशु (50,000 रुपये तक), किशोर (50,000 रुपये से अधिक और 5 लाख रुपये तक) और तरुण (5 लाख रुपये से अधिक और 10 लाख रुपये तक) नामक तीन श्रेणियों में ऋण की सुविधा प्रदान करती है। पीएमएमवाई के अंतर्गत ऋण सदस्य ऋण संस्थानों (एमएलआई), यानी बैंकों, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी), सूक्ष्म वित्त संस्थानों (एमएफआई) और अन्य वित्तीय मध्यस्थों द्वारा प्रदान किए जाते हैं। कोलेट्रल मुक्त कवरेज का विस्तार करने के लिए भारत सरकार की पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी राष्ट्रीय क्रेडिट गारंटी ट्रस्टी कंपनी लिमिटेड (एनसीजीटीसी) से सूक्ष्म इकाइयों के लिए एक क्रेडिट गारंटी फंड (सीजीएफएमयू) की स्थापना की गई है। 30.06.2023 तक और प्रारंभ होने के बाद से 24.34 लाख करोड़ रुपये की राशि के 42.20 करोड़ से अधिक ऋण वितरित किए गए हैं। इसमें से 10.96 लाख करोड़ रुपये की राशि 2900 करोड़ से अधिक ऋण महिला उद्यमियों को वितरित की गई।

 1. स्टैंड-अप इंडिया योजना (एसयूपीआई) वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग 05.04.2016 को प्रारंभ हुआ था और इसकी अवधि वर्ष 2025 तक बढ़ा दी गई है। इस योजना का उद्देश्य विनिर्माण, सेवा या व्यापार क्षेत्र में ग्रीन फील्ड उद्यम स्थापित करने के लिए और कृषि संबंधी गतिविधियों के लिए प्रति बैंक शाखा कम से कम एक अनुसूचित जाति (एससी) या अनुसूचित जनजाति (एसटी) कर्जदार और एक-महिला कर्जदार को 10 लाख रुपये से 1 करोड़ रुपये के मूल्य के अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी) से ऋण की सुविधा प्रदान करना है। स्टैंड-अप इंडिया योजना भारत सरकार की पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी नेशनल क्रेडिट गारंटी ट्रस्टी कंपनी लिमिटेड (एनसीजीटीसी) से स्टैंड-अप इंडिया के लिए क्रेडिट गारंटी फंड स्कीम (सीजीएफएसआई) के माध्यम से किसी भी कोलेट्रल सुरक्षा के बि‍ना वित्तीय सहायता भी प्रदान करती है। एसयूपीआई ने देश भर में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति और महिला उद्यमियों को 1.90 लाख से अधिक ग्रीनफील्ड सूक्ष्म और लघु उद्यमों की स्थापना में 43,000 करोड़ रुपये से अधिक के ऋण की सुविधा प्रदान की है। इसमें से 30 जून 2023 तक महिला उद्यमियों को 36,000 करोड़ रुपये की राशि के 1.60 लाख से अधिक ऋण स्वीकृत किए गए हैं। यह जानकारी कौशल विकास और उद्यमिता राज्य मंत्री श्री राजीव चन्द्रशेखर ने आज राज्य सभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।

*** 

 एमजी/एमएस/आरपी/एजी/जीआरएस/एसके प्रविष्टि तिथि: 02 AUG 2023  by PIB Delhi

 (रिलीज़ आईडी: 1945133) आगंतुक पटल : 148

अगर आप महिला अधिकार और सुरक्षा के विषयों पर अपना योगदान देना चाहते है डेली अपडेट हेतु फ़ॉलोअर बनिए

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

कामकाजी महिलाओं की सुरक्षा… एक गंभीर विषय है गौरतलब रहे की इस ज्वलंत विषय पर सभी शिकायत तो करते हैं लेकिन अपनी नागरिक जिम्मेदारी नहीं निभाते हैं इसलिए जानिए महिला सुरक्षा को लेकर क्या है आपकी नागरिक जिम्मेदारी…

भारत में कामकाजी महिलाओं की सुरक्षा एक ज्वलंत विषय है। कामकाजी महिलाओं के खिलाफ अपराधों में होती गुणात्मक वृद्धि के साथ, यह चिंता बढ़ रही है कि. कार्यस्थल में भी महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं। यहां कुछ मुख्य मुद्दे दिए गए हैं: यौन उत्पीड़न:   यह एक गंभीर समस्या है, जिसमें महिलाओं को अवांछित टिप्पणी, छूना, या यौन संबंध बनाने के लिए दबाव सहना पड़ता है। भेदभाव:   महिलाओं को पुरुषों की तुलना में कम वेतन, कम पदोन्नति के अवसर और कम सुविधाएं मिल सकती हैं। असुरक्षित कार्य वातावरण:   कुछ कार्यस्थलों में महिलाओं को असुरक्षित परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है, जैसे कि खराब रोशनी, अपर्याप्त सुरक्षा उपाय, और लंबे समय तक काम करना। गौरतलब रहे कि, आप भी शासकीय तंत्र का हिस्सा बनकर महिला सुरक्षा के लिए अधिकृत संरक्षक की भूमिका निभा सकते हैं  इस लिंक पर है पूरी जानकारी क्लिक करिए  आप सूचना का अधिकार प्रयोग कर महिला सुरक्षा सुनिश्चित करवा सकते हैं उल्लेखनीय है की आप इस लिंक से सूचना का अधिकार आवेदन कॉपी कर करके सभी शासकीय कार्यालयों के मुखिया को सबक सिखा सकते हैं  RTI आवेदन कॉ...

छत्तीसगढ़ की सशक्त समाजसेवी महिलाओं को जानकारी उपलब्ध करवाने वाले डिजिटल मंच पर प्रकाशित की गई है सारी जानकारी.............. जानिये कैसे आप भी बन सकती है स्कुल, कॉलेज, अस्पताल, उद्योग, शासकीय कार्यालयों जैसे संस्थान के आंतरिक परिवाद समिति की सदस्य ........................................................ पढ़िए और जानिए एक सशक्त महिला होने का अवसर आपके पास भी कैसे है ! ................................... उम्र, शैक्षणिक योग्यता, राजनैतिक पद जैसे विषय आपको अपनी सशक्त प्रशासनिक भूमिका बनाने से रोक नहीं सकते हैं .................................. क्योकि महिलाओं के मुद्दों को दृढ़ता से रखने की सक्षमता रखने वाली महिला को आतंरिक परिवाद समिति का सदस्य बनाया जाता है .... नीचे लिखी है पूरी जानकारी 👇👇👇

  पहल करिये आंतरिक परिवाद समिति का गठन करवाने के लिए पहल करिये यदि आप कामकाजी महिला है तो अपने कार्यालय में इस समिति का गठन करवाईये और यदि कामकाजी महिला नहीं हैं तो अपने आस पास के कार्यस्थलों में आंतरिक परिवाद समिति बनवाने के लिए पहल करिए जानकारी मांगिये आपकी सुरक्षा और सम्मान को सुनिश्चित करवाना अब आपके हाथों में है क्योंकि महिलाओं का कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न (निवारण , प्रतिषेध और प्रतितोष) अधिनियम , 2013 आपको यह अधिकार प्रदान करता है की आप जिस भी कार्यक्षेत्र में जायेंगे वहां आपको उस कार्यक्षेत्र की आंतरिक परिवाद समिति का संरक्षण मिले इसलिए सभी कार्यस्थलों से आंतरिक परिवाद समिति गठन की जानकारी मांगिये |   भागीदारी दीजिए जिन कार्यस्थलों के नियोक्ताओं ने स्वविवेक से अपने कार्यस्थल पर आंतरिक परिवाद समिति का गठन किया है उन कार्यस्थलों के कामकाजी माहौल को गरिमापूर्ण बनाने के लिए कार्यशालाओं का आयोजन करिए और इस विषय की जानकारी को साझा करने का माध्यम बनिए । प्रश्न पुछिये ? जिन कार्यस्थलों पर आंतरिक परिवाद समिति का गठन नही किया गया है ऐसे कार्यस्थलों के नियोक्ता...

कामाच्या ठिकाणी महिलांचा लैंगिक छळ (प्रतिबंध, प्रतिबंध आणि निवारण) कायदा २०१३ या कायदानुसार, कामाच्या ठिकाणी लैंगिक छळ म्हणजे काय?

  जर हा प्रश्न तुमच्यासमोर असेल तर खालील माहिती तुमच्यासाठी आहे… सुरक्षित आणि गरिमापूर्ण वातावरण असणारे  कामाचे  ठिकाण असे असायला हवे कि ,ज्यामध्ये लैंगिक छळ थांबवन्यास कायदेशीर व्यवस्था असेल  आणि कामाच्या ठिकाणावर काम करनारया सर्व लोकानाही माहित असयाला हवे की अनिष्ट कृत्य किंवा वर्तन कोणते आहेत कामाची ठिकाणे लैंगिक छळापासून मुक्त राहावीत आणि महिलांना सुरक्षित आणि सुरक्षित वातावरण मिळावे यासाठी हा कायदा तयार करण्यात आला आहे . कामाच्या ठिकाणी महिलांचा लैंगिक छळ (प्रतिबंध, प्रतिबंध आणि निवारण) कायदा , २०१३ या कायदानुसार, कामाच्या ठिकाणी लैंगिक छळ म्हणजे काय? लैंगिक छळ म्हणजे  खाली नमूद केलेली थेट अथवा गर्भितार्थ कृती किंवा वागणूक लैंगिक छळ हे जे कि , कोणतेही अनिष्ट कृत्य किंवा वर्तन आहे (मग ती व्यक्त किंवा निहित), जसे :- शारीरिक संपर्क किंवा आगाऊ  लैंगिक अनुकूलतेसाठी मागणी किंवा विनंती  लैंगिक रंगीत टिप्पणी करणे  पोर्नोग्राफी दाखवत आहे  लैंगिक स्वभावाचे इतर कोणतेही शारीरिक, शाब्दिक किंवा गैर-मौखिक असे आचरण. लैंगिक अर्थाच्या टिप्पणी कामाच्या ठिक...

एनटीपीसी ने बालिका सशक्तिकरण मिशन के नए संस्करण का शुभारंभ किया है, यह कार्यक्रम भारत सरकार की बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ पहल के अनुरूप है और इसका उद्देश्य लड़कियों की कल्पनाओं को पोषित करके और अवसरों का पता लगाने की उनकी क्षमता को बढ़ावा देकर लैंगिक असमानता को मिटाना है।

 बालिका सशक्तिकरण मिशन   बालिका सशक्तिकरण मिशन (जीईएम) का नया संस्करण लॉन्च करने की तैयारी भारत की सबसे बड़ी एकीकृत बिजली कंपनी एनटीपीसी लिमिटेड अपनी प्रमुख कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी पहल, कर रही है।बालिका सशक्तिकरण मिशन यह कार्यक्रम भारत सरकार की बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ पहल के अनुरूप है व  इसका उद्देश्य यह है कि ,लड़कियों की कल्पनाओं को पोषित करके और उनके अवसरों का पता लगाने की उनकी क्षमता को बढ़ावा देकर लैंगिक असमानता को मिटाना है। बालिका सशक्तिकरण मिशन गर्मी की छुट्टियों के दौरान युवा लड़कियों के लिए पूर्ण १  महीने की कार्यशाला आयोजित कि जाती है और  उसके माध्यम से लड़कियों को  उनके सर्वांगीण उत्थान और विकास के लिए एक मंच प्रदान करता है। जीईएम का यह नया संस्करण अप्रैल 2024 से शुरू हुआ ,और  अब  यह नया संस्करण बिजली क्षेत्र के पीएसयू के 42 चिन्हित स्थानों पर समाज के वंचित वर्गों के लगभग ३,000 मेधावी बच्चों को जोड़ेगा। इसके साथ साथ ही इस  बालिका सशक्तिकरण मिशन से लाभान्वित होने वाले बच्चों की कुल संख्या १०,000 से अधिक हो जाएगी। २०१८  ...

महिलाओं की व्यवहारिक सुरक्षा व्यवस्था को सुनिश्चित करवाने के लिए शासन ने नियम कानून बना दिया है और प्रत्येक कार्यस्थल पर आंतरिक शिकायत समिति का अनिवार्यतः गठन करने का निर्देश भी जारी कर दिया है... आप भी इस समिति की अधिकृत सदस्य बन सकती है पढ़िए कैसे...

शासकीय कार्यालयों के आंतरिक शिकायत समिति के बाहरी सदस्य बनिए और सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में अपनी अलग पहचान बनाकर महिला शक्तिकरण के लिए अग्रणी भूमिका निभाईये... आंतरिक शिकायत समिति का महत्व आंतरिक शिकायत समिति (आईसीसी) कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न से मुक्त, सुरक्षित और भय-रहित वातावरण प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह समिति कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013 के तहत गठित की जाती है। आंतरिक शिकायत समिति के महत्व के कुछ प्रमुख बिंदु: 1. महिलाओं के लिए सुरक्षित वातावरण: आईसीसी महिलाओं को कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न से सुरक्षा प्रदान करती है। यह महिलाओं को डर और भय के बिना काम करने का माहौल प्रदान करती है। 2. यौन उत्पीड़न की शिकायतों का निवार ण: आईसीसी यौन उत्पीड़न की शिकायतों का त्वरित और निष्पक्ष तरीके से निवारण करती है। यह शिकायतकर्ता और प्रतिवादी दोनों को सुनवाई का अवसर प्रदान करती है। 3. यौन उत्पीड़न के मामलों की गोपनीयता: आईसीसी यौन उत्पीड़न के मामलों की गोपनीयता बनाए रखती है। यह शिकायतकर्ता की पहचान और जानकारी को गुप्त रखती है। 4. ज...

आपराधिक कानूनों पर राष्‍ट्रीय वेबिनार ,हाल ही में लागू किए गए आपराधिक कानूनों ‘भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस), और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए)’ पर आधारित था। यह पहल विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों के कल्‍याण के लिए इन परिवर्तनकारी कानूनी बदलावों के बारे में राष्ट्रव्यापी जागरूकता और जानकारी बढ़ाने के लिए है, और इन कानूनों में महिलाओं और बच्‍चों की सुरक्षा, गरिमा और संरक्षा से संबंधित विशेषताओं पर जोर दिया गया।।

  म हिला और बाल विकास मंत्रालय ने ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्रालय इनके  सहयोग से नए आपराधिक कानूनों पर दूसरा राष्‍ट्रीय वेबिनार आयोजित किया गया  महिला और बाल विकास मंत्रालय ने ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्रालय इन दोनों के  सहयोग से नए आपराधिक कानूनों पर दूसरे  राष्‍ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया। इसका आयोजन अभी देश में लागू किए गए आपराधिक कानूनों ‘के भारतीय न्याय संहिता (BNS) , भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) , और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) पर आधारित था। यह पहल विशेषत: महिलाओं और बच्चों इन दोनों के कल्‍याण के लिए इन परिवर्तनकारी कानूनी बदलावों के बारे में राष्ट्रव्यापी जागरूकता और जानकारी बढ़ाने के लिए  है। इस प्रकार  का पहला वेबिनार 21 जून , 2024 इस तिथि को आयोजित किया गया था। आज के इस वेबिनार में पंचायती राज मंत्रालय के सचिव और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय व  ग्रामीण विकास मंत्रालय के संयुक्त सचिव इन्होने उद्घाटन भाषण दिया। उन्‍होंने अपने इस संबोधन में इन नए आपराधिक कानूनों के प्रमुख प्रावधानों के बारे में पूरी जानकारी दी। पुल...

कार्यस्थलों पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न के खिलाफ एक बड़ा कदम

विगत दिंनाक २ सितंबर २०२४ को केंद्र सरकार द्वारा महिला सुरक्षा एवं गरिमा को सुनिश्चित करने के लिए नियम , कानून को सशक्त बनाया गया है और व्यथित महिलाओंको शिकायत दर्ज कराने के लिए SHe Box शी-बॉक्स नामक इलेक्ट्रॉनिक व्यवस्था स्थापित की गई है , जिसका सह–विस्तार विवरण अग्रलिखित है :  सभी   कार्यस्थलों पर महिलाओं को सुरक्षित माहौल प्रदान करना ! देश में हर एक कार्यस्थलों पर महिलाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने  केंद्रीय मंत्री श्रीमती अन्नपूर्णा देवीजी  के नेतृत्व में २९ अगस्त २०२४ को आयोजित एक कार्यक्रम में नया शी-बॉक्स पोर्टल लॉन्च किया है। इस केंद्रीकृत प्लेटफॉर्म को कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न से संबंधित शिकायतों के पंजीकरण और निगरानी को कारगर बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। नई दिल्ली में आयोजित इस लॉन्च कार्यक्रम में मंत्रालय की नई वेबसाइट का भी अनावरण किया गया। इन दोनों से ही सरकार की जनता के साथ डिजिटल सहभागिता बढ़ने की उम्मीद है।   केंद्रीय मंत्री ने लॉन्च किया शी-बॉक्स पोर्टल कार्यस्थल पर उत्पीड़न के खिलाफ एक ...

महिलाओं की सलामती और सुरक्षा के लिए फास्ट ट्रैक विशेष अदालतें प्रारंभ की गई हैं… इन अदालतों के संबध में सभी जानकारी होने पर न्यायालयीन कार्यवाहियों की प्रक्रिया के विषय पर… जन जागरूकता आयेगी तथा पीड़ित और व्यथित महिलाओं को त्वरित न्याय मिल सकेगा…

मौत की सजा महिलाओं और बालिकाओं की सुरक्षा के लिए सरकार ने आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2018 पारित करके बलात्कार के अपराधियों के लिए मौत की सजा सहित कड़ी सजा का प्रावधान किया है। यौन अपराधों की शीघ्र सुनवाई   पीड़ितों को तत्काल राहत प्रदान करने के लिए अक्टूबर 2019 से न्याय विभाग, यौन अपराधों से संबंधित मामलों की शीघ्र सुनवाई के लिए देश भर में 389 अनन्य पोक्सो न्यायालयों सहित 1023 फास्ट ट्रैक विशेष न्यायालयों (एफ. टी.एस.सी.) की स्थापना के लिए एक केंद्र प्रायोजित योजना लागू कर रहा है।  अदालत प्रारंभ हुई   ऐसी प्रत्येक अदालत में 1 न्यायिक अधिकारी और 7 सदस्य कर्मचारियों का प्रावधान किया गया है। कुल पात्र 31 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में से 28 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश इस योजना में शामिल हो चुके हैं। पुदुचेरी ने इस योजना में शामिल होने के लिए एक विशेष अनुरोध किया और मई, 2023 में एक विशेष पॉक्सो कोर्ट का संचालन किया गया। वित्तीय व्यवस्था   यह योजना शुरू में रुपये 767.25 करोड़ के कुल परिव्यय पर दो वित्तीय वर्षों 2019-20 और 2020-21 में एक वर्ष की अवधि के लिए थी। इ...

क्या आपने कभी सोचा है कि, महिलायें क्यों पिछड जाती है अगर नहीं सोचा तो सोचिये जरुर क्योंकिनिचे लिखे तिन कारण आपके भी अनुभव का हिस्सा होंगे जिनका निराकरण आपकी पहल से हो सकता इसलिए आप भी अपनी सामाजिक सक्रियता को बढाकर अग्रलिखित तिन अवरोधक परिस्थितियों के निराकरण के अपनी भागीदारी दीजिये

महिलायें क्यों पिछड़ जाति है पहला कारण नियम कानून की जानकारी नहीं होना दूसरा कारण निष्पक्ष सलाहकार का आभाव तीसरा कारण कार्यवाही प्रक्रिया से अवगत करवाने वाले सामाजिक कार्यकर्त्ता की कमी 1/ नियम कानून की जानकारी नहीं होना इस बात को कहे जाने पर शायद ही दो मत नहीं होगा की महिलाओं को नियम कानून की जानकारी देने का व्यवहारिक तंत्र हमारी शिक्षण व्यवस्था और सामाजिक व्यवस्था में नहीं है जिसके कारण नियम कानून की जानकारी के आभाव में महिलाओं को सुरक्षित और गरिमापूर्ण कामकाजी वातावरण उपलब्ध करवाने की शासकीय कार्यवाहियों में महिलाओं की भागीदारी वर्तमान में नहीं के बराबर है जबकि वास्तविकता यह है कि , लैंगिक उत्पीड़न मुक्त कामकाजी वातावरण बनाने के लिए जो शिकायत समिति विधि निर्देशानुसार प्रत्येक कार्यस्थल पर बनाए जाने का प्रावधान है उसमे महिला सदस्यों की संख्या ज्यादा रखकर बहुमत स्थापित किए जाने का विधि निर्देश दिया गया है l 2/ निष्पक्ष सलाहकार का आभाव हमारी सामाजिक और प्रशासकीय व्यवस्था में महिलाओं को निष्पक्ष सलाहकार मिलना आसान नहीं होता है विशेषकर जब महिला किसी भी...

उपराष्ट्रपति ने जोर देकर यह कहा कि सूक्ष्म लैंगिक भेदभाव चिंताजनक है, लैंगिक न्याय के लिए पुरुष मानसिकता में बदलाव की आवश्यकता है, उपराष्ट्रपति ने महिलाओं से आग्रह किया, चुनौतियों का सामना करें और बाधाओं को तोड़कर आगे बढ़ें

   " लक्षणात्मक विकृति" इन जैसी टिप्पणियां महिलाओं के खिलाफ हिंसा की बर्बरता को कम करके आंकती हैं और यह बेहद ही  शर्मनाक है-  उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़जी लोकसभा और राज्य विधानसभाओंमें महिलाओं के लिए आरक्षण एक युगांतरकारी कदम है ; अतीत के गौरव को वापस पाने के लिए यह एक बड़ा प्रयास है , उपराष्ट्रपति ने आगाह किया , इवेंट मैनेजमेंट के जरिए प्रतिष्ठित हैसियत हासिल करने वाले सभी स्वार्थी लोगों से सतर्क रहें, उन्होंने कहा कि  , हाल के वर्षों में महिलाओं के विकास से महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास में आमूलचूल बदलाव आ रहा  है उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़जी  ने आज पुरुष मानसिकता में बदलाव लाने और व्यापक लैंगिक संवेदनशीलता के लिए भी अपील की। दिल्ली के ताज पैलेस इस होटल में आज नेटवर्क १८ समूह द्वारा आयोजित "महिला सशक्तिकरण के लिए समग्र दृष्टिकोण" इस विषय पर शी शक्ति 2024 में अपना संबोधन देते हुए , श्री धनखड़जी ने समाज में फैले सूक्ष्म लैंगिक भेदभाव पर ध्यान देने पर जोर दिया।  लैंगिक न्याय के लिए पुरुषों की मानसिकता में बदलाव की आवश्यकता है, उपराष्ट्रपतिजी...