अंतर्राष्ट्रीय
बालिका दिवस के अवसर पर एनएमसीजी की 'महिला और जल'
संवाद श्रृंखला का समापन कार्यक्रम उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आयोजित
महानिदेशक, एनएमसीजी ने कहा कि, महिलाएं
व्यावहारिक बदलाव की दूत हैं:
'महिला एवं जल संवाद श्रृंखला' का ५ वां और समापन कार्यक्रम ११ अक्टूबर २०२३ को उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में बोट क्लब हाउस में आयोजित किया गया। 'महिला और जल संवाद श्रृंखला' जल क्षेत्र में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर करने के उद्देश्य के साथ गंगा उत्सव २०२२ के दौरान शुरू किया गया एक कार्यक्रम है। इस श्रृंखला के ४ कार्यक्रम पहले वाराणसी, कानपुर, नई दिल्ली और ऋषिकेश में आयोजित किए जा चुके हैं। इसका ५ वां और समापन कार्यक्रम ११ अक्टूबर २०२३ को अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस के साथ संपन्न हुआ। इसकी अध्यक्षता राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के महानिदेशक श्री जी अशोक कुमारजी ने की। इस कार्यक्रम के अन्य प्रतिभागियों में एसजीआर, जीआईजेड में कार्यक्रम निदेशक सुश्री लौरा सस्टरसिक, अपर श्रम आयुक्त, कानपुर सुश्री सौम्या पांडे, डेवलपमेंट अल्टरनेटिव्स से डॉ. स्वयंप्रभा दास, महिला उद्यमी सुश्री सुपर्णा देबरॉय, पंचतत्व से सुश्री शिप्रा पाठक व एसएमसीजी, जिला गंगा समितियों, जिला-स्तरीय अधिकारियों, महिलाओं सहित स्थानीय समुदायों से प्रतिनिधि शामिल थे। समापन सत्र में 'नदी और नारी' नामक एक संगीत कार्यक्रम भी यहा पर आयोजित किया गया।
'लिंग समावेशन-सरकारी उपाय' इस विषय पर मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के महानिदेशक श्री जी अशोक कुमारजी ने भविष्य को आकार देने में बालिकाओं की महत्वपूर्ण भूमिका इस विषय पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि , बालिकाओं के लिए एक मजबूत नींव बनाने व भविष्य में उन्हें शक्तिशाली ताकत बनाने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने इस दिन को सही समय पर चुनने की भी सराहना की और जीआईज़ को उनके उल्लेखनीय महिला और जल संवाद कार्यक्रम के लिए बधाई दी। “महिला और जल संवाद” इस कार्यक्रम में वाराणसी, कानपुर, दिल्ली, ऋषिकेश सहित गंगा किनारे के सभी महत्वपूर्ण शहरों को भी इसमें शामिल किया गया। श्री कुमार जी ने कहा कि , सभी कार्यक्रम किसी न किसी महत्वपूर्ण दिन से जुड़े हुए थे जिससे लोगों से जुड़ने में मदद मिलती है।
एनएमसीजी के महानिदेशक श्री कुमार ने वर्ष २००१ - २००२ में तेलंगाना के निज़ामाबाद में जिला मजिस्ट्रेट के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान १.4 लाख व्यक्तिगत शौचालय और 1000 स्कूलों में 3000 शौचालयों के निर्माण के अपने अनुभव को याद किया। उन्होंने यहा पर बताया कि, महिलाओं ने उस पहल में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और उन्हें सबसे अधिक लाभ हुआ। पांच महिला सदस्यों वाली बस्ती पेयजल समितियां बनाई गईं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उनके पेयजल स्रोत संरक्षित और स्वच्छ हैं। इन पहलों से क्षेत्र में डायरिया के मामलों में भारी कमी आई है। उन्होंने बताया कि महिलाओं को सशक्त बनाने से लाए जाने वाले बदलाव पर कई गुना प्रभाव पड़ता है।वास्तविक में महिलाएं व्यावहारिक बदलाव की राजदूत हैं।यह प्रधानमंत्री के दूरदर्शी नेतृत्व के तहत केंद्र सरकार द्वारा कार्यान्वित किए जा रहे जल जीवन मिशन / स्वच्छता अभियान में महिलाओं को सशक्त बनाने को दिए गए महत्व से परिलक्षित होता है।
श्री कुमार ने दर्शकों को नमामि गंगे के तहत ‘जलज’ पहल के बारे में यहा पर जानकारी दी। और बताया, कि “हमने गंगा बेसिन में ४० से अधिक स्थानों पर जलज का शुभारम्भ किया है। हाल ही में नई दिल्ली के दिल्ली हाट में एक जलज जागरूकता और साथ में प्रबंधन (जेएएम) केंद्र खोला गया है, जो गंगा बेसिन में स्वयं सहायता समूहों, विशेषकर महिलाओं द्वारा बनाए गए उत्पादों के लिए बहुत से लोगों को आकर्षित कर रहा है। श्री कुमार ने कहा, “जलज पहल का उद्देश्य गंगा बेसिन में महिलाओं को स्थानीय स्तर पर उनके उत्पादित वस्तुओं का विपणन करके व उनकी आजीविका को बढ़ाकर सशक्त बनाना है।”
एनएमसीजी के महानिदेशक ने नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत किए जा रहे विभिन्न उपायों के बारे में भी यहा पर बात की और बताया कि , कैसे नदी में जलीय प्रजातियों, विशेष रूप से गंगा डॉल्फ़िन की बढ़ती उपस्थिति से पानी की गुणवत्ता में सुधार के रूप में सकारात्मक प्रभाव दिखाई दे रहा है।
एनएमसीजी के सहयोग से, जीआईजेड ने जल क्षेत्र में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर करने के लिए व्यापक महिला व जल संवाद श्रृंखला शुरू की थी। परंपरागत रूप से, महिलाओं के अद्वितीय ज्ञान और उनके अधिकारों को दरकिनार करते हुए भूमि और जल प्रबंधन पर निर्णय लेने का तरीका पुरुष-प्रधान रहा है। इसके कारण बाढ़ और जल प्रदूषण जैसे पर्यावरणीय मुद्दों का परिणाम महिलाओं को असमान रूप से भुगतना पड़ रहा है। महिलाएं घरेलू जल प्रबंधन के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार हैं, जो औद्योगिक परियोजनाओं से नदी प्रदूषण / कृषि रसायन प्रदूषण के कारण चुनौतीपूर्ण हो जाता है।
इस मंच का मुख्य ऊद्देश्य जल क्षेत्र के भिन्न भिन्न क्षेत्रों में महिलाओं के महत्वपूर्ण योगदान को उजागर करना, उनके प्रभाव को बढ़ाने के रास्ते तलाशना और ज्ञान साझा करने की सुविधा प्रदान करना था। इस पहल में स्थानीय, राष्ट्रीय / अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विविध दर्शकों को शामिल करने पर ध्यान देने के साथ, गंगा बेसिन के विभिन्न स्थानों पर आयोजित व्यक्तिगत और हाइब्रिड कार्यक्रमों की एक श्रृंखला शामिल थी। कार्यक्रम के प्रारूपों में जल-संबंधित गतिविधियों में महिलाओं की भागीदारी का जश्न मनाते हुए पैनल चर्चा, साइड इवेंट और साथ ही साथ सांस्कृतिक प्रस्तुतियां शामिल थीं। संवाद श्रृंखला का व्यापक लक्ष्य जल क्षेत्र में महिलाओं के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना, उनकी भागीदारी बढ़ाना और महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए रणनीतियों खासकर निर्णय लेने की प्रक्रियाओं की पहचान करना था।
***
एमजी/एमएस/आरपी/एके/ओपी/डीकेप्रविष्टि तिथि: 12 OCT 2023 by PIB Delhi(रिलीज़ आईडी: 1967062) आगंतुक पटल : 236