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एनसीपीसीआर ने पॉक्सो कानून की धारा 39 के अंतर्गत सहायक व्यक्ति के संबंध में आदर्श दिशानिर्देशों के मसौदे पर चर्चा और विचार-विमर्श के लिए परामर्श बैठक की

 उच्चतम न्यायालय ने "हम भारत की महिलाएं बनाम भारत संघ एवं अन्य" मामले में रिट याचिका (याचिकाओं) (सिविल) संख्या1११५६/२०२१  और  इसके साथ बचपन बचाओ आंदोलन बनाम भारत संघ २०२२  की रिट याचिका संख्या ४२७ में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग को निर्देश दिया है कि वह राज्य सरकारों व  केन्द्र शासित प्रदेशों की सरकार के परामर्श से पॉक्सो कानून की धारा ३९  के अंतर्गत सहायक व्यक्तियों के संबंध में आदर्श दिशानिर्देश तैयार करे। इस मामले में उच्चतम न्यायालय ने राज्य सरकारों व केन्द्र शासित प्रदेशों की सरकार को आदर्श दिशानिर्देशों के आधार पर अपने राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के लिए नियम बनाने का भी निर्देश दिया है।

उच्चतम न्यायालय के इन आदेश का पालन करते हुए, एनसीपीसीआर ने पॉक्सो कानून, २०१२  की धारा ३९  के अंतर्गत सहायक व्यक्तियों के संबंध में आदर्श दिशानिर्देशों के मसौदे पर चर्चा और उन पर  विचार-विमर्श करने के लिए एक परामर्श बैठक आयोजित की। बैठक आज नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित की गई जिसमें पूरे देश  भर के विभिन्न राज्यों व  केन्द्र शासित प्रदेशों के महिला एवं बाल विभाग के प्रतिनिधियों ने भी इसमें भाग लिया। एनसीपीसीआर की सदस्य श्रीमती प्रीति भारद्वाज दलाल जी  ने इसमें आये सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया और इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए उन्हें धन्यवाद भी दिया। इसके व्यतिरिक्त , उन्होंने पॉक्सो कानून, २०१२ की धारा ३९  के बारे में जानकारी दी और विभिन्न अंतरराष्ट्रीय दस्तावेजों और पॉक्सो कानून, २०१२  की प्रस्तावना में निर्धारित मौलिक मार्गदर्शक सिद्धांतों पर यहा चर्चा की।

 कार्यक्रम की शुरुआत पॉक्सो कानून, २०१२  की धारा ३९  के तहत सहायक व्यक्तियों के संबंध में आदर्श दिशानिर्देश सुनिश्चित करने के लिए उच्चतम न्यायालय के आदेश और उनके  निर्देशों पर एक विस्तृत प्रस्तुति के साथ हुई।

 राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के अध्यक्ष श्री प्रियांक कानूनगो ने राज्यों / केन्द्र शासित प्रदेशों के अधिकारियों का स्वागत करने के लिए मुख्य भाषण दिया और उन्होंने यहा पर इस  बात पर जोर दिया कि यह बैठक पॉक्सो कानून की धारा ३९  के तहत सहायक व्यक्तियों के संबंध में आदर्श दिशानिर्देश का मसौदा तैयार करने के संबंध में उच्चतम न्यायालय के आदेशों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए आयोजित की गई है। उच्चतम न्यायालय ने राज्य सरकारों / केन्द्र शासित प्रदेशों की सरकार को आदर्श दिशानिर्देशों के उपरोक्त मसौदे के आधार पर अपने राज्य और केन्द्र शासित प्रदेशों के लिए नियम बनाने का भी निर्देश दिया है। श्री प्रियांक कानूनगो ने यह भी बताया कि एक सहायक व्यक्ति की आवश्यकता को माता-पिता के विवेक पर नहीं छोड़ा जाना चाहिए; सभी मामलों में, सहायक व्यक्ति की उपलब्धता का विकल्प पीड़ित के माता-पिता को बताया जाना चाहिए और इसके व्यतिरिक्त , उन्होंने सभी अधिकारियों से मिलकर काम करने व  इस दिशानिर्देश के मसौदे को अंतिम रूप देने के लिए इस महीने की३०  तारीख तक आयोग को सुझाव भेजने के लिए भी कहा। अध्यक्ष ने पॉक्सो कानून, २०१२  के तहत सहायक व्यक्तियों के मुख्य उद्देश्य पर भी चर्चा की, जो कानूनी कार्यवाही के दौरान बाल पीड़ितों को भावनात्मक व  मनोवैज्ञानिक सहायता प्रदान करने और उनकी भलाई तथा उनकी  सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए है।

 इस कार्यक्रम के दौरान अध्यक्ष ने बाल यौन शोषण की पीड़ित के उचित पुनर्वास का सुझाव दिया औरउन्होंने यहा पर  इस बात पर भी जोर दिया कि सहायक व्यक्ति पीड़ित के वास्तविक समय का पता लगाए। बैठक के बाद खुले में चर्चा हुई और आदर्श दिशानिर्देशों के मसौदे के बारे में राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधियों के सुझावों पर विचार किया गया। कार्यक्रम के अंत में एनसीपीसीआर की सदस्य सचिव सुश्री रूपाली बनर्जी सिंहजी  ने सभी प्रतिभागियों को उनकी सक्रिय भागीदारी के लिए धन्यवाद दिया व आगे भविष्य में भी उनके सहयोग की अपील की।

एमजी/एआरएम/केपी/डीकेप्रविष्टि तिथि: 21 NOV 2023 by PIB Delhi(रिलीज़ आईडी: 1978656) आगंतुक पटल : 94

 

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