सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

महिलाओं की सलामती और सुरक्षा के लिए फास्ट ट्रैक विशेष अदालतें प्रारंभ की गई हैं… इन अदालतों के संबध में सभी जानकारी होने पर न्यायालयीन कार्यवाहियों की प्रक्रिया के विषय पर… जन जागरूकता आयेगी तथा पीड़ित और व्यथित महिलाओं को त्वरित न्याय मिल सकेगा…

मौत की सजा

महिलाओं और बालिकाओं की सुरक्षा के लिए सरकार ने आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2018 पारित करके बलात्कार के अपराधियों के लिए मौत की सजा सहित कड़ी सजा का प्रावधान किया है।

यौन अपराधों की शीघ्र सुनवाई 

पीड़ितों को तत्काल राहत प्रदान करने के लिए अक्टूबर 2019 से न्याय विभाग, यौन अपराधों से संबंधित मामलों की शीघ्र सुनवाई के लिए देश भर में 389 अनन्य पोक्सो न्यायालयों सहित 1023 फास्ट ट्रैक विशेष न्यायालयों (एफ. टी.एस.सी.) की स्थापना के लिए एक केंद्र प्रायोजित योजना लागू कर रहा है। 

अदालत प्रारंभ हुई 

ऐसी प्रत्येक अदालत में 1 न्यायिक अधिकारी और 7 सदस्य कर्मचारियों का प्रावधान किया गया है। कुल पात्र 31 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में से 28 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश इस योजना में शामिल हो चुके हैं। पुदुचेरी ने इस योजना में शामिल होने के लिए एक विशेष अनुरोध किया और मई, 2023 में एक विशेष पॉक्सो कोर्ट का संचालन किया गया।

वित्तीय व्यवस्था 

यह योजना शुरू में रुपये 767.25 करोड़ के कुल परिव्यय पर दो वित्तीय वर्षों 2019-20 और 2020-21 में एक वर्ष की अवधि के लिए थी। इसमें 474 करोड़ रुपये की केंद्रीय हिस्से के रूप में निर्भया फंड से पूरा किया जाना था । वित्त वर्ष 2019-20 में 140 करोड़ रुपये और वित्त वर्ष 2020-21 में, 160 करोड़ रुपये केंद्रीय शेयर के रूप में राज्यों को जारी किए गए थे। मंत्रिमंडल ने 1572.86 करोड़ रुपये के कुल बजटीय परिव्यय के साथ दो साल यानी मार्च, 2023 तक एफ0टी0एस0सी0 की योजना को जारी रखने को मंजूरी दी थी । इसमें 971.70 करोड़ रुपये केंद्रीय हिस्से के रूप में थी । वित्तीय वर्ष 2021-22 में रु.134.56 करोड़ एवं वित्तीय वर्ष 2022-23 में रु. 200.00 करोड़ राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को जारी किया गया है। केंद्रीय हिस्सेदारी के रूप में योजना का आगे विस्तार प्रक्रियाधीन है।

लंबित मामलों का निपटान

अगस्त 2023 तक, 411 अनन्य पोक्सो अदालतों सहित 758 एफटीएससी (फास्ट ट्रैक विशेष न्यायालय), 29 राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों में कार्यरत हैं, जिनमें 1,88,000 से अधिक लंबित मामलों का निपटान किया है। वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान कुल रु. 200.00 करोड़. का आवंटन किया गया है, जिसमें से रु. 100.37 करोड़. राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों में एफटीएससी के कामकाज के लिए केंद्रीय हिस्से के रूप में 31 अगस्त 2023 तक जारी किया गया है।

ऑनलाइन निगरानी ढांचा

योजना के मजबूत कार्यान्वयन के लिए, इस विभाग ने मामले के आंकड़ों की मासिक निगरानी के लिए एक ऑनलाइन निगरानी ढांचा (पोर्टल) तैयार किया है। उच्च न्यायालयों के रजिस्ट्रार जनरलों और राज्य पदाधिकारियों के साथ नियमित समीक्षा बैठकें की जा रही हैं ।

सलामती और सुरक्षा

महिलाओं और बालिकाओं की सलामती और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए 1023 फास्ट ट्रैक विशेष अदालतें (एफटीएससी) स्थापित की जाएंगी

Ensuring the safety & security of women and girl child, the Department of Justice is implementing a Centrally Sponsored Scheme, to set up 1023 Fast Track Special Courts (FTSCs) including 389 exclusive POCSO Courts across the nation for expeditious trials relating to Rape & POCSO Act cases.

पूरी जानकारी इस 👇लिंक पर है ।

https://doj.gov.in/fast-track-special-court-ftscs/ 

न्याय विभाग महिलाओं और बालिकाओं की सलामती और सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए दुष्कर्म और पॉक्सो अधिनियम से संबंधित मामलों की त्वरित सुनवाई के लिए देश भर में 389 विशेष पॉक्सो अदालतों सहित 1023 फास्ट ट्रैक विशेष अदालतें (एफटीएससी) स्थापित करने के लिए एक केंद्र प्रायोजित योजना लागू कर रहा है।

****************

मेरी भागीदारी के फेसबुक पेज से जुड़ने के लिए लिंक 👇

https://www.facebook.com/meribhagidar?mibextid=2JQ9oc

****************

संदर्भ :

एमजी/एमएस/आरपी/एआर/आरके/ओपी/ डीकेप्रविष्टि तिथि: 17 OCT 2023 by PIB Delhi(रिलीज़ आईडी: 1968474) आगंतुक पटल : 176


अगर आप महिला अधिकार और सुरक्षा के विषयों पर अपना योगदान देना चाहते है डेली अपडेट हेतु फ़ॉलोअर बनिए

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

कामकाजी महिलाओं की सुरक्षा… एक गंभीर विषय है गौरतलब रहे की इस ज्वलंत विषय पर सभी शिकायत तो करते हैं लेकिन अपनी नागरिक जिम्मेदारी नहीं निभाते हैं इसलिए जानिए महिला सुरक्षा को लेकर क्या है आपकी नागरिक जिम्मेदारी…

भारत में कामकाजी महिलाओं की सुरक्षा एक ज्वलंत विषय है। कामकाजी महिलाओं के खिलाफ अपराधों में होती गुणात्मक वृद्धि के साथ, यह चिंता बढ़ रही है कि. कार्यस्थल में भी महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं। यहां कुछ मुख्य मुद्दे दिए गए हैं: यौन उत्पीड़न:   यह एक गंभीर समस्या है, जिसमें महिलाओं को अवांछित टिप्पणी, छूना, या यौन संबंध बनाने के लिए दबाव सहना पड़ता है। भेदभाव:   महिलाओं को पुरुषों की तुलना में कम वेतन, कम पदोन्नति के अवसर और कम सुविधाएं मिल सकती हैं। असुरक्षित कार्य वातावरण:   कुछ कार्यस्थलों में महिलाओं को असुरक्षित परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है, जैसे कि खराब रोशनी, अपर्याप्त सुरक्षा उपाय, और लंबे समय तक काम करना। गौरतलब रहे कि, आप भी शासकीय तंत्र का हिस्सा बनकर महिला सुरक्षा के लिए अधिकृत संरक्षक की भूमिका निभा सकते हैं  इस लिंक पर है पूरी जानकारी क्लिक करिए  आप सूचना का अधिकार प्रयोग कर महिला सुरक्षा सुनिश्चित करवा सकते हैं उल्लेखनीय है की आप इस लिंक से सूचना का अधिकार आवेदन कॉपी कर करके सभी शासकीय कार्यालयों के मुखिया को सबक सिखा सकते हैं  RTI आवेदन कॉ...

छत्तीसगढ़ की सशक्त समाजसेवी महिलाओं को जानकारी उपलब्ध करवाने वाले डिजिटल मंच पर प्रकाशित की गई है सारी जानकारी.............. जानिये कैसे आप भी बन सकती है स्कुल, कॉलेज, अस्पताल, उद्योग, शासकीय कार्यालयों जैसे संस्थान के आंतरिक परिवाद समिति की सदस्य ........................................................ पढ़िए और जानिए एक सशक्त महिला होने का अवसर आपके पास भी कैसे है ! ................................... उम्र, शैक्षणिक योग्यता, राजनैतिक पद जैसे विषय आपको अपनी सशक्त प्रशासनिक भूमिका बनाने से रोक नहीं सकते हैं .................................. क्योकि महिलाओं के मुद्दों को दृढ़ता से रखने की सक्षमता रखने वाली महिला को आतंरिक परिवाद समिति का सदस्य बनाया जाता है .... नीचे लिखी है पूरी जानकारी 👇👇👇

  पहल करिये आंतरिक परिवाद समिति का गठन करवाने के लिए पहल करिये यदि आप कामकाजी महिला है तो अपने कार्यालय में इस समिति का गठन करवाईये और यदि कामकाजी महिला नहीं हैं तो अपने आस पास के कार्यस्थलों में आंतरिक परिवाद समिति बनवाने के लिए पहल करिए जानकारी मांगिये आपकी सुरक्षा और सम्मान को सुनिश्चित करवाना अब आपके हाथों में है क्योंकि महिलाओं का कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न (निवारण , प्रतिषेध और प्रतितोष) अधिनियम , 2013 आपको यह अधिकार प्रदान करता है की आप जिस भी कार्यक्षेत्र में जायेंगे वहां आपको उस कार्यक्षेत्र की आंतरिक परिवाद समिति का संरक्षण मिले इसलिए सभी कार्यस्थलों से आंतरिक परिवाद समिति गठन की जानकारी मांगिये |   भागीदारी दीजिए जिन कार्यस्थलों के नियोक्ताओं ने स्वविवेक से अपने कार्यस्थल पर आंतरिक परिवाद समिति का गठन किया है उन कार्यस्थलों के कामकाजी माहौल को गरिमापूर्ण बनाने के लिए कार्यशालाओं का आयोजन करिए और इस विषय की जानकारी को साझा करने का माध्यम बनिए । प्रश्न पुछिये ? जिन कार्यस्थलों पर आंतरिक परिवाद समिति का गठन नही किया गया है ऐसे कार्यस्थलों के नियोक्ता...

कामाच्या ठिकाणी महिलांचा लैंगिक छळ (प्रतिबंध, प्रतिबंध आणि निवारण) कायदा २०१३ या कायदानुसार, कामाच्या ठिकाणी लैंगिक छळ म्हणजे काय?

  जर हा प्रश्न तुमच्यासमोर असेल तर खालील माहिती तुमच्यासाठी आहे… सुरक्षित आणि गरिमापूर्ण वातावरण असणारे  कामाचे  ठिकाण असे असायला हवे कि ,ज्यामध्ये लैंगिक छळ थांबवन्यास कायदेशीर व्यवस्था असेल  आणि कामाच्या ठिकाणावर काम करनारया सर्व लोकानाही माहित असयाला हवे की अनिष्ट कृत्य किंवा वर्तन कोणते आहेत कामाची ठिकाणे लैंगिक छळापासून मुक्त राहावीत आणि महिलांना सुरक्षित आणि सुरक्षित वातावरण मिळावे यासाठी हा कायदा तयार करण्यात आला आहे . कामाच्या ठिकाणी महिलांचा लैंगिक छळ (प्रतिबंध, प्रतिबंध आणि निवारण) कायदा , २०१३ या कायदानुसार, कामाच्या ठिकाणी लैंगिक छळ म्हणजे काय? लैंगिक छळ म्हणजे  खाली नमूद केलेली थेट अथवा गर्भितार्थ कृती किंवा वागणूक लैंगिक छळ हे जे कि , कोणतेही अनिष्ट कृत्य किंवा वर्तन आहे (मग ती व्यक्त किंवा निहित), जसे :- शारीरिक संपर्क किंवा आगाऊ  लैंगिक अनुकूलतेसाठी मागणी किंवा विनंती  लैंगिक रंगीत टिप्पणी करणे  पोर्नोग्राफी दाखवत आहे  लैंगिक स्वभावाचे इतर कोणतेही शारीरिक, शाब्दिक किंवा गैर-मौखिक असे आचरण. लैंगिक अर्थाच्या टिप्पणी कामाच्या ठिक...

एनटीपीसी ने बालिका सशक्तिकरण मिशन के नए संस्करण का शुभारंभ किया है, यह कार्यक्रम भारत सरकार की बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ पहल के अनुरूप है और इसका उद्देश्य लड़कियों की कल्पनाओं को पोषित करके और अवसरों का पता लगाने की उनकी क्षमता को बढ़ावा देकर लैंगिक असमानता को मिटाना है।

 बालिका सशक्तिकरण मिशन   बालिका सशक्तिकरण मिशन (जीईएम) का नया संस्करण लॉन्च करने की तैयारी भारत की सबसे बड़ी एकीकृत बिजली कंपनी एनटीपीसी लिमिटेड अपनी प्रमुख कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी पहल, कर रही है।बालिका सशक्तिकरण मिशन यह कार्यक्रम भारत सरकार की बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ पहल के अनुरूप है व  इसका उद्देश्य यह है कि ,लड़कियों की कल्पनाओं को पोषित करके और उनके अवसरों का पता लगाने की उनकी क्षमता को बढ़ावा देकर लैंगिक असमानता को मिटाना है। बालिका सशक्तिकरण मिशन गर्मी की छुट्टियों के दौरान युवा लड़कियों के लिए पूर्ण १  महीने की कार्यशाला आयोजित कि जाती है और  उसके माध्यम से लड़कियों को  उनके सर्वांगीण उत्थान और विकास के लिए एक मंच प्रदान करता है। जीईएम का यह नया संस्करण अप्रैल 2024 से शुरू हुआ ,और  अब  यह नया संस्करण बिजली क्षेत्र के पीएसयू के 42 चिन्हित स्थानों पर समाज के वंचित वर्गों के लगभग ३,000 मेधावी बच्चों को जोड़ेगा। इसके साथ साथ ही इस  बालिका सशक्तिकरण मिशन से लाभान्वित होने वाले बच्चों की कुल संख्या १०,000 से अधिक हो जाएगी। २०१८  ...

महिलाओं की व्यवहारिक सुरक्षा व्यवस्था को सुनिश्चित करवाने के लिए शासन ने नियम कानून बना दिया है और प्रत्येक कार्यस्थल पर आंतरिक शिकायत समिति का अनिवार्यतः गठन करने का निर्देश भी जारी कर दिया है... आप भी इस समिति की अधिकृत सदस्य बन सकती है पढ़िए कैसे...

शासकीय कार्यालयों के आंतरिक शिकायत समिति के बाहरी सदस्य बनिए और सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में अपनी अलग पहचान बनाकर महिला शक्तिकरण के लिए अग्रणी भूमिका निभाईये... आंतरिक शिकायत समिति का महत्व आंतरिक शिकायत समिति (आईसीसी) कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न से मुक्त, सुरक्षित और भय-रहित वातावरण प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह समिति कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013 के तहत गठित की जाती है। आंतरिक शिकायत समिति के महत्व के कुछ प्रमुख बिंदु: 1. महिलाओं के लिए सुरक्षित वातावरण: आईसीसी महिलाओं को कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न से सुरक्षा प्रदान करती है। यह महिलाओं को डर और भय के बिना काम करने का माहौल प्रदान करती है। 2. यौन उत्पीड़न की शिकायतों का निवार ण: आईसीसी यौन उत्पीड़न की शिकायतों का त्वरित और निष्पक्ष तरीके से निवारण करती है। यह शिकायतकर्ता और प्रतिवादी दोनों को सुनवाई का अवसर प्रदान करती है। 3. यौन उत्पीड़न के मामलों की गोपनीयता: आईसीसी यौन उत्पीड़न के मामलों की गोपनीयता बनाए रखती है। यह शिकायतकर्ता की पहचान और जानकारी को गुप्त रखती है। 4. ज...

आपराधिक कानूनों पर राष्‍ट्रीय वेबिनार ,हाल ही में लागू किए गए आपराधिक कानूनों ‘भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस), और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए)’ पर आधारित था। यह पहल विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों के कल्‍याण के लिए इन परिवर्तनकारी कानूनी बदलावों के बारे में राष्ट्रव्यापी जागरूकता और जानकारी बढ़ाने के लिए है, और इन कानूनों में महिलाओं और बच्‍चों की सुरक्षा, गरिमा और संरक्षा से संबंधित विशेषताओं पर जोर दिया गया।।

  म हिला और बाल विकास मंत्रालय ने ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्रालय इनके  सहयोग से नए आपराधिक कानूनों पर दूसरा राष्‍ट्रीय वेबिनार आयोजित किया गया  महिला और बाल विकास मंत्रालय ने ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्रालय इन दोनों के  सहयोग से नए आपराधिक कानूनों पर दूसरे  राष्‍ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया। इसका आयोजन अभी देश में लागू किए गए आपराधिक कानूनों ‘के भारतीय न्याय संहिता (BNS) , भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) , और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) पर आधारित था। यह पहल विशेषत: महिलाओं और बच्चों इन दोनों के कल्‍याण के लिए इन परिवर्तनकारी कानूनी बदलावों के बारे में राष्ट्रव्यापी जागरूकता और जानकारी बढ़ाने के लिए  है। इस प्रकार  का पहला वेबिनार 21 जून , 2024 इस तिथि को आयोजित किया गया था। आज के इस वेबिनार में पंचायती राज मंत्रालय के सचिव और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय व  ग्रामीण विकास मंत्रालय के संयुक्त सचिव इन्होने उद्घाटन भाषण दिया। उन्‍होंने अपने इस संबोधन में इन नए आपराधिक कानूनों के प्रमुख प्रावधानों के बारे में पूरी जानकारी दी। पुल...

कार्यस्थलों पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न के खिलाफ एक बड़ा कदम

विगत दिंनाक २ सितंबर २०२४ को केंद्र सरकार द्वारा महिला सुरक्षा एवं गरिमा को सुनिश्चित करने के लिए नियम , कानून को सशक्त बनाया गया है और व्यथित महिलाओंको शिकायत दर्ज कराने के लिए SHe Box शी-बॉक्स नामक इलेक्ट्रॉनिक व्यवस्था स्थापित की गई है , जिसका सह–विस्तार विवरण अग्रलिखित है :  सभी   कार्यस्थलों पर महिलाओं को सुरक्षित माहौल प्रदान करना ! देश में हर एक कार्यस्थलों पर महिलाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने  केंद्रीय मंत्री श्रीमती अन्नपूर्णा देवीजी  के नेतृत्व में २९ अगस्त २०२४ को आयोजित एक कार्यक्रम में नया शी-बॉक्स पोर्टल लॉन्च किया है। इस केंद्रीकृत प्लेटफॉर्म को कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न से संबंधित शिकायतों के पंजीकरण और निगरानी को कारगर बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। नई दिल्ली में आयोजित इस लॉन्च कार्यक्रम में मंत्रालय की नई वेबसाइट का भी अनावरण किया गया। इन दोनों से ही सरकार की जनता के साथ डिजिटल सहभागिता बढ़ने की उम्मीद है।   केंद्रीय मंत्री ने लॉन्च किया शी-बॉक्स पोर्टल कार्यस्थल पर उत्पीड़न के खिलाफ एक ...

क्या आपने कभी सोचा है कि, महिलायें क्यों पिछड जाती है अगर नहीं सोचा तो सोचिये जरुर क्योंकिनिचे लिखे तिन कारण आपके भी अनुभव का हिस्सा होंगे जिनका निराकरण आपकी पहल से हो सकता इसलिए आप भी अपनी सामाजिक सक्रियता को बढाकर अग्रलिखित तिन अवरोधक परिस्थितियों के निराकरण के अपनी भागीदारी दीजिये

महिलायें क्यों पिछड़ जाति है पहला कारण नियम कानून की जानकारी नहीं होना दूसरा कारण निष्पक्ष सलाहकार का आभाव तीसरा कारण कार्यवाही प्रक्रिया से अवगत करवाने वाले सामाजिक कार्यकर्त्ता की कमी 1/ नियम कानून की जानकारी नहीं होना इस बात को कहे जाने पर शायद ही दो मत नहीं होगा की महिलाओं को नियम कानून की जानकारी देने का व्यवहारिक तंत्र हमारी शिक्षण व्यवस्था और सामाजिक व्यवस्था में नहीं है जिसके कारण नियम कानून की जानकारी के आभाव में महिलाओं को सुरक्षित और गरिमापूर्ण कामकाजी वातावरण उपलब्ध करवाने की शासकीय कार्यवाहियों में महिलाओं की भागीदारी वर्तमान में नहीं के बराबर है जबकि वास्तविकता यह है कि , लैंगिक उत्पीड़न मुक्त कामकाजी वातावरण बनाने के लिए जो शिकायत समिति विधि निर्देशानुसार प्रत्येक कार्यस्थल पर बनाए जाने का प्रावधान है उसमे महिला सदस्यों की संख्या ज्यादा रखकर बहुमत स्थापित किए जाने का विधि निर्देश दिया गया है l 2/ निष्पक्ष सलाहकार का आभाव हमारी सामाजिक और प्रशासकीय व्यवस्था में महिलाओं को निष्पक्ष सलाहकार मिलना आसान नहीं होता है विशेषकर जब महिला किसी भी...

उपराष्ट्रपति ने जोर देकर यह कहा कि सूक्ष्म लैंगिक भेदभाव चिंताजनक है, लैंगिक न्याय के लिए पुरुष मानसिकता में बदलाव की आवश्यकता है, उपराष्ट्रपति ने महिलाओं से आग्रह किया, चुनौतियों का सामना करें और बाधाओं को तोड़कर आगे बढ़ें

   " लक्षणात्मक विकृति" इन जैसी टिप्पणियां महिलाओं के खिलाफ हिंसा की बर्बरता को कम करके आंकती हैं और यह बेहद ही  शर्मनाक है-  उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़जी लोकसभा और राज्य विधानसभाओंमें महिलाओं के लिए आरक्षण एक युगांतरकारी कदम है ; अतीत के गौरव को वापस पाने के लिए यह एक बड़ा प्रयास है , उपराष्ट्रपति ने आगाह किया , इवेंट मैनेजमेंट के जरिए प्रतिष्ठित हैसियत हासिल करने वाले सभी स्वार्थी लोगों से सतर्क रहें, उन्होंने कहा कि  , हाल के वर्षों में महिलाओं के विकास से महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास में आमूलचूल बदलाव आ रहा  है उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़जी  ने आज पुरुष मानसिकता में बदलाव लाने और व्यापक लैंगिक संवेदनशीलता के लिए भी अपील की। दिल्ली के ताज पैलेस इस होटल में आज नेटवर्क १८ समूह द्वारा आयोजित "महिला सशक्तिकरण के लिए समग्र दृष्टिकोण" इस विषय पर शी शक्ति 2024 में अपना संबोधन देते हुए , श्री धनखड़जी ने समाज में फैले सूक्ष्म लैंगिक भेदभाव पर ध्यान देने पर जोर दिया।  लैंगिक न्याय के लिए पुरुषों की मानसिकता में बदलाव की आवश्यकता है, उपराष्ट्रपतिजी...