भारत में एक नवीन भारत की दृष्टि के साथ महिला-विकास से महिला-नेतृत्व वाले विकास की ओर तेजी से बदलाव देखा जा रहा है, जहां महिलाएं तेज गति और सतत राष्ट्रीय विकास में समान भागीदार हैं।
भारत वर्तमान में विश्व के उन 15 देशों में से एक है जहां महिला राष्ट्राध्यक्ष हैं। विश्व स्तर पर, भारत में स्थानीय सरकारों में निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों की संख्या सबसे अधिक है। भारत में वैश्विक औसत की तुलना में 10 प्रतिशत अधिक महिला पायलट हैं। अंतर्राष्ट्रीय महिला एयरलाइन पायलट सोसायटी के अनुसार, विश्व स्तर पर लगभग 5 प्रतिशत पायलट महिलाएँ हैं। भारत में, महिला पायलटों की हिस्सेदारी काफी ज्यादा 15 प्रतिशत से अधिक है। प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा में लड़कियों का सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) लगभग लड़कों के बराबर है। विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (एसटीईएम) में लड़कियों/महिलाओं की उपस्थिति 43 प्रतिशत है, जो विश्व में सबसे अधिक में से एक है।
समाज में स्वस्थ जेंडर संतुलन को मापने के प्रमुख संकेतकों में से एक 'जन्म के समय जेंडर अनुपात (एसआरबी)' है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (एमओएचएफडब्ल्यू) की स्वास्थ्य प्रबंधन सूचना प्रणाली (एचएमआईएस) की नवीनतम रिपोर्ट से पता चलता है कि एसआरबी में सुधार के रुझान दिख रहे हैं और 2014-15 से 2022-23 (अनंतिम) के दौरान 15 अंकों के शुद्ध परिवर्तन के साथ राष्ट्रीय स्तर पर 918 से बढ़कर 933 हो गया है। सरकार द्वारा की गई कई पहलों ने लड़कियों के प्रति पितृसत्तात्मक मानसिकता वाले सामाजिक दृष्टिकोण, जिसमें लड़कियों को बोझ माना जाता है, में परिवार और समाज के मूल्यवान सदस्य के रूप में बदलाव के लिए केंद्रित दृष्टिकोण सहित जेंडर अनुपात में सुधार में योगदान दिया है। 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' स्कीम ने इस सोच को बदलने में अहम भूमिका निभाई है। घर के प्रमुख निर्णयों में भाग लेने वाली महिलाओं की संख्या बढ़ रही है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 5 (एनएफएचएस 5) में कहा गया है कि आज 88.7 प्रतिशत महिलाएं प्रमुख घरेलू निर्णयों में भाग लेती हैं, जबकि पांच साल पहले यह 84 प्रतिशत थी।
भारत सरकार ने विभिन्न व्यवसायों में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न योजनाबद्ध और सांवधिक कदम उठाए हैं तथा सक्षम प्रावधान बनाए हैं। कौशल भारत मिशन के तहत महिला श्रमिकों की रोजगार क्षमता बढ़ाने के लिए सरकार महिला औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों, राष्ट्रीय व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थानों और क्षेत्रीय व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थानों के नेटवर्क के माध्यम से उन्हें प्रशिक्षण प्रदान कर रही है।
महिला सशक्तिकरण और देश के सर्वोच्च राजनीतिक कार्यालयों में महिलाओं के प्रतिनिधित्व के लिए सरकार द्वारा उठाया गया सबसे बड़ा कदम लोक सभा (लोकसभा) और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की विधान सभा सहित राज्य विधान सभाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षित करने के लिए 28 सितंबर, 2023 को नारी शक्ति वंदन अधिनियम, 2023 (संविधान एक सौ छठा संशोधन) अधिनियम, 2023 की अधिसूचना है।
विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (एसटीईएम) में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए कई पहल की गई हैं। विज्ञान ज्योति को 9वीं से 12वीं कक्षा तक विज्ञान और प्रौद्योगिकी की विभिन्न धाराओं में लड़कियों के निम्न प्रतिनिधित्व को संतुलित करने के लिए 2020 में लॉन्च किया गया था। 2017-18 में शुरू हुई ओवरसीज फेलोशिप योजना भारतीय महिला वैज्ञानिकों और प्रौद्योगिकीविदों को एसटीईएम में अंतरराष्ट्रीय सहयोगात्मक अनुसंधान करने का अवसर प्रदान करती है। कई महिला वैज्ञानिकों ने भारत के पहले मार्स ऑर्बिटर मिशन (एमओएम) या मंगलयान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिसमें अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र में वैज्ञानिक उपकरणों का निर्माण और परीक्षण भी शामिल है।
महिला रोजगार को प्रोत्साहित करने के लिए, हाल ही में अधिनियमित श्रम संहिताओं में कई सक्षम प्रावधान जैसे कि महिला श्रमिकों के लिए अनुकूल कार्य वातावरण बनाने के लिए वेतन संहिता 2019, औद्योगिक संबंध संहिता 2020, व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कामकाजी स्थिति संहिता 2020 और सामाजिक सुरक्षा संहिता 2020 शामिल किए गए हैं।
सरकार कामकाजी महिलाओं को सुरक्षित आवास उपलब्ध कराने के लिए कामकाजी महिला छात्रावास की योजना भी लागू करती है। राष्ट्रीय कृषि बाजार या ई-नाम कृषि वस्तुओं के लिए एक ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म है, योजना "किसान कॉल सेंटर" किसानों के प्रश्नों का उनकी अपनी बोली में टेलीफोन कॉल पर उत्तर देती है। किसान सुविधा, कृषि बाजार, राष्ट्रीय फसल बीमा पोर्टल, उमंग (न्यू एज़ गवर्नेंस के लिए यूनिफाइड मोबाइल एप्लिकेशन) जैसे मोबाइल एप्लिकेशन डिजिटल नवोन्मेषण महिलाओं को बाजारों की सुविधा प्राप्त होने में आने वाली बाधाओं को दूर करने या क्षतिपूर्ति करने में मदद कर रहे हैं।
भारत सरकार "मिशन शक्ति" कार्यान्वित करती है जिसके दो घटक हैं, संबल और सामर्थ्य। "संबल" के अंतर्गत बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, वन स्टॉप सेंटर, महिला हेल्प लाइन और नारी अदालत जैसे घटक प्रचालनगत हैं। उप-योजना "सामर्थ्य" के घटक हैं प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना, शक्ति सदन, महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए केंद्र, सखी निवास यानी कामकाजी महिला छात्रावास, पालना, आंगनवाड़ी सह क्रेच।
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि, प्रधानमंत्री किसान मान धन योजना, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, परंपरागत कृषि विकास योजना, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना इत्यादि जैसी किसान कल्याण योजनाएं महिला किसानों के लिए एक सक्षमकारी वातावरण का पोषण कर रही हैं। इन पहलों के माध्यम से सरकार कृषि विस्तार सेवाओं सहित उत्पादक संसाधनों तक कृषक महिलाओं की पहुंच में सुधार कर रही है, जिससे ग्रामीण महिलाओं के जीवन में समग्र सुधार आ रहा है।
राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम महिला सहकारी समितियों के उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है क्योंकि बड़ी संख्या में महिलाएँ खाद्यान्न प्रसंस्करण, वृक्षारोपण फसलों, तिलहन प्रसंस्करण, मत्स्य पालन, डेयरी और पशुधन, कताई मिलों, हथकरघा और पावरलूम बुनाई, एकीकृत सहकारी विकास परियोजनाएँ आदि से संबंधित कार्यकलापों से निपटने वाली सहकारी समितियों के साथ जुड़ी हुई हैं। सरकार की प्रमुख योजना दीन दयाल अंत्योदय योजना - राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएम) के तहत, लगभग 10 करोड़ महिला सदस्यों वाले लगभग 90 लाख महिला स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण के संबंध में ग्रामीण परिदृश्य को रूपांतरित कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत स्वीकृत लगभग 4 करोड़ घरों में से अधिकांश महिलाओं के नाम पर हैं। इन सबसे वित्तीय निर्णय लेने में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है। 'वोकल फॉर लोकल' का महिला सशक्तिकरण से बहुत बड़ा संबंध है, क्योंकि ज्यादातर स्थानीय उत्पादों की शक्ति महिलाओं के हाथ में है।सरकार ने सशस्त्र बलों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाने के लिए सक्षम प्रावधान किए हैं, जैसे फाइटर पायलटों जैसी लड़ाकू भूमिकाओं सहित महिलाओं को स्थायी कमीशन देना, राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) में महिलाओं के प्रवेश की अनुमति देना, सैनिक स्कूलों में लड़कियों को प्रवेश देना आदि। भारतीय वायु सेना (आईएएफ) में महिला अधिकारियों को सभी शाखाओं और क्षेणियों में शामिल किया जाता है। आईएएफ ने पहली बार अग्निपथ योजना के तहत महिलाओं को अग्निवीरवायु के रूप में अन्य रैंकों में शामिल किया है। वर्तमान में 154 महिला अभ्यर्थी प्रशिक्षण ले रही हैं। सरकार ने विभिन्न महिला केंद्रित पहल भी की हैं जो सरकारी सेवा में अधिक महिलाओं की भागीदारी को प्रोत्साहित कर सकती हैं। इनमें, अन्य बातों के अलावा, बाल देखभाल अवकाश (सीसीएल) का लाभ उठाना, मुख्यालय छोड़ना और सीसीएल के दौरान विदेश यात्रा पर जाना, दिव्यांग महिला कर्मचारियों को बच्चे की देखभाल के लिए 3000 रु प्रति माह विशेष भत्ता उत्तर पूर्व कैडर की अखिल भारतीय सेवा की महिला अधिकारियों के लिए विशेष छूट, कथित तौर पर यौन उत्पीड़न की शिकार महिला सरकारी कर्मचारियों को 90 दिनों तक की छुट्टी, महिलाओं को प्रतियोगी परीक्षा से शुल्क में छूट , एक ही स्थान पर पति और पत्नी की पोस्टिंग आदि शामिल है। राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को महिला बस ड्राइवरों, कंडक्टरों और पर्यटक गाइडों की संख्या बढ़ाने की भी सलाह दी गई है। इसके अतिरिक्त, सरकार ने राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में पुलिस कर्मियों की कुल संख्या में महिलाओं का प्रतिनिधित्व 33 प्रतिशत तक बढ़ाने के लिए सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को परामर्शी जारी की है।
नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने भारत की सभी अनुसूचित एयरलाइनों और प्रमुख हवाईअड्डा संचालकों को 2025 तक इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (आईएटीए) 25 में भाग लेने के लिए परामर्शी जारी किया है। यह पहल एक उद्योग-व्यापी विविधता और समावेशन परियोजना है जिसका उद्देश्य 2025 तक वरिष्ठ पदों पर महिलाओं की संख्या वर्तमान में रिपोर्ट किए गए मेट्रिक्स के मुकाबले 25 प्रतिशत या न्यूनतम 25 प्रतिशत प्रतिनिधित्व तक वृद्धि करना है।
भारतीय हवाईअड्डा प्राधिकरण (एएआई) ने हवाई यातायात नियंत्रण, अग्निशमन सेवा, हवाईअड्डा प्रचालनों जैसे संगठन के कामकाज के लिए आधारभूत संवेदनशील क्षेत्रों में महिला भागीदारी को सक्षम बनाया है। एएआई द्वारा आयोजित सीधी भर्ती प्रक्रिया में महिला उम्मीदवारों को शुल्क में और छूट प्रदान की गई है।
सार्वजनिक जीवन में महिलाओं की उपस्थिति बढ़ी है। आजादी के बाद देश में पहली बार 2019 के लोकसभा चुनाव में 81 महिलाएं लोकसभा सदस्य के रूप में चुनी गईं। पंचायती राज संस्थाओं में 1.45 मिलियन या 46 प्रतिशत से अधिक महिला निर्वाचित प्रतिनिधि हैं (33 प्रतिशत के अनिवार्य प्रतिनिधित्व के मुकाबले)। भारत के संविधान में 73वें और 74वें संशोधन (1992) ने महिलाओं के लिए पंचायतों और नगर पालिकाओं में 1/3 सीटों का आरक्षण किया था।यह जानकारी महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती स्मृति जुबिन ईरानी ने आज राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में दी।
एमजी/एआर/एसकेजे/एनजे प्रविष्टि तिथि: 13 DEC 2023 by PIB Delhi(रिलीज़ आईडी: 1985950) आगंतुक पटल : 333