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एक लैंगिक न्यायपूर्ण समाज को बढ़ावा देने तथा विभिन्न डोमेन में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा आर्थिक और राजनीतिक सशक्तिकरण तथा महिलाओं की सुरक्षा और संरक्षा में सुधार के लिए अनेक वर्षों में उठाए कदम और योजनओंकी जानकारी

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने की अमृत जेनरेशन अभियान की शुरुआत

भारत सरकार लैंगिक न्याय के लिए प्रतिबद्ध

महिलाओं के शैक्षिक, सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक सशक्तिकरण के लिए जीवन-चक्र निरंतरता आधार पर मुद्दों के समाधान के लिए बहु-आयामी दृष्टिकोण लैंगिक न्याय सरकार की एक महत्वपूर्ण प्रतिबद्धता है जैसा कि भारत के संविधान में निहित है।

एक लैंगिक न्यायपूर्ण समाज को बढ़ावा देने तथा विभिन्न डोमेन में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा आर्थिक और राजनीतिक सशक्तिकरण तथा महिलाओं की सुरक्षा और संरक्षा में सुधार के लिए अनेक वर्षों में कदम उठाए गए हैं।

 इनमें

·        आपराधिक कानूनों और विशेष कानूनों जैसे घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005;

·        दहेज निषेध अधिनियम, 1961

·        बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006

·        महिलाओं का अश्लील प्रतिनिधित्व (निषेध) अधिनियम, 1986

·        महिलाओं का यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013

·        अनैतिक दुर्व्यापार (रोकथाम) अधिनियम, 1956

·        सती निवारण आयोग अधिनियम, 1987

·        यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम, 2012

·        किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015  आदि शामिल हैं।

इसके अतिरिक्त, सरकार देश भर में की महिलाओं सुरक्षा, संरक्षा और सशक्तिकरण को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है। सरकार ने महिलाओं से जुड़े मुद्दों के समाधान के लिए उनके शैक्षिक, सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक सशक्तिकरण के लिए जीवन-चक्र निरंतरता के आधार पर बहु-आयामी दृष्टिकोण अपनाया है ताकि महिलाएं तेजी से और सतत राष्ट्रीय विकास में समान भागीदार बन सकें।

देश में महिलाओं के समग्र विकास और सशक्तिकरण के लिए पिछले कुछ वर्षों में अनेक पहल की गई हैं।

·        समग्र शिक्षा

·        छात्रवृत्ति योजनाएं

·        बाबू जगजीवन राम छात्रावास योजना

·        स्वच्छ विद्यालय मिशन

आदि जैसी पहलें यह सुनिश्चित करती हैं कि स्कूल, विशेष रूप से समाज के कमजोर वर्गों के लिए, लड़कियों के लिए अनुकूल हों और उनकी विशेष आवश्यकताओं को पूरा करने की पर्याप्त सुविधाएं उपलब्ध हों।

ई-लर्निंग-

शिक्षा मंत्रालय का उच्च शिक्षा विभाग देश भर के विद्यार्थियों को ई-लर्निंग के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए 'सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के माध्यम से

·        राष्ट्रीय शिक्षा मिशन' (एनएमईआईसीटी) योजना

·        स्वयं (स्टडी वेब्स ऑफ एक्टिव लर्निंग फॉर यंग एस्पायरिंग माइंड्स)

·        स्वयं प्रभा

·      नेशनल डिजिटल लाइब्रेरी (एनडीएल)

·        वर्चुअल लैब

·        ई-यंत्र, एनईएटी (नेशनल एजुकेशन एलायंस फॉर टेक्नोलॉजी)

 आदि का संचालन कर रहा है।

प्रधानमंत्री विद्या लक्ष्मी कार्यक्रम-  इसके  अंतर्गत सरकार द्वारा विद्या लक्ष्मी पोर्टल (वीएलपी) लॉन्च किया गया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि विद्यार्थी बैंकों की एकल खिड़की प्रणाली से आसानी से शिक्षा ऋण प्राप्त कर सकें। सभी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) को पोर्टल पर ऑन-बोर्ड किया गया है।

विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (एसटीईएम) में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए योजना -

विज्ञान ज्योति-

पिछले वर्षों में इंजीनियरिंग , गणित (एसटीईएम) विज्ञान व प्रौद्योगिकी,इस क्षेत्र में  महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए कई पहल की गई हैं। विज्ञान ज्योति इस योजना को २०२०  में वीं से १२ वीं कक्षा तक विज्ञान और प्रौद्योगिकी की विभिन्न धाराओं में लड़कियों के कम प्रतिनिधित्व को संतुलित करने के लिए लॉन्च किया गया था। वर्ष २०१७ - १८  में प्रारंभ की गई ओवरसीज फेलोशिप योजना भारतीय महिला वैज्ञानिकों और प्रौद्योगिकीविदों को एसटीईएम में अंतर्राष्ट्रीय सहयोगी अनुसंधान करने के अवसर प्रदान करती है। अनेक महिला वैज्ञानिकों ने भारत के पहले मार्स ऑर्बिटर मिशन (एमओएम) या मंगलयान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिसमें स्पेस एप्लीकेशन सेंटरspace application centre  में वैज्ञानिक उपकरणों का निर्माण और परीक्षण शामिल है।

प्रधानमंत्री आवास योजना – ग्रामीण (पीएमएवाई-जी) योजना का फोकस उद्दयेश घरों के महिला स्वामित्व है और यह निर्णय लिया गया है याने कि  घर का आवंटन महिला के नाम पर या पति और पत्नी इन दोनों के नाम पर संयुक्त रूप से किया जाएगा, सिवाय विधुर/अविवाहित/अलग हुए व्यक्ति/ट्रांसजेंडर के मामले में।

राष्ट्रीय कृषि बाजार या ई-नाम, कृषि वस्तुओं के लिए एक ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म है, यह  ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म महिलाओं को बाजारों तक पहुंचने में आने वाली बाधाओं को दूर करने या क्षतिपूर्ति करने में सहायता कर रहा है। राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) महिला सहकारी समितियों के उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है क्योंकि बड़ी संख्या में महिलाएं खाद्यान्न प्रसंस्करण, फसल रोपण, तिलहन प्रसंस्करण, मत्स्य पालन, डेयरी और पशुधन, कताई मिलों, हथकरघा और पावरलूम बुनाई, एकीकृत सहकारी विकास परियोजनाओं आदि से संबंधित गतिविधियों से निपटने वाली सहकारी समितियों में शामिल हैं।

'स्वच्छ भारत मिशन'योजना  - इस योजना के अंतर्गत ११ . ६०  करोड़ से अधिक शौचालयों का निर्माण किया , 'उज्ज्वला योजना' के तहत गरीबी रेखा से नीचे की १०. १४  करोड़ महिलाओं को स्वच्छ रसोई गैस कनेक्शन और

'जल जीवन मिशन' के अंतर्गत १९ .२६  करोड़ ग्रामीण परिवारों में से १४ .२१  करोड़ से अधिक को नल के पेयजल कनेक्शन से जोड़ने से महिलाओं का कठिन परिश्रम व  देखभाल का बोझ कम हुआ है। इससे महिलाओं के जीवन में बहुत ही बदलाव आया है।

प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि केंद्र-

इसके अतिरिक्त कई  जगहों पर  "प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि केंद्र" स्थापित किए गए हैं ताकि स्वास्थ्य सेवा में लोगों का जेब खर्च कम किया जा सके। इसका उद्देश्य यह है कि , सस्ते मूल्यों पर गुणवत्ता संपन्न जेनेरिक दवाएं प्रदान करके भारत के प्रत्येक नागरिक के स्वास्थ्य देखभाल के  बजट को कम करना है। इसके लिए देश भर में १०,००० से अधिक केंद्र काम कर रहे हैं।

सरकार ने महिला कामगारों की नियोजनीयता बढ़ाने के उद्देश्य से सरकार महिला औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों, राष्ट्रीय व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थानों तथा क्षेत्रीय व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थानों के नेटवर्क के माध्यम से उन्हें प्रशिक्षण प्रदान कर रही है।

·        महिला श्रमिकों के लिए अनुकूल कार्य वातावरण बनाने के लिए कानून - श्रम संहिताओं जैसे मजदूरी संहिता, २०१९ ,

·        औद्योगिक संबंध संहिता, २०२० , Industrial Relations Code 2020

·        व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य स्थिति संहिता, २०२० Occupational Safety, Health and Working Conditions Code, 2020

·        और सामाजिक सुरक्षा संहिता, २०२० The Code on Social Security, 2020

·  (मनरेगा)महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, २००५  (मनरेगा 'Mahatma Gandhi National Rural Employment Guarantee Act, 2005

 इन कानूनों में में कई सक्षम प्रावधान शामिल किए गए हैं। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, 2005 (मनरेगा) में कहा गया है कि योजना (मनरेगा) के अंतर्गत सृजित नौकरियों कको  कम से कम एक तिहाई महिलाओं को दिया जाना चाहिए।

कौशल भारत मिशन-

भारत सरकार ने कौशल विकास व  व्यावसायिक प्रशिक्षण के माध्यम से महिलाओं की आर्थिक स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए कौशल भारत मिशन इस मिशन का प्रारंभ किया है। राष्ट्रीय कौशल विकास नीति का फोकस उद्दयेश आर्थिक उत्पादकता के लिए महिलाओं की भागीदारी बढ़ाना समावेशी कौशल विकास पर है।

प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना-

भारत सरकार ने पूरे देश में प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के अंतर्गत कई जगहों पर प्रधानमंत्री कौशल केंद्रों की भी स्थापना की है। महिलाओं के लिए ट्रेनिंग और अप्रेंटिशिप इन दोनों के लिए अतिरिक्त आधारभूत अवसंरचना के निर्माण, मोबाइल प्रशिक्षण इकाईयों जैसी लचीली प्रशिक्षण व्यवस्था  डिलीवरी व्यवस्था, लचीले दोपहर के बैचों के साथ-साथ महिलाओं को समायोजित, सुरक्षित व  लिंग संवेदी प्रशिक्षण वातावरण, महिला प्रशिक्षकों का रोजगार, पारिश्रमिक में समानता तथा शिकायत निवारण व्यवस्था सुनिश्चित करने पर भी इसमें  बल दिया गया है।

'प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान' (पीएमजीडीआईएसएचए)

 सरकार ने ६  करोड़ ग्रामीण परिवारों (प्रति परिवार एक व्यक्ति) को कवर करके ग्रामीण भारत में डिजिटल साक्षरता प्रारंभ करने के लिए 'प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान' यह अभियान  (पीएमजीडीआईएसएचए) लॉन्च किया है। इस अभियान , योजना का उद्देश्य डिजिटल खाई को पाटना, विशेष रूप से अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति, अल्पसंख्यकों, गरीबी रेखा से नीचे आने वाले व्यक्तियों, महिलाओं तथा दिव्यांगजनों जैसे समाज के सभी उपेक्षित वर्गों सहित ग्रामीण आबादी को लक्षित करना है।

दीनदयाल अंत्योदय योजना - राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएम) के अंतर्गत लगभग ९ .९८  करोड़ महिलाएं लगभग ९०  लाख महिला स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी  हैं, महिलाओं की ऐसे समूह ग्रामीण सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य को कई नवाचारी व  सामाजिक तथा पारिस्थितिक रूप से जिम्मेदार तरीकों से बदल रही हैं, उनमे बदलाव आ रहा है साथ ही अनुशांगिक मुक्त ऋण के माध्यम से महिलाए सरकारी सहायता भी प्राप्त कर रही हैं।

भारत देश  सशस्त्र बलों में लड़कियों के लिए बड़ी भूमिकाओं को बढ़ावा दे रहा है। भारत सरकार ने कमांडो, केन्द्रीय पुलिस बलों में लड़ाकू पायलटों, भारतीय वायु सेना, सैनिक स्कूलों में प्रवेश, एनडीए में लड़कियों के प्रवेश आदि जैसे गैर-परम्परागत ऐसे क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी की अनुमति देने के लिए भी समर्थकारी प्रावधान किए हैं। भारत सरकार ने युवा स्कूली छात्राओं, विशेष रूप से कम आय वाले परिवारों से आने वाली युवा स्कूली छात्राओं पर फोकस के साथ महिला विमानन पेशेवरों के सृजन के साथ नागर विमानन क्षेत्र में महिला भागीदारी बढ़ाने के लिए कई पहल शुरू की हैं। आज भारत देश में वैश्विक औसत से १०  प्रतिशत अधिक महिला पायलट हैं। वैश्विक स्तर पर इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ वुमेन एयरलाइन पायलट्स के अनुसार लगभग ५  प्रतिशत पायलट महिलाएं हैं। भारत में महिला पायलटों की हिस्सेदारी काफी अधिक है।

प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) प्रधानमंत्री मुद्रा योजना और स्टैंड-अप इंडिया, -

महिलाओं को अपना उद्यम उद्योग  स्थापित करने में सहायता करने के लिए प्रधानमंत्री मुद्रा योजना और स्टैंड-अप इंडिया, प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) जैसी कई योजनाएं शुरू की गई हैं। महिलाओं को आर्थिक रूप से भी सशक्त बनाने के लिए स्टैंड-अप इंडिया के अंतर्गत दस लाख रुपये से एक करोड़ रुपये तक के ८१  प्रतिशत ऋण भारत सरकार द्वारा महिलाओं को उपलब्ध कराए गए हैं।

'सुकन्या समृद्धि खाता बचत योजना , पीएम जन धन योजना  -

विश्व के सबसे बड़े वित्तीय समावेशन कार्यक्रमों में से एक के अंतर्गत पीएम जन धन योजना ने २८  करोड़ से कई अधिक महिलाओं को लाभान्वित किया है, ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्रों में अपने स्वयं के बैंक खाते खोलने में। बालिकाओं के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए सरकार ने 'सुकन्या समृद्धि खाता' नामक एक बचत योजना भी लॉन्च की।

स्टार्ट-अप इंडिया-

उद्यमिता पर विशेष ध्यान के साथ सरकार ने महिलाओं के नेतृत्व वाले छोटे उद्यमों को बड़ी संख्या में ऋणों की सुविधा व  संवितरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि अब महिलाएं स्टार्ट-अप इंडिया के अंतर्गत समर्थित देश के बढ़ते स्टार्ट-अप इकोसिस्टम में एक महत्वपूर्ण शक्ति बन सकेंऔर आगे बढ़ सकें ।

महिलाओं के लिए पंचायती राज-

निचले स्तर पर महिलाओं को राजनीतिक नेतृत्व की मुख्य धारा में लाने के लिए भारत सरकार ने संविधान के ७३ वें संशोधन के माध्यम से अब महिलाओं के लिए पंचायती राज संस्थाओं (पीआरआई) में कम से कम ३३  प्रतिशत स्थान आरक्षित किए हैं। आज पंचायती राज संस्थाओं में १४ .५०  लाख से अधिक निर्वाचित महिला प्रतिनिधि (ईडब्ल्यूआर) हैं, जो कुल निर्वाचित प्रतिनिधियों का लगभग ४६  प्रतिशत है। भारत सरकार गवर्नेंस प्रक्रियाओं में प्रभावी रूप से भाग लेने के लिए महिलाओं को सशक्त बनाने की दृष्टि से निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों को उनकी क्षमता में वृद्धि के उद्देश्य से समय-समय पर महिलाओं को प्रशिक्षण प्रदान कर रही है।

नारी शक्ति वंदन अधिनियम, २०२३ -

भारत देश के सर्वोच्च राजनीतिक पदों पर महिला सशक्तिकरण व महिलाओं के प्रतिनिधित्व के लिए सबसे बड़ी छलांग नारी शक्ति वंदन अधिनियम, २०२३  (संविधान एक सौ छठा संशोधन) अधिनियम, २०२३  है। इसकी अधिसूचना सरकार द्वारा २८  सितंबर, २०२३  को जारी की गई। इसका उद्देश्य यह है कि लोक सभा व राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की विधान सभा सहित सभी राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए अब एक तिहाई सीटों के आरक्षण प्रदान करना है।

'मिशन शक्ति' नामक अम्ब्रेला योजना-

मंत्रालय ने वित्तीय वर्ष २०२२ -23  से प्रभावी १५ वें वित्त आयोग की अवधि के दौरान 'मिशन शक्ति' नामक अम्ब्रेला योजना को लागू किया, जिसका उद्देश्य यह है कि , महिलाओं की सुरक्षा, संरक्षा और सशक्तिकरण के कदम को  मजबूत बनाना है। यह जीवन-चक्र निरंतरता के आधार पर महिलाओं को प्रभावित करने वाले मुद्दों का समाधान करके और समुच्चय तथा नागरिक-स्वामित्व के माध्यम से महिलाओं को राष्ट्र-निर्माण में समान भागीदार बनाकर "महिला-नेतृत्व विकास" के लिए भारत सरकार की प्रतिबद्धता को साकार करना चाहती है। यह मंत्रालयों/विभागों व  शासन के विभिन्न स्तरों पर समुच्चय में सुधार के लिए रणनीतियों का प्रस्ताव करने पर फोकस करना चाहता है। मिशन शक्ति यह योजना डिजिटल बुनियादी ढांचे के समर्थन, अंतिम मील ट्रैकिंग व  जन भागीदारी को मजबूत करने के अतिरिक्त पंचायतों व अन्य स्थानीय स्तर के शासन निकायों की अधिक भागीदारी व  समर्थन को मिशन शक्ति यह योजना बढ़ावा देना चाहती है।

 मिशन शक्ति की दो उप-योजनाएं हैं - 'संबल' और 'समर्थ्य'

"संबल" उप-योजना- मिशन शक्ति की दो उप-योजनाएं हैं, उसमे से संबल उप योजना  महिलाओं की सुरक्षा और संरक्षा के लिए है और इसमें वन स्टॉप सेंटर (ओएससीएस), महिला हेल्पलाइन (डब्ल्यूएचएल), बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ (बीबीबीपी ) और इसमें नारी अदालत का एक नया घटक है।

"समर्थ्य" उप योजना- यह योजना महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए है और इसमें प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (पीएमएमवीवाई), उज्ज्वला, स्वाधार गृह (शक्ति सदन के रूप में नामित) और कामकाजी महिला छात्रावास (सखी निवास के रूप में नामित), राष्ट्रीय शिशु गृह योजना (नया नाम पालना) और आर्थिक सशक्तिकरण के लिए गैप फंडिंग का एक नया घटक यानी महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए हब (एचईडब्ल्यू) के घटक हैं, जिसका उद्देश्य केन्द्र, राज्य/केंद्रशासित प्रदेश और जिला स्तरों पर महिलाओं की अपनी पूर्ण क्षमता का उपयोग करने योग्य वातावरण बनाना है। देश भर में जिलों/ब्लॉकों/ग्राम पंचायतों के स्तर पर स्वास्थ्य देखभाल, गुणवत्तायुक्त शिक्षा, करियर और व्यावसायिक परामर्श/प्रशिक्षण, वित्तीय समावेशन,बैकवर्ड और फॉरवर्ड लिंकेज, उद्यमिता,कामगारों के लिए स्वास्थ्य व  सुरक्षा, सामाजिक सुरक्षा और डिजिटल साक्षरता सहित उनके सशक्तिकरण व  विकास के लिए विभिन्न संस्थागत और योजनाबद्ध व्यवस्थाओं में महिलाओं का मार्गदर्शन, लिंकिंग और हैंडहोल्डिंग इनका  प्रावधान है।

मिशन पोषण 2.0-  मिशन पोषण २.० के अंतर्गत आंगनवाड़ी सेवाएं एक सार्वभौमिक योजना है जिसके तहत गर्भवती महिलाएं व  स्तनपान कराने वाली माताएं पूरक पोषण कार्यक्रम (एसएनपी) सहित सेवाओं के लिए वह पात्र हैं। पारिश्रमिक के आंशिक मुआवजे के लिए तथा गर्भवती महिलाओं एवं स्तनपान कराने वाली माताओं के बीच स्वास्थ्य संबंधी व्यवहार को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार ने प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (पीएमएमवीवाई) लागू की है जिसका उद्देश्य यह है कि ,  गर्भवती एवं स्तनपान कराने वाली माताओं को प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) विधि से नकद प्रोत्साहन प्रदान करके गर्भावस्था, प्रसव एवं स्तनपान कराने के दौरान समुचित पद्धति, देखरेख तथा संस्थागत सेवा उपयोग को बढ़ावा देना है। इस योजना के माध्यम से लगभग ३ .२९  करोड़ महिलाओं को लाभ दिया गया है। पालना के रूप में बच्चों को दिन की देखभाल सुविधाएं व  संरक्षण प्रदान करने के लिए सभी राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में एक उप-योजना कार्यान्वित की जा रही है। सभी एकल शिशुगृहों को आंगनवाड़ी सह शिशुगृहों में परिवतत करके बाल देखरेख की सेवाओं का विस्तार किया गया है ताकि अपने भारत देश के अधिक से अधिक माताओं को काम करने व  देखभाल करने वालों के कार्यबल में भागीदारी बढाई जा सके।

मातृत्व लाभ अधिनियम में २०१७  में संशोधन - किया गया था ताकि पहले दो बच्चों के लिए भुगतान किए गए मातृत्व अवकाश को १२ सप्ताह से बढ़ाकर २६  सप्ताह किया जा सके। यह अधिनियम महिला श्रमिकों को भुगतान मातृत्व अवकाश व निर्धारित दूरी के भीतर पचास या अधिक कर्मचारियों वाले प्रतिष्ठानों में क्रेच सुविधा प्रदान करता है। महिला को सौंपे गए कार्य की प्रकृति के आधार पर अधिनियम की धारा ५ (५) में ऐसी अवधि के लिए मातृत्व लाभ प्राप्त करने के बाद महिला के लिए घर से काम करने का भी प्रावधान है और ऐसी शर्तों पर नियोक्ता व  महिला दोनों परस्पर सहमत हो सकते हैं।

सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा आयोजित टाइम यूज सर्वे (टीयूएस) (जनवरी-दिसंबर २०१९ ) के अनुसार ग्रामीण व शहरी भारत इन दोनों में लगभग ८०  प्रतिशत महिलाएं परिवार के सदस्यों के लिए अवैतनिक घरेलू सेवाओं में शामिल हैं, जो प्रतिदिन लगभग ५  घंटे समर्पित करती हैं। लगभग २०  प्रतिशत पुरुष प्रति दिन लगभग १  घंटा और ३०  मिनट समर्पित करते हैं।

राष्ट्रीय महिला सशक्तीकरण नीति का उद्देश्य है कि अन्य बातों के साथ-साथ पुरुषों एवं महिलाओं इन दोनों की सक्रिय भागीदारी एवं सहभागिता से सामाजिक मनोवृत्तियों एवं सामुदायिक पद्धतियों में परिवर्तन लाना है। यह महिलाओं के दृष्टिकोण को सुनिश्चित करने के लिए नीतिगत निर्देश प्रदान करता है जो ऐसी प्रक्रियाओं में उनकी भागीदारी को संस्थागत बनाकर मैक्रो-इकोनॉमिक व  सामाजिक नीतियों को डिजाइन और कार्यान्वित करने में शामिल हैं। नीति का उद्देश्य औपचारिक और अनौपचारिक क्षेत्रों (घर आधारित श्रमिकों सहित) में महिलाओं को उत्पादकों और श्रमिकों के रूप में पहचानना है व  रोजगार से संबंधित उचित नीतियां व  महिलाओं कि  कामकाजी परिस्थितियों को इसी के अनुरूप तैयार किया जाता है।

महिला श्रम बल भागीदारी-

सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा आयोजित आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण के अनुसार महिला श्रम बल भागीदारी दर (सामान्य स्थिति, `१५  वर्ष और उससे अधिक) लगातार २०१७ -१८  में २३ .३ प्रतिशत से बढ़कर २०२२ -२३  में ३७ .०  प्रतिशत हो गई है, जैसा कि नीचे दी गई तालिका में दिखाया गया है: 

सर्वेक्षण अवधि

महिला श्रम बल भागीदारी दर (प्रतिशत)

(सामान्य स्थिति, आयु १५  वर्ष और अधिक)

२०१७ - १८ 

२३.३

२०१८  - १९ 

२४.५

२०१९  - २० ३० . ० 
२०२०  - २१ 

३२ .५ 

२०२१   - २२     

३२.८ 

२०२२   - २३

३७ . ० 

 महिला श्रम बल भागीदारी दर में १३७  प्रतिशत की यह महत्वपूर्ण उछाल है भारत देश में श्रम बल में महिलाओं की भागीदारी और महिलाओं के रोजगार की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए उनके दीर्घकालिक सामाजिक- आर्थिक  विकास के उद्देश्य से नीतिगत पहलों के माध्यम से महिलाओं का सशक्तिकरण सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा निर्धारित निर्णायक एजेंडे का परिणाम है।

 आज लोकसभा में महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती स्मृति जुबिन ईरानी ने एक लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।

एमजी/एआर/एजी/एचब(रिलीज़ आईडी: 2004606) आगंतुक पटल : 207 प्रविष्टि तिथि: 09 FEB 2024 by PIB Delhi



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छत्तीसगढ़ की सशक्त समाजसेवी महिलाओं को जानकारी उपलब्ध करवाने वाले डिजिटल मंच पर प्रकाशित की गई है सारी जानकारी.............. जानिये कैसे आप भी बन सकती है स्कुल, कॉलेज, अस्पताल, उद्योग, शासकीय कार्यालयों जैसे संस्थान के आंतरिक परिवाद समिति की सदस्य ........................................................ पढ़िए और जानिए एक सशक्त महिला होने का अवसर आपके पास भी कैसे है ! ................................... उम्र, शैक्षणिक योग्यता, राजनैतिक पद जैसे विषय आपको अपनी सशक्त प्रशासनिक भूमिका बनाने से रोक नहीं सकते हैं .................................. क्योकि महिलाओं के मुद्दों को दृढ़ता से रखने की सक्षमता रखने वाली महिला को आतंरिक परिवाद समिति का सदस्य बनाया जाता है .... नीचे लिखी है पूरी जानकारी 👇👇👇

  पहल करिये आंतरिक परिवाद समिति का गठन करवाने के लिए पहल करिये यदि आप कामकाजी महिला है तो अपने कार्यालय में इस समिति का गठन करवाईये और यदि कामकाजी महिला नहीं हैं तो अपने आस पास के कार्यस्थलों में आंतरिक परिवाद समिति बनवाने के लिए पहल करिए जानकारी मांगिये आपकी सुरक्षा और सम्मान को सुनिश्चित करवाना अब आपके हाथों में है क्योंकि महिलाओं का कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न (निवारण , प्रतिषेध और प्रतितोष) अधिनियम , 2013 आपको यह अधिकार प्रदान करता है की आप जिस भी कार्यक्षेत्र में जायेंगे वहां आपको उस कार्यक्षेत्र की आंतरिक परिवाद समिति का संरक्षण मिले इसलिए सभी कार्यस्थलों से आंतरिक परिवाद समिति गठन की जानकारी मांगिये |   भागीदारी दीजिए जिन कार्यस्थलों के नियोक्ताओं ने स्वविवेक से अपने कार्यस्थल पर आंतरिक परिवाद समिति का गठन किया है उन कार्यस्थलों के कामकाजी माहौल को गरिमापूर्ण बनाने के लिए कार्यशालाओं का आयोजन करिए और इस विषय की जानकारी को साझा करने का माध्यम बनिए । प्रश्न पुछिये ? जिन कार्यस्थलों पर आंतरिक परिवाद समिति का गठन नही किया गया है ऐसे कार्यस्थलों के नियोक्ता...

एनटीपीसी ने बालिका सशक्तिकरण मिशन के नए संस्करण का शुभारंभ किया है, यह कार्यक्रम भारत सरकार की बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ पहल के अनुरूप है और इसका उद्देश्य लड़कियों की कल्पनाओं को पोषित करके और अवसरों का पता लगाने की उनकी क्षमता को बढ़ावा देकर लैंगिक असमानता को मिटाना है।

 बालिका सशक्तिकरण मिशन   बालिका सशक्तिकरण मिशन (जीईएम) का नया संस्करण लॉन्च करने की तैयारी भारत की सबसे बड़ी एकीकृत बिजली कंपनी एनटीपीसी लिमिटेड अपनी प्रमुख कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी पहल, कर रही है।बालिका सशक्तिकरण मिशन यह कार्यक्रम भारत सरकार की बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ पहल के अनुरूप है व  इसका उद्देश्य यह है कि ,लड़कियों की कल्पनाओं को पोषित करके और उनके अवसरों का पता लगाने की उनकी क्षमता को बढ़ावा देकर लैंगिक असमानता को मिटाना है। बालिका सशक्तिकरण मिशन गर्मी की छुट्टियों के दौरान युवा लड़कियों के लिए पूर्ण १  महीने की कार्यशाला आयोजित कि जाती है और  उसके माध्यम से लड़कियों को  उनके सर्वांगीण उत्थान और विकास के लिए एक मंच प्रदान करता है। जीईएम का यह नया संस्करण अप्रैल 2024 से शुरू हुआ ,और  अब  यह नया संस्करण बिजली क्षेत्र के पीएसयू के 42 चिन्हित स्थानों पर समाज के वंचित वर्गों के लगभग ३,000 मेधावी बच्चों को जोड़ेगा। इसके साथ साथ ही इस  बालिका सशक्तिकरण मिशन से लाभान्वित होने वाले बच्चों की कुल संख्या १०,000 से अधिक हो जाएगी। २०१८  ...

महिलाओं की व्यवहारिक सुरक्षा व्यवस्था को सुनिश्चित करवाने के लिए शासन ने नियम कानून बना दिया है और प्रत्येक कार्यस्थल पर आंतरिक शिकायत समिति का अनिवार्यतः गठन करने का निर्देश भी जारी कर दिया है... आप भी इस समिति की अधिकृत सदस्य बन सकती है पढ़िए कैसे...

शासकीय कार्यालयों के आंतरिक शिकायत समिति के बाहरी सदस्य बनिए और सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में अपनी अलग पहचान बनाकर महिला शक्तिकरण के लिए अग्रणी भूमिका निभाईये... आंतरिक शिकायत समिति का महत्व आंतरिक शिकायत समिति (आईसीसी) कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न से मुक्त, सुरक्षित और भय-रहित वातावरण प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह समिति कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013 के तहत गठित की जाती है। आंतरिक शिकायत समिति के महत्व के कुछ प्रमुख बिंदु: 1. महिलाओं के लिए सुरक्षित वातावरण: आईसीसी महिलाओं को कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न से सुरक्षा प्रदान करती है। यह महिलाओं को डर और भय के बिना काम करने का माहौल प्रदान करती है। 2. यौन उत्पीड़न की शिकायतों का निवार ण: आईसीसी यौन उत्पीड़न की शिकायतों का त्वरित और निष्पक्ष तरीके से निवारण करती है। यह शिकायतकर्ता और प्रतिवादी दोनों को सुनवाई का अवसर प्रदान करती है। 3. यौन उत्पीड़न के मामलों की गोपनीयता: आईसीसी यौन उत्पीड़न के मामलों की गोपनीयता बनाए रखती है। यह शिकायतकर्ता की पहचान और जानकारी को गुप्त रखती है। 4. ज...

उज्ज्वल भविष्य के लिए बालिकाओं को सशक्त बनाना

  अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस   उज्ज्वल भविष्य के लिए बालिकाओं को सशक्त बनाना - हर साल ११ अक्टूबर को मनाये जाने वाला अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस, दुनिया भर में बालिकाओं को सशक्त बनाने व उनकी सुरक्षा करने की जरूरत को पुरजोर तरीके से याद दिलाता है , यह दिन बालिकाओं के लिए लैंगिक समानता , शिक्षा और अवसरों के जैसे महत्त्व पर प्रकाश डालता है । अधिक   जानकारी   के   लिए   यहां  पर  क्लिक   करें :-   अंतर्राष्ट्रीय   बालिका   दिवस अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस ****  

कार्यस्थलों पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न के खिलाफ एक बड़ा कदम

विगत दिंनाक २ सितंबर २०२४ को केंद्र सरकार द्वारा महिला सुरक्षा एवं गरिमा को सुनिश्चित करने के लिए नियम , कानून को सशक्त बनाया गया है और व्यथित महिलाओंको शिकायत दर्ज कराने के लिए SHe Box शी-बॉक्स नामक इलेक्ट्रॉनिक व्यवस्था स्थापित की गई है , जिसका सह–विस्तार विवरण अग्रलिखित है :  सभी   कार्यस्थलों पर महिलाओं को सुरक्षित माहौल प्रदान करना ! देश में हर एक कार्यस्थलों पर महिलाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने  केंद्रीय मंत्री श्रीमती अन्नपूर्णा देवीजी  के नेतृत्व में २९ अगस्त २०२४ को आयोजित एक कार्यक्रम में नया शी-बॉक्स पोर्टल लॉन्च किया है। इस केंद्रीकृत प्लेटफॉर्म को कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न से संबंधित शिकायतों के पंजीकरण और निगरानी को कारगर बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। नई दिल्ली में आयोजित इस लॉन्च कार्यक्रम में मंत्रालय की नई वेबसाइट का भी अनावरण किया गया। इन दोनों से ही सरकार की जनता के साथ डिजिटल सहभागिता बढ़ने की उम्मीद है।   केंद्रीय मंत्री ने लॉन्च किया शी-बॉक्स पोर्टल कार्यस्थल पर उत्पीड़न के खिलाफ एक ...

उपराष्ट्रपति ने जोर देकर यह कहा कि सूक्ष्म लैंगिक भेदभाव चिंताजनक है, लैंगिक न्याय के लिए पुरुष मानसिकता में बदलाव की आवश्यकता है, उपराष्ट्रपति ने महिलाओं से आग्रह किया, चुनौतियों का सामना करें और बाधाओं को तोड़कर आगे बढ़ें

   " लक्षणात्मक विकृति" इन जैसी टिप्पणियां महिलाओं के खिलाफ हिंसा की बर्बरता को कम करके आंकती हैं और यह बेहद ही  शर्मनाक है-  उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़जी लोकसभा और राज्य विधानसभाओंमें महिलाओं के लिए आरक्षण एक युगांतरकारी कदम है ; अतीत के गौरव को वापस पाने के लिए यह एक बड़ा प्रयास है , उपराष्ट्रपति ने आगाह किया , इवेंट मैनेजमेंट के जरिए प्रतिष्ठित हैसियत हासिल करने वाले सभी स्वार्थी लोगों से सतर्क रहें, उन्होंने कहा कि  , हाल के वर्षों में महिलाओं के विकास से महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास में आमूलचूल बदलाव आ रहा  है उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़जी  ने आज पुरुष मानसिकता में बदलाव लाने और व्यापक लैंगिक संवेदनशीलता के लिए भी अपील की। दिल्ली के ताज पैलेस इस होटल में आज नेटवर्क १८ समूह द्वारा आयोजित "महिला सशक्तिकरण के लिए समग्र दृष्टिकोण" इस विषय पर शी शक्ति 2024 में अपना संबोधन देते हुए , श्री धनखड़जी ने समाज में फैले सूक्ष्म लैंगिक भेदभाव पर ध्यान देने पर जोर दिया।  लैंगिक न्याय के लिए पुरुषों की मानसिकता में बदलाव की आवश्यकता है, उपराष्ट्रपतिजी...

वन स्टॉप सेंटर - यह घरेलू और सार्वजनिक जगहों पर महिलाओं को हिंसा और संकट से निपटने के लिए एक ही छत के नीचे एकीकृत सहयोग और सहायता प्रदान करता है।

  वन स्टॉप सेंटर - वन स्टॉप सेंटर (ओएससी) यह   मिशन शक्ति के अंतर्गत चलाए जा रही संबल पहल का घटक है।   वन स्टॉप सेंटर घरेलू और सार्वजनिक जगहों पर महिलाओं को हिंसा और संकट से निपटने के लिए एक ही छत के नीचे एकीकृत सहयोग और सहायता प्रदान करता है। वन स्टॉप सेंटर जरूरतमंद महिलाओं को चिकित्सा सहायता , कानूनी सहायता और सलाह , अस्थायी आश्रय , पुलिस सहायता और मनो-सामाजिक परामर्श जैसी सेवाएं प्रदान करता है। देश भर में संचालित ८०२   वन स्टॉप सेंटर से दस  लाख से अधिक महिलाओं को सहायता मिली - आज की तारीख में , स्वीकृत 878 वन स्टॉप सेंटर (ओएससी) में से , देश भर में 802 ओएससी चालू हैं और इनमें 31 अक्टूबर , 2024 तक 10.12 लाख से अधिक महिलाओं को सहायता प्रदान की गई है। इसके अलावा , शक्ति सदन मिशन शक्ति के तहत सामर्थ्य पहल का यह एक घटक है। यह तस्करी करके लाई गई महिलाओं सहित संकटग्रस्त सभी महिलाओं के लिए एकीकृत राहत व  पुनर्वास गृह है।   वन स्टॉप सेंटर (ओएससी) का   उद्देश्य यह है कि संकट की स्थिति में महिलाओं के लिए सुरक्षित और सक्षम वातावरण बन...

शिक्षा मंत्रालय ने बोर्ड परीक्षाओं के दौरान विद्यालयों के लिए मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन के लिए अग्रसक्रिय उपायों की घोषणा की, मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन एक लड़की के समग्र कल्याण का एक महत्वपूर्ण पहलू है और यह उसके शैक्षणिक प्रदर्शन के रास्ते में आड़े नहीं आना चाहिए।

  शिक्षा मंत्रालय के अंतर्गत काम करने वाले विद्यालय शिक्षा और साक्षरता विभाग ने बोर्ड परीक्षाओं के समय  स्कूलों के लिए मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन के लिए कुछ अग्रसक्रिय उपायों की घोषणा की है , जिससे   10 वीं और 12 वीं कि  बोर्ड परीक्षाओं के दौरान महिला छात्रों के स्वास्थ्य , गरिमा और उनकी शैक्षणिक सफलता को सुनिश्चित किया जा सके।  परीक्षाओं के दौरान स्वच्छता उत्पादों और मासिक धर्म स्वच्छता सुविधाओं तक सीमित पहुंच के कारण लड़कियों के सामने आने वाली इन चुनौतियों को समझते हुए ,  शिक्षा मंत्रालय के अंतर्गत काम करने वाले   विद्यालय शिक्षा और साक्षरता विभाग ने राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों के सभी स्कूलों , केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड , केंद्रीय विद्यालय संगठन और नवोदय विद्यालय समिति इनको एक परामर्श जारी किया है। मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन एक लड़की के समग्र कल्याण का एक महत्वपूर्ण अंग है ,पहलू है और यह उसके शैक्षणिक प्रदर्शन के रास्ते में कभी भी आड़े नहीं आना चाहिए। इसलिए विद्यालय शिक्षा और साक्षरता विभाग 10 वीं और 12 वीं बोर्ड परीक्षाओं के दौरान महि...