एक लैंगिक न्यायपूर्ण समाज को बढ़ावा देने तथा विभिन्न डोमेन में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा आर्थिक और राजनीतिक सशक्तिकरण तथा महिलाओं की सुरक्षा और संरक्षा में सुधार के लिए अनेक वर्षों में उठाए कदम और योजनओंकी जानकारी
भारत सरकार लैंगिक न्याय के लिए प्रतिबद्ध
महिलाओं के शैक्षिक, सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक सशक्तिकरण के लिए जीवन-चक्र निरंतरता आधार पर मुद्दों के समाधान के लिए बहु-आयामी दृष्टिकोण लैंगिक न्याय सरकार की एक महत्वपूर्ण प्रतिबद्धता है जैसा कि भारत के संविधान में निहित है।
एक लैंगिक न्यायपूर्ण समाज को बढ़ावा देने तथा विभिन्न डोमेन में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा आर्थिक और राजनीतिक सशक्तिकरण तथा महिलाओं की सुरक्षा और संरक्षा में सुधार के लिए अनेक वर्षों में कदम उठाए गए हैं।
इनमें
· आपराधिक कानूनों और विशेष कानूनों जैसे घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005;
· दहेज निषेध अधिनियम, 1961
· बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006
· महिलाओं का अश्लील प्रतिनिधित्व (निषेध) अधिनियम, 1986
· महिलाओं का यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013
· अनैतिक दुर्व्यापार (रोकथाम) अधिनियम, 1956
· सती निवारण आयोग अधिनियम, 1987
· यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम, 2012
· किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 आदि शामिल हैं।
इसके अतिरिक्त, सरकार देश भर में की महिलाओं सुरक्षा, संरक्षा और सशक्तिकरण को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है। सरकार ने महिलाओं से जुड़े मुद्दों के समाधान के लिए उनके शैक्षिक, सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक सशक्तिकरण के लिए जीवन-चक्र निरंतरता के आधार पर बहु-आयामी दृष्टिकोण अपनाया है ताकि महिलाएं तेजी से और सतत राष्ट्रीय विकास में समान भागीदार बन सकें।
देश में महिलाओं के समग्र विकास और सशक्तिकरण के लिए पिछले कुछ वर्षों में अनेक पहल की गई हैं।
· समग्र शिक्षा
· छात्रवृत्ति योजनाएं
· बाबू जगजीवन राम छात्रावास योजना
· स्वच्छ विद्यालय मिशन
आदि जैसी पहलें यह सुनिश्चित करती हैं कि स्कूल, विशेष रूप से समाज के कमजोर वर्गों के लिए, लड़कियों के लिए अनुकूल हों और उनकी विशेष आवश्यकताओं को पूरा करने की पर्याप्त सुविधाएं उपलब्ध हों।
ई-लर्निंग-
शिक्षा मंत्रालय का उच्च शिक्षा विभाग देश भर के विद्यार्थियों को ई-लर्निंग के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए 'सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के माध्यम से
· राष्ट्रीय शिक्षा मिशन' (एनएमईआईसीटी) योजना
· स्वयं (स्टडी वेब्स ऑफ एक्टिव लर्निंग फॉर यंग एस्पायरिंग माइंड्स)
· स्वयं प्रभा
· नेशनल डिजिटल लाइब्रेरी (एनडीएल)
· वर्चुअल लैब
· ई-यंत्र, एनईएटी (नेशनल एजुकेशन एलायंस फॉर टेक्नोलॉजी)
आदि का संचालन कर रहा है।
प्रधानमंत्री विद्या लक्ष्मी कार्यक्रम- इसके अंतर्गत सरकार द्वारा विद्या लक्ष्मी पोर्टल (वीएलपी) लॉन्च किया गया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि विद्यार्थी बैंकों की एकल खिड़की प्रणाली से आसानी से शिक्षा ऋण प्राप्त कर सकें। सभी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) को पोर्टल पर ऑन-बोर्ड किया गया है।
विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (एसटीईएम) में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए योजना -
विज्ञान ज्योति-
पिछले वर्षों में विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (एसटीईएम) में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए कई पहल की गई हैं। विज्ञान ज्योति को 2020 में 9वीं से 12वीं कक्षा तक विज्ञान और प्रौद्योगिकी की विभिन्न धाराओं में लड़कियों के कम प्रतिनिधित्व को संतुलित करने के लिए लॉन्च किया गया था। वर्ष 2017-18 में प्रारंभ की गई ओवरसीज फेलोशिप योजना भारतीय महिला वैज्ञानिकों और प्रौद्योगिकीविदों को एसटीईएम में अंतर्राष्ट्रीय सहयोगी अनुसंधान करने के अवसर प्रदान करती है। अनेक महिला वैज्ञानिकों ने भारत के पहले मार्स ऑर्बिटर मिशन (एमओएम) या मंगलयान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिसमें स्पेस एप्लीकेशन सेंटर में वैज्ञानिक उपकरणों का निर्माण और परीक्षण शामिल है।
प्रधानमंत्री आवास योजना – ग्रामीण (पीएमएवाई-जी) योजना का फोकस घरों के महिला स्वामित्व है और यह निर्णय लिया गया है कि घर का आवंटन महिला के नाम पर या पति और पत्नी के नाम पर संयुक्त रूप से किया जाएगा, सिवाय विधुर/अविवाहित/अलग हुए व्यक्ति/ट्रांसजेंडर के मामले में।
राष्ट्रीय कृषि बाजार या ई-नाम, कृषि वस्तुओं के लिए एक ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म महिलाओं को बाजारों तक पहुंचने में आने वाली बाधाओं को दूर करने या क्षतिपूर्ति करने में सहायता कर रहा है। राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) महिला सहकारी समितियों के उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है क्योंकि बड़ी संख्या में महिलाएं खाद्यान्न प्रसंस्करण, फसल रोपण, तिलहन प्रसंस्करण, मत्स्य पालन, डेयरी और पशुधन, कताई मिलों, हथकरघा और पावरलूम बुनाई, एकीकृत सहकारी विकास परियोजनाओं आदि से संबंधित गतिविधियों से निपटने वाली सहकारी समितियों में शामिल हैं।
'स्वच्छ भारत मिशन' योजना के अंतर्गत 11.60 करोड़ से अधिक शौचालयों का निर्माण, 'उज्ज्वला योजना' के तहत गरीबी रेखा से नीचे की 10.14 करोड़ महिलाओं को स्वच्छ रसोई गैस कनेक्शन और
'जल जीवन मिशन' के अंतर्गत 19.26 करोड़ ग्रामीण परिवारों में से 14.21 करोड़ से अधिक को नल के पेयजल कनेक्शन से जोड़ने से महिलाओं का कठिन परिश्रम और देखभाल का बोझ कम हुआ है। इससे महिलाओं के जीवन में बदलाव आया है।
प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि केंद्र-
इसके अतिरिक्त "प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि केंद्र" स्थापित किए गए हैं ताकि स्वास्थ्य सेवा में जेब खर्च कम किया जा सके। इसका उद्देश्य सस्ते मूल्यों पर गुणवत्ता संपन्न जेनेरिक दवाएं प्रदान करके भारत के प्रत्येक नागरिक के स्वास्थ्य देखभाल बजट को कम करना है। देश भर में 10,000 से अधिक केंद्र काम कर रहे हैं।
महिला कामगारों की नियोजनीयता बढ़ाने के उद्देश्य से सरकार महिला औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों, राष्ट्रीय व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थानों तथा क्षेत्रीय व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थानों के नेटवर्क के माध्यम से उन्हें प्रशिक्षण प्रदान कर रही है।
· महिला श्रमिकों के लिए अनुकूल कार्य वातावरण बनाने के लिए कानून - श्रम संहिताओं जैसे मजदूरी संहिता, 2019,
· औद्योगिक संबंध संहिता, 2020,
· व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य स्थिति संहिता, 2020
· और सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020
· महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, 2005 (मनरेगा)
में कई सक्षम प्रावधान शामिल किए गए हैं। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, 2005 (मनरेगा) में कहा गया है कि योजना (मनरेगा) के अंतर्गत सृजित नौकरियों का कम से कम एक तिहाई महिलाओं को दिया जाना चाहिए।
कौशल भारत मिशन-
सरकार ने कौशल विकास और व्यावसायिक प्रशिक्षण के माध्यम से महिलाओं की आर्थिक स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए कौशल भारत मिशन प्रारंभ किया है। राष्ट्रीय कौशल विकास नीति का फोकस बेहतर आर्थिक उत्पादकता के लिए महिलाओं की भागीदारी बढ़ाना समावेशी कौशल विकास पर है।
प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना-
सरकार ने पूरे देश में प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के अंतर्गत प्रधानमंत्री कौशल केंद्रों की भी स्थापना की है। महिलाओं के लिए ट्रेनिंग और अप्रेंटिशिप दोनों के लिए अतिरिक्त आधारभूत अवसंरचना के निर्माण, मोबाइल प्रशिक्षण इकाईयों जैसी लचीली प्रशिक्षण डिलीवरी व्यवस्था, लचीले दोपहर के बैचों के साथ-साथ महिलाओं को समायोजित, सुरक्षित और लिंग संवेदी प्रशिक्षण वातावरण, महिला प्रशिक्षकों का रोजगार, पारिश्रमिक में समानता तथा शिकायत निवारण व्यवस्था सुनिश्चित करने पर बल दिया गया है।
'प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान' (पीएमजीडीआईएसएचए)
भारत सरकार ने 6 करोड़ ग्रामीण परिवारों (प्रति परिवार एक व्यक्ति) को कवर करके ग्रामीण भारत में डिजिटल साक्षरता प्रारंभ करने के लिए 'प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान' (पीएमजीडीआईएसएचए) लॉन्च किया है। इस योजना का उद्देश्य डिजिटल खाई को पाटना, विशेष रूप से अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति, अल्पसंख्यकों, गरीबी रेखा से नीचे आने वाले व्यक्तियों, महिलाओं तथा दिव्यांगजनों जैसे समाज के उपेक्षित वर्गों सहित ग्रामीण आबादी को लक्षित करना है।
दीनदयाल अंत्योदय योजना - राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएम) के अंतर्गत लगभग 9.98 करोड़ महिलाएं लगभग 90 लाख महिला स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी जुड़ी हैं, महिलाओं की ऐसे समूह ग्रामीण सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य को कई नवाचारी और सामाजिक तथा पारिस्थितिक रूप से जिम्मेदार तरीकों से बदल रही हैं, साथ ही अनुशांगिक मुक्त ऋण के माध्यम से सरकारी सहायता भी प्राप्त कर रही हैं।
भारत सशस्त्र बलों में लड़कियों के लिए बड़ी भूमिकाओं को बढ़ावा दे रहा है। सरकार ने भारतीय वायु सेना, कमांडो, केन्द्रीय पुलिस बलों में लड़ाकू पायलटों, सैनिक स्कूलों में प्रवेश, एनडीए में लड़कियों के प्रवेश आदि जैसे गैर-परम्परागत क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी की अनुमति देने के लिए भी समर्थकारी प्रावधान किए हैं। सरकार ने युवा स्कूली छात्राओं, विशेष रूप से कम आय वाले परिवारों से आने वाली छात्राओं पर फोकस के साथ महिला विमानन पेशेवरों के सृजन के साथ नागर विमानन क्षेत्र में महिला भागीदारी बढ़ाने के लिए कई पहल की हैं। आज देश में वैश्विक औसत से 10 प्रतिशत अधिक महिला पायलट हैं। वैश्विक स्तर पर इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ वुमेन एयरलाइन पायलट्स के अनुसार लगभग 5 प्रतिशत पायलट महिलाएं हैं। भारत में महिला पायलटों की हिस्सेदारी काफी अधिक है।
प्रधानमंत्री मुद्रा योजना और स्टैंड-अप इंडिया, प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी)-
महिलाओं को अपना उद्यम स्थापित करने में सहायता करने के लिए प्रधानमंत्री मुद्रा योजना और स्टैंड-अप इंडिया, प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) जैसी योजनाएं शुरू की गई हैं। महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए स्टैंड-अप इंडिया के अंतर्गत दस लाख रुपये से एक करोड़ रुपये तक के 81 प्रतिशत ऋण सरकार द्वारा महिलाओं को उपलब्ध कराए गए हैं।
पीएम जन धन योजना, 'सुकन्या समृद्धि खाता बचत योजना -
विश्व के सबसे बड़े वित्तीय समावेशन कार्यक्रमों में से एक के अंतर्गत पीएम जन धन योजना ने 28 करोड़ से अधिक महिलाओं को लाभान्वित किया है, ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्रों में अपने स्वयं के बैंक खाते खोलने में। बालिकाओं के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए सरकार ने 'सुकन्या समृद्धि खाता' नामक एक बचत योजना लॉन्च की।
स्टार्ट-अप इंडिया-
उद्यमिता पर विशेष ध्यान के साथ भारत सरकार ने महिलाओं के नेतृत्व वाले छोटे उद्यमों को बड़ी संख्या में ऋणों की सुविधा और संवितरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि महिलाएं स्टार्ट-अप इंडिया के अंतर्गत समर्थित देश के बढ़ते स्टार्ट-अप इकोसिस्टम में एक महत्वपूर्ण शक्ति बन सकें।
महिलाओं के लिए पंचायती राज-
निचले स्तर पर महिलाओं को राजनीतिक नेतृत्व की मुख्य धारा में लाने के लिए सरकार ने संविधान के 73वें संशोधन के माध्यम से महिलाओं के लिए पंचायती राज संस्थाओं (पीआरआई) में कम से कम 33 प्रतिशत स्थान आरक्षित किए हैं। आज पंचायती राज संस्थाओं में 14.50 लाख से अधिक निर्वाचित महिला प्रतिनिधि (ईडब्ल्यूआर) हैं, जो कुल निर्वाचित प्रतिनिधियों का लगभग 46 प्रतिशत है। सरकार गवर्नेंस प्रक्रियाओं में प्रभावी रूप से भाग लेने के लिए महिलाओं को सशक्त बनाने की दृष्टि से निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों को उनकी क्षमता में वृद्धि के उद्देश्य से समय-समय पर प्रशिक्षण प्रदान कर रही है।
नारी शक्ति वंदन अधिनियम, 2023-
देश के सर्वोच्च राजनीतिक पदों पर महिला सशक्तिकरण और महिलाओं के प्रतिनिधित्व के लिए सबसे बड़ी छलांग नारी शक्ति वंदन अधिनियम, 2023 (संविधान एक सौ छठा संशोधन) अधिनियम, 2023 है। इसकी अधिसूचना सरकार द्वारा 28 सितंबर, 2023 को जारी की गई। इसका उद्देश्य लोक सभा और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की विधान सभा सहित राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटों के आरक्षण प्रदान करना है।
'मिशन शक्ति' नामक अम्ब्रेला योजना-
मंत्रालय ने वित्तीय वर्ष 2022-23 से प्रभावी 15वें वित्त आयोग की अवधि के दौरान 'मिशन शक्ति' नामक अम्ब्रेला योजना को लागू किया, जिसका उद्देश्य महिलाओं की सुरक्षा, संरक्षा और सशक्तिकरण के कदम को मजबूत बनाना है। यह जीवन-चक्र निरंतरता के आधार पर महिलाओं को प्रभावित करने वाले मुद्दों का समाधान करके और समुच्चय तथा नागरिक-स्वामित्व के माध्यम से उन्हें राष्ट्र-निर्माण में समान भागीदार बनाकर "महिला-नेतृत्व विकास" के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को साकार करना चाहती है। यह मंत्रालयों/विभागों और शासन के विभिन्न स्तरों पर समुच्चय में सुधार के लिए रणनीतियों का प्रस्ताव करने पर फोकस करना चाहता है। यह योजना डिजिटल बुनियादी ढांचे के समर्थन, अंतिम मील ट्रैकिंग और जन भागीदारी को मजबूत करने के अतिरिक्त पंचायतों और अन्य स्थानीय स्तर के शासन निकायों की अधिक भागीदारी और समर्थन को बढ़ावा देना चाहती है।
मिशन शक्ति की दो उप-योजनाएं हैं - 'संबल' और 'समर्थ्य'।
"संबल" उप-योजना- महिलाओं की सुरक्षा और संरक्षा के लिए है और इसमें वन स्टॉप सेंटर (ओएससीएस), महिला हेल्पलाइन (डब्ल्यूएचएल), बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ (बीबीबीपी ) और नारी अदालत का एक नया घटक है।
"समर्थ्य" उप योजना- महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए है और इसमें प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (पीएमएमवीवाई), उज्ज्वला, स्वाधार गृह (शक्ति सदन के रूप में नामित) और कामकाजी महिला छात्रावास (सखी निवास के रूप में नामित), राष्ट्रीय शिशु गृह योजना (नया नाम पालना) और आर्थिक सशक्तिकरण के लिए गैप फंडिंग का एक नया घटक यानी महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए हब (एचईडब्ल्यू) के घटक हैं, जिसका उद्देश्य केन्द्र, राज्य/केंद्रशासित प्रदेश और जिला स्तरों पर महिलाओं की अपनी पूर्ण क्षमता का उपयोग करने योग्य वातावरण बनाना है। देश भर में जिलों/ब्लॉकों/ग्राम पंचायतों के स्तर पर स्वास्थ्य देखभाल, गुणवत्तायुक्त शिक्षा, करियर और व्यावसायिक परामर्श/प्रशिक्षण, वित्तीय समावेशन, उद्यमिता, बैकवर्ड और फॉरवर्ड लिंकेज, कामगारों के लिए स्वास्थ्य और सुरक्षा, सामाजिक सुरक्षा और डिजिटल साक्षरता सहित उनके सशक्तिकरण और विकास के लिए विभिन्न संस्थागत और योजनाबद्ध व्यवस्थाओं में महिलाओं का मार्गदर्शन, लिंकिंग और हैंडहोल्डिंग का प्रावधान है।
मिशन पोषण 2.0- के अंतर्गत आंगनवाड़ी सेवाएं एक सार्वभौमिक योजना है जिसके तहत गर्भवती महिलाएं और स्तनपान कराने वाली माताएं पूरक पोषण कार्यक्रम (एसएनपी) सहित सेवाओं के लिए पात्र हैं। पारिश्रमिक के आंशिक मुआवजे के लिए तथा गर्भवती महिलाओं एवं स्तनपान कराने वाली माताओं के बीच स्वास्थ्य संबंधी व्यवहार को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (पीएमएमवीवाई) लागू की है जिसका उद्देश्य गर्भवती एवं स्तनपान कराने वाली माताओं को प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) विधि से नकद प्रोत्साहन प्रदान करके गर्भावस्था, प्रसव एवं स्तनपान कराने के दौरान समुचित पद्धति, देखरेख तथा संस्थागत सेवा उपयोग को बढ़ावा देना है। इस योजना के माध्यम से लगभग 3.29 करोड़ महिलाओं को लाभ दिया गया है। पालना के रूप में बच्चों को दिन की देखभाल सुविधाएं और संरक्षण प्रदान करने के लिए सभी राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में एक उप-योजना कार्यान्वित की जा रही है। सभी एकल शिशुगृहों को आंगनवाड़ी सह शिशुगृहों में परिवतत करके बाल देखरेख की सेवाओं का विस्तार किया गया है ताकि अधिक से अधिक माताओं को काम करने और देखभाल करने वालों के कार्यबल में भागीदारी बढाई जा सके।
मातृत्व लाभ अधिनियम में 2017 में संशोधन - किया गया था ताकि पहले दो बच्चों के लिए भुगतान किए गए मातृत्व अवकाश को 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह किया जा सके। यह अधिनियम महिला श्रमिकों को भुगतान मातृत्व अवकाश और निर्धारित दूरी के भीतर पचास या अधिक कर्मचारियों वाले प्रतिष्ठानों में क्रेच सुविधा प्रदान करता है। महिला को सौंपे गए कार्य की प्रकृति के आधार पर अधिनियम की धारा 5(5) में ऐसी अवधि के लिए मातृत्व लाभ प्राप्त करने के बाद महिला के लिए घर से काम करने का भी प्रावधान है और ऐसी शर्तों पर नियोक्ता और महिला परस्पर सहमत हो सकते हैं।
सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा आयोजित टाइम यूज सर्वे (टीयूएस) (जनवरी-दिसंबर 2019) के अनुसार ग्रामीण और शहरी भारत दोनों में लगभग 80 प्रतिशत महिलाएं परिवार के सदस्यों के लिए अवैतनिक घरेलू सेवाओं में शामिल हैं, जो प्रतिदिन लगभग 5 घंटे समर्पित करती हैं। लगभग 20 प्रतिशत पुरुष प्रति दिन लगभग 1 घंटा और 30 मिनट समर्पित करते हैं।
राष्ट्रीय महिला सशक्तीकरण नीति का उद्देश्य अन्य बातों के साथ-साथ पुरुषों एवं महिलाओं दोनों की सक्रिय भागीदारी एवं सहभागिता से सामाजिक मनोवृत्तियों एवं सामुदायिक पद्धतियों में परिवर्तन लाना है। यह महिलाओं के दृष्टिकोण को सुनिश्चित करने के लिए नीतिगत निर्देश प्रदान करता है जो ऐसी प्रक्रियाओं में उनकी भागीदारी को संस्थागत बनाकर मैक्रो-इकोनॉमिक और सामाजिक नीतियों को डिजाइन और कार्यान्वित करने में शामिल हैं। नीति का उद्देश्य औपचारिक और अनौपचारिक क्षेत्रों (घर आधारित श्रमिकों सहित) में महिलाओं को उत्पादकों और श्रमिकों के रूप में पहचानना है और रोजगार से संबंधित उचित नीतियां और उनकी कामकाजी परिस्थितियों को इसी के अनुरूप तैयार किया जाता है।
महिला श्रम बल भागीदारी-
सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा आयोजित आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण के अनुसार महिला श्रम बल भागीदारी दर (सामान्य स्थिति, 15 वर्ष और उससे अधिक) लगातार 2017-18 में 23.3 प्रतिशत से बढ़कर 2022-23 में 37.0 प्रतिशत हो गई है, जैसा कि नीचे दी गई तालिका में दिखाया गया है:
सर्वेक्षण अवधि |
महिला श्रम बल भागीदारी दर (प्रतिशत) (सामान्य स्थिति, आयु 15 वर्ष और अधिक) |
2017-18 |
23.3 |
2018-19 |
24.5 |
2019-20 |
30.0 |
2020-21 |
32.5 |
2021-22 |
32.8 |
2022-23 |
37.0 |
महिला श्रम बल भागीदारी दर में 137 प्रतिशत की यह महत्वपूर्ण उछाल देश में श्रम बल में महिलाओं की भागीदारी और उनके रोजगार की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए उनके दीर्घकालिक सामाजिक-आथक विकास के उद्देश्य से नीतिगत पहलों के माध्यम से महिलाओं का सशक्तिकरण सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा निर्धारित निर्णायक एजेंडे का परिणाम है।
यह जानकारी आज लोकसभा में महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती स्मृति जुबिन ईरानी ने एक लिखित उत्तर में दी।
एमजी/एआर/एजी/एचब(रिलीज़ आईडी: 2004606) आगंतुक पटल : 207 प्रविष्टि तिथि: 09 FEB 2024 by PIB Delhi