सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

कामकाजी महिलाओं को संरक्षण देने वाले नियम और कानून को जानिये

राष्ट्रीय वैधानिक रूपरेखा

भारत में विशाखा दिशानिर्देश पहला कानूनी कदम है जिसके आधार पर कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न रोकने और इसके समाधान की दिशा में एक विस्तृत ढाँचे की रूपरेखा बनी। इससे इस बात को मान्यता मिली कि कार्यस्थल पर

महिलाओं का यौन उत्पीड़न,

उनके लैंगिक समानता के अधिकार,

जीवन व व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मूल अधिकार और

कोई भी व्यवसाय चुनने के अधिकारों का उल्लंघन करता है

तो वह अपराध कहलाएगा l

उल्लेखनीय है की कामकाजी महिलाओं के अधिकार को विशाखा दिशानिर्देश से स्पष्ट कानूनी आधार मिला इसलिए विशाखा दिशानिर्देशों पर आधारित न्यायिक फैसले, और इन दिशानिर्देशों के परिपालन की स्थिति के बारे में आगे वस्तृत रूप से चर्चा की गई है

जानिये विशाखा दिशानिर्देशों का इतिहास :

'विशाखा एवं अन्य बनाम राजस्थान सरकार 1997 के महत्वपूर्ण मुकदमे से भारत में कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के मुद्दे को महत्व प्राप्त हुआ। यह मुकदमा था सामाजिक कार्यकर्ता भंवरी देवी के सामूहिक बलात्कार का एक महिला संगठन 'विशाखा' और 4 अन्य लोगों के एक सामूहिक मंच की ओर से उच्चतम न्यायालय में दायर याचिका का संज्ञान लेते हुए उच्चतम न्यायालय ने निर्देश जारी किये, सन् 2013 में यौन उत्पीड़न कानून पारित होने तक ये निर्देश यौन उत्पीड़न रोकने के लिए दिशानिर्देशक की भूमिका निभाते रहे। ये निर्देश जिन्हें विशाखा दिशा निर्देशों का नाम दिया गया 13 अगस्त 1997 को किए गए एक ऐतिहासिक न्यायिक फैसले का अंग थे।

इसमें कहा गया था कि यौन उत्पीड़न, लैंगिक समानता और व्यावसायिक स्वतंत्रता के अधिकारों का उल्लंघन करता है। इसमें यौन उत्पीड़न की परिभाषा शामिल थी, जिसके अनुसार "ऐसा व्यवहार अपमानजनक हो सकता है और महिलाओं के स्वास्थ्य और सुरक्षा में बाधा पहुंचा सकता है। इसमें यौन उत्पीड़न रोकने और इस पर काबू करने के तरीकों पर जोर दिया गया। याचिका ने सुनवाई के दिशा निर्देश पर जारी किये गये थे

कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध व निवारण) अधिनियम 2013

सन 2012 में यौन उत्पीड़न और महिलाओं पर हिंसा की बढ़ती घटनाओं के चलते भारत में इसके खिलाफ कड़े कदम उठाने की मांग की गई। इसी संदर्भ में महिलाओं को कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न से सुरक्षा दिलाने और यौन उत्पीड़न की शिकायतों के निदान की दिशा में सन् 2013 में यह कानून बनाया गया । इस अधिनियम के अनुसार यौन उत्पीड़न महिलाओं के समानता के मूल अधिकार, जो कि संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 21 में दिए गए हैं का उल्लंघन है। यह अनुच्छेद कानून के समक्ष समानता प्रदान करता है; धर्म, जाति, लिंग, जन्मस्थल के आधार पर भेदभाव का निषेध करता है; और जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार प्रदान करता है। इस कानून में यौन उत्पीड़न से निपटने के लिए सम्बंधित पक्षों के उपयोग हेतु परिभाषाएं और साधनों का जिक्र है, जिनका ब्यौरा अध्याय 3, 4, 5, 6 में दिया गया है। कानून के 28वें खण्ड में यह बताया गया है कि इसके प्रावधान फिलहाल किसी भी अन्य प्रचलित कानून के अतिरिक्त लागू होंगे, ना कि उनका अन्मूलन करके। इसलिए इस मार्गदर्शक पुस्तिका को विशाखा दिशानिर्देशों और सरकार द्वारा अधिसूचित अन्य नियमों के साथ मिला कर पढ़ा जाना चाहिए।

यह अधिनियम कहता है कि

कोई भी न्यायालय इस कानून या इसके नियमों के तहत दंडनीय अपराध का संज्ञान नहीं लेगा, जब तक कि पीड़ित महिला शिकायत दर्ज नहीं करती, या फिर आंतरिक शिकायत समिति (ICC) और स्थानीय शिकायत समिति (LCC) द्वारा अधिकृत व्यक्ति शिकायत दर्ज नहीं करता।

भारत का संविधान

भारत के संविधान का मूल उद्देश्य है अपने सभी नागरिकों के लिए न्याय, स्वाधीनता, समानता, भाईचारा और इज्जत सुनिश्चित करना, जैसा कि संविधान की प्रस्तावना में उल्लेख किया गया है।

 

संविधान में दिए गए मूलभूत अधिकार:

अनुच्छेद 14.

कानून के समक्ष समानता और कानूनों के समान संरक्षण का प्रावधान करता है, इसमें लैंगिक समानता भी शामिल है जो सर्वव्यापी रूप से मान्यता प्राप्त मूल अधिकार है।

अनुच्छेद 15,

धर्म, नस्ल, जाति, लिंग या जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव का निषेध करता है। 

अनुच्छेद 19 (1),

सभी नागरिकों को कोई भी व्यवसाय चुनने का अधिकार देता है।

अनुच्छेद 21

जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार को प्रतिष्ठापित करता है।

महत्वपूर्ण संवैधानिक प्रावधान

अनुच्छेद 51

राज्य अंतरराष्ट्रीय कानून और संधियों का सम्मान कायम करने की दिशा में प्रयत्न करेगा।

अनुच्छेद 253

अंतर्राष्ट्रीय समझौते के अनुपालन के लिए संसद राज्य सूचि विषय पर कानून बना सकती है।

-----------------

भारतीय दंड संहिता (IPC)

धारा 292: "यदि किसी भी व्यक्ति को अश्लील पैम्फलेट, दस्तावेज लेखन, रेखाचित्र, तस्वीर प्रतिरूप, आकृति या फिर दूसरी अश्लील सामग्री बेचते किराए पर देते वितरित करते, अथवा सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित करते पाया जाता है, तब उसको पहली बार दोषी पाये जाने पर दो साल तक का कारावास और उसके साथ दो हजार रूपए तक के जुर्माने का तथा दूसरी बार या उससे आगे दोषी पाए जाने की स्थिति में पांच साल तक के कारावास और उसके साथ-साथ पांच हजार रूपए तक के जुर्माने का दंड दिया जाएगा।

-----------------------

धारा 293: "यदि कोई व्यक्ति ऐसी किसी प्रकार की अश्लील सामग्री जिसका विवरण धारा 292 में दिया गया है, किसी अन्य व्यक्ति को बेचता किराए पर देता, बांटता दिखाता या उस तक पहुंचाता हो तब, पहली बार उसको ऐसा करने पर तीन साल तक के कारावास और दो हजार रुपए तक के जुर्माने का दंड दिया जाएगा तथा दूसरी मर्तबा या उसके आगे भी कुसूरवार पाए जाने पर तीन साल तक के कारावास और पांच हजार रूपए तक के जुर्माने का दंड दिया जाएगा।

------------------------

धारा 294 "जो भी व्यक्ति (1) किसी सार्वजनिक स्थल पर या उसके निकट, कोई अश्लील काम करे, या (ii) कोई अश्लील गौत, कविता या शब्द मुंह से निकालता हो जिससे औरों को परेशानी होती है तब उसको तीन महीने का कारावास या जुर्माने का दंड मिलेगा या फिर दोनों ही बातें एक साथ लागू होंगी।

------------------------

धारा 354: "जो भी व्यक्ति किसी महिला के ऊपर उसका शील भंग करने के उद्देश्य से, अथवा यह जानते हुए भी कि उसके ऐसे आचरण से महिला का शील भंग होगा, उसपर हमला या फिर अनुचित बल प्रयोग करता है, तब दोनों में से किसी भी कोटि में किए गए अपराध के लिए उसे दो साल तक के कारावास या जुर्माने का दंड मिलेगा या फिर दोनों बातें एक साथ लागू होंगी।

-------------------------

धारा 354 A "भारतीय दंड संहिता में यह धारा कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध व निवारण) अधिनियम, 2013 को अध्यक्षीय स्वीकृति मिलने के बाद जोड़ी गई। संशोधित आपराधिक कानून अधिनियम (amended criminal law act). 2013 हाल ही में शामिल की गई इस धारा के जरिए यौन उत्पीड़न की परिघटना को मान्यता प्रदान करता है एवं इसके लिए दंड का प्रावधान करता है।

---------------------

भारतीय दंड संहिता के तहत यौन उत्पीड़न की परिभाषा एवं दंड के प्रावधान निम्नलिखित में से किसी भी प्रकार का आचरण करने वाला पुरूष यौन उत्पीड़न के अपराध का दोषी माना जाएगा:

1. अवांछनीय एवं स्पष्ट यौन संकेतों को व्यक्त करने वाले शारीरिक स्पर्श एवं चेष्टाएं; अथवा

2. यौन संबंध कायम करने की मांग या अनुरोध; अथवा

3. किसी महिला की इच्छा के विपरीत उसे अश्लील सामग्री दिखाना; अथवा

4. यौन मंतव्यों वाली टिप्पणियां करना उपनियम (1), (2) अथवा (3) में उल्लिखित अपराधों के दोषी पुरुष को दिया जानेवाला दंड: तीन साल तक का सश्रम कारावास या जुरमाना या फिर दोनों।

उपनियम 4, में उल्लिखित अपराध के दोषी पुरुष को दिया जाने वाला दंड एक साल तक का कारावास या जुरमाना या फिर दोनों।

-----------------------

धारा 354 C (Voyeurism) तांक झांक करना: "फिर भी कोई भी पुरुष जो किसी ऐसे स्थान पर निजी कार्य में संलग्न किसी महिला को ऐसी स्थिति में देखता है या उसकी तस्वीर उतारता है, जहाँ आम तौर पर महिला को अपराधी अथवा अपराधी के इशारे पर किसी अन्य व्यक्ति द्वारा खुद के देखे जाने की अपेक्षा नहीं हो या फिर ऐसी तस्वीरों को प्रसारित करता है। ऐसे व्यक्ति को पहली बार दोषी पाए जाने पर तीन से सात साल तक के कारावास और जुरमाना भरने का तथा आगे दूसरी बार दोषी पाए जाने पर एक साल तक का कारावास और जुर्माने का दंड दिया जाएगा।

----------------------

धारा 354 D (पीछा करना -stalking): "किसी पुरुष को पीछा करने के अपराध का दोषी माना जाएगा यदि वह (1) किसी महिला द्वारा स्पष्ट रूप से अनिच्छा व्यक्त करने के उपरान्त भी उक्त महिला के साथ अंतरंग संपर्क कायम करने के लिए लगातार उसका पीछा करता है अथवा संपर्क कायम करने का प्रयास करता है, या फिर (2) किसी महिला विशेष के इंटरनेट, ई-मेल या किसी अन्य इलेक्ट्रॉनिक संचार साधनों के प्रयोग पर निगरानी रखता है, अथवा (3) किसी महिला के ऊपर कुछ इस प्रकार से निगरानी रखता है या फिर उसकी जासूसी करता है जिससे उस महिला के मन में हिंसा का भय या गम्भीर खतरे

---------------------

"निजी कार्य" से आशय है कि ऐसे स्थान पर, अथवा ऐसी परिस्थितियों के बीच किसी महिला को देखना, जहाँ पर एकांत होने की महिला की अपेक्षा सर्वथा उचित हैं, और जहां पर पीड़ित महिला के गुप्तांग, शरीर का पृष्ठवर्ती भाग या स्तन अनावृत हों, अथवा उसने केवल अन्तर्वस्त्र धारण कर रखे हों; या फिर पीड़ित महिला शौचालय का इस्तेमाल कर रही हो, या इस प्रकार की यौन क्रिया में संलग्न हो जिसे सामान्यतया सार्वजनिक स्थान पर नहीं किया जाता। इसमें यह बात भी शामिल है कि पीड़ित महिला यदि अपनी तस्वीर उतारने की सहमति तो देती है लेकिन तस्वीर किसी तीसरे व्यक्ति के हाथ में देने की बात पर सहमत नहीं होती और यदि तस्वीरों अथवा कार्यों को प्रसारित किया जाता है तब इस धारा के तहत ऐसे प्रसारण को अपराध माना जाए का अंदेशा या फिर संकट महसूस होता है, अथवा जिससे महिला कि मानसिक शांति भंग होती है। इनमें से किसी भी आचरण के दंडस्वरूप एक से पांच साल तक का कारावास और जुर्माना भुगतना पड़ेगा।

--------------------

धारा 375 (बलात्कार): किसी व्यक्ति को बलात्कार की वैधानिक परिभाषा के अनुरूप इस कृत्य का अपराधी माना जाएगा यदि

 1 यह कृत्य महिला की सहमति के बगैर हुआ है।

2 उसकी इच्छा के विपरीत हुआ है।

3 यदि मृत्यु अथवा क्षति का भय दिखाकर उसकी सहमति हासिल की जाती है।

4 यदि महिला के मादक दवाओं अथवा शराब के नशे में होने के दौरान उसकी सहमति ली जाती है।

5 उसके पति होने का स्वांग रचकर उसकी सहमति प्राप्त की जाती है।

6 जब वह पागलपन की स्थिति में हो अथवा मानसिक रूप से कमजोर हो, और यह समझने की स्थिति में नहीं हो कि पुरूष उसके साथ क्या करने जा रहा है। 

7 सहमति अथवा असहमति से जब उसकी आयु 18 वर्ष से कम हो जब वह अपनी सहमति व्यक्त करने में असमर्थ हो

-------------------------

धारा 509 महिला का शील भंग करने के उद्देश्य से अथवा यह जानते हुए भी कि इस प्रकार का आचरण करने से महिला की मर्यादा भंग होगी, सार्वजनिक स्थल पर हमले में से किसी भी कोटि के अपराध के लिए दंड स्वरूप एक से पांच साल तक के कारावास व जुर्माने का प्रावधान है। किसी महिला का शील-भंग, उस पर हुए हमले या उसके अपमान की घटनाओं को सुनिश्चित करने की सबसे अच्छी कसौटी है

1 महिला का शील भंग करने की नियत

2 यह जानकारी होना कि अपराधी के ऐसे आचरण से उसका शील भंग होगा

3 अपराधी का व्यवहार कुछ ऐसा हो, जिसे महिला के भद्रता-बोध को ठेस पहुंचाने वाले आचरण के रूप में महसूस किया जा सके।

---------------------------

 महिलाओं का अश्लील चित्रण (निषेध) अधिनियम, 1986

इस अधिनियम के तहत अगर एक व्यक्ति किसी दूसरे को महिलाओं का अश्लील चित्रण करने वाली किताबों, चित्रों, तस्वीरों फिल्मों परचों, पैकेजों द्वारा परेशान या उत्पीड़ित करे तो उसे कम से कम दो साल की सजा हो सकती है। भाग 7 ( कंपनियों का अपराध) कहता है कि जिन कंपनियों में महिलाओं का अश्लील चित्रण" (जैसे पोर्नोग्राफी) कंपनी परिसर में किया गया हो, उन्हें भी अधिनियम के तहत दोषी करार देते हुए उसे भी कम से कम दो साल की सजा हो सकती है।

 


 

अगर आप महिला अधिकार और सुरक्षा के विषयों पर अपना योगदान देना चाहते है डेली अपडेट हेतु फ़ॉलोअर बनिए

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

कामकाजी महिलाओं की सुरक्षा… एक गंभीर विषय है गौरतलब रहे की इस ज्वलंत विषय पर सभी शिकायत तो करते हैं लेकिन अपनी नागरिक जिम्मेदारी नहीं निभाते हैं इसलिए जानिए महिला सुरक्षा को लेकर क्या है आपकी नागरिक जिम्मेदारी…

भारत में कामकाजी महिलाओं की सुरक्षा एक ज्वलंत विषय है। कामकाजी महिलाओं के खिलाफ अपराधों में होती गुणात्मक वृद्धि के साथ, यह चिंता बढ़ रही है कि. कार्यस्थल में भी महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं। यहां कुछ मुख्य मुद्दे दिए गए हैं: यौन उत्पीड़न:   यह एक गंभीर समस्या है, जिसमें महिलाओं को अवांछित टिप्पणी, छूना, या यौन संबंध बनाने के लिए दबाव सहना पड़ता है। भेदभाव:   महिलाओं को पुरुषों की तुलना में कम वेतन, कम पदोन्नति के अवसर और कम सुविधाएं मिल सकती हैं। असुरक्षित कार्य वातावरण:   कुछ कार्यस्थलों में महिलाओं को असुरक्षित परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है, जैसे कि खराब रोशनी, अपर्याप्त सुरक्षा उपाय, और लंबे समय तक काम करना। गौरतलब रहे कि, आप भी शासकीय तंत्र का हिस्सा बनकर महिला सुरक्षा के लिए अधिकृत संरक्षक की भूमिका निभा सकते हैं  इस लिंक पर है पूरी जानकारी क्लिक करिए  आप सूचना का अधिकार प्रयोग कर महिला सुरक्षा सुनिश्चित करवा सकते हैं उल्लेखनीय है की आप इस लिंक से सूचना का अधिकार आवेदन कॉपी कर करके सभी शासकीय कार्यालयों के मुखिया को सबक सिखा सकते हैं  RTI आवेदन कॉ...

छत्तीसगढ़ की सशक्त समाजसेवी महिलाओं को जानकारी उपलब्ध करवाने वाले डिजिटल मंच पर प्रकाशित की गई है सारी जानकारी.............. जानिये कैसे आप भी बन सकती है स्कुल, कॉलेज, अस्पताल, उद्योग, शासकीय कार्यालयों जैसे संस्थान के आंतरिक परिवाद समिति की सदस्य ........................................................ पढ़िए और जानिए एक सशक्त महिला होने का अवसर आपके पास भी कैसे है ! ................................... उम्र, शैक्षणिक योग्यता, राजनैतिक पद जैसे विषय आपको अपनी सशक्त प्रशासनिक भूमिका बनाने से रोक नहीं सकते हैं .................................. क्योकि महिलाओं के मुद्दों को दृढ़ता से रखने की सक्षमता रखने वाली महिला को आतंरिक परिवाद समिति का सदस्य बनाया जाता है .... नीचे लिखी है पूरी जानकारी 👇👇👇

  पहल करिये आंतरिक परिवाद समिति का गठन करवाने के लिए पहल करिये यदि आप कामकाजी महिला है तो अपने कार्यालय में इस समिति का गठन करवाईये और यदि कामकाजी महिला नहीं हैं तो अपने आस पास के कार्यस्थलों में आंतरिक परिवाद समिति बनवाने के लिए पहल करिए जानकारी मांगिये आपकी सुरक्षा और सम्मान को सुनिश्चित करवाना अब आपके हाथों में है क्योंकि महिलाओं का कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न (निवारण , प्रतिषेध और प्रतितोष) अधिनियम , 2013 आपको यह अधिकार प्रदान करता है की आप जिस भी कार्यक्षेत्र में जायेंगे वहां आपको उस कार्यक्षेत्र की आंतरिक परिवाद समिति का संरक्षण मिले इसलिए सभी कार्यस्थलों से आंतरिक परिवाद समिति गठन की जानकारी मांगिये |   भागीदारी दीजिए जिन कार्यस्थलों के नियोक्ताओं ने स्वविवेक से अपने कार्यस्थल पर आंतरिक परिवाद समिति का गठन किया है उन कार्यस्थलों के कामकाजी माहौल को गरिमापूर्ण बनाने के लिए कार्यशालाओं का आयोजन करिए और इस विषय की जानकारी को साझा करने का माध्यम बनिए । प्रश्न पुछिये ? जिन कार्यस्थलों पर आंतरिक परिवाद समिति का गठन नही किया गया है ऐसे कार्यस्थलों के नियोक्ता...

कामाच्या ठिकाणी महिलांचा लैंगिक छळ (प्रतिबंध, प्रतिबंध आणि निवारण) कायदा २०१३ या कायदानुसार, कामाच्या ठिकाणी लैंगिक छळ म्हणजे काय?

  जर हा प्रश्न तुमच्यासमोर असेल तर खालील माहिती तुमच्यासाठी आहे… सुरक्षित आणि गरिमापूर्ण वातावरण असणारे  कामाचे  ठिकाण असे असायला हवे कि ,ज्यामध्ये लैंगिक छळ थांबवन्यास कायदेशीर व्यवस्था असेल  आणि कामाच्या ठिकाणावर काम करनारया सर्व लोकानाही माहित असयाला हवे की अनिष्ट कृत्य किंवा वर्तन कोणते आहेत कामाची ठिकाणे लैंगिक छळापासून मुक्त राहावीत आणि महिलांना सुरक्षित आणि सुरक्षित वातावरण मिळावे यासाठी हा कायदा तयार करण्यात आला आहे . कामाच्या ठिकाणी महिलांचा लैंगिक छळ (प्रतिबंध, प्रतिबंध आणि निवारण) कायदा , २०१३ या कायदानुसार, कामाच्या ठिकाणी लैंगिक छळ म्हणजे काय? लैंगिक छळ म्हणजे  खाली नमूद केलेली थेट अथवा गर्भितार्थ कृती किंवा वागणूक लैंगिक छळ हे जे कि , कोणतेही अनिष्ट कृत्य किंवा वर्तन आहे (मग ती व्यक्त किंवा निहित), जसे :- शारीरिक संपर्क किंवा आगाऊ  लैंगिक अनुकूलतेसाठी मागणी किंवा विनंती  लैंगिक रंगीत टिप्पणी करणे  पोर्नोग्राफी दाखवत आहे  लैंगिक स्वभावाचे इतर कोणतेही शारीरिक, शाब्दिक किंवा गैर-मौखिक असे आचरण. लैंगिक अर्थाच्या टिप्पणी कामाच्या ठिक...

एनटीपीसी ने बालिका सशक्तिकरण मिशन के नए संस्करण का शुभारंभ किया है, यह कार्यक्रम भारत सरकार की बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ पहल के अनुरूप है और इसका उद्देश्य लड़कियों की कल्पनाओं को पोषित करके और अवसरों का पता लगाने की उनकी क्षमता को बढ़ावा देकर लैंगिक असमानता को मिटाना है।

 बालिका सशक्तिकरण मिशन   बालिका सशक्तिकरण मिशन (जीईएम) का नया संस्करण लॉन्च करने की तैयारी भारत की सबसे बड़ी एकीकृत बिजली कंपनी एनटीपीसी लिमिटेड अपनी प्रमुख कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी पहल, कर रही है।बालिका सशक्तिकरण मिशन यह कार्यक्रम भारत सरकार की बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ पहल के अनुरूप है व  इसका उद्देश्य यह है कि ,लड़कियों की कल्पनाओं को पोषित करके और उनके अवसरों का पता लगाने की उनकी क्षमता को बढ़ावा देकर लैंगिक असमानता को मिटाना है। बालिका सशक्तिकरण मिशन गर्मी की छुट्टियों के दौरान युवा लड़कियों के लिए पूर्ण १  महीने की कार्यशाला आयोजित कि जाती है और  उसके माध्यम से लड़कियों को  उनके सर्वांगीण उत्थान और विकास के लिए एक मंच प्रदान करता है। जीईएम का यह नया संस्करण अप्रैल 2024 से शुरू हुआ ,और  अब  यह नया संस्करण बिजली क्षेत्र के पीएसयू के 42 चिन्हित स्थानों पर समाज के वंचित वर्गों के लगभग ३,000 मेधावी बच्चों को जोड़ेगा। इसके साथ साथ ही इस  बालिका सशक्तिकरण मिशन से लाभान्वित होने वाले बच्चों की कुल संख्या १०,000 से अधिक हो जाएगी। २०१८  ...

महिलाओं की व्यवहारिक सुरक्षा व्यवस्था को सुनिश्चित करवाने के लिए शासन ने नियम कानून बना दिया है और प्रत्येक कार्यस्थल पर आंतरिक शिकायत समिति का अनिवार्यतः गठन करने का निर्देश भी जारी कर दिया है... आप भी इस समिति की अधिकृत सदस्य बन सकती है पढ़िए कैसे...

शासकीय कार्यालयों के आंतरिक शिकायत समिति के बाहरी सदस्य बनिए और सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में अपनी अलग पहचान बनाकर महिला शक्तिकरण के लिए अग्रणी भूमिका निभाईये... आंतरिक शिकायत समिति का महत्व आंतरिक शिकायत समिति (आईसीसी) कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न से मुक्त, सुरक्षित और भय-रहित वातावरण प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह समिति कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013 के तहत गठित की जाती है। आंतरिक शिकायत समिति के महत्व के कुछ प्रमुख बिंदु: 1. महिलाओं के लिए सुरक्षित वातावरण: आईसीसी महिलाओं को कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न से सुरक्षा प्रदान करती है। यह महिलाओं को डर और भय के बिना काम करने का माहौल प्रदान करती है। 2. यौन उत्पीड़न की शिकायतों का निवार ण: आईसीसी यौन उत्पीड़न की शिकायतों का त्वरित और निष्पक्ष तरीके से निवारण करती है। यह शिकायतकर्ता और प्रतिवादी दोनों को सुनवाई का अवसर प्रदान करती है। 3. यौन उत्पीड़न के मामलों की गोपनीयता: आईसीसी यौन उत्पीड़न के मामलों की गोपनीयता बनाए रखती है। यह शिकायतकर्ता की पहचान और जानकारी को गुप्त रखती है। 4. ज...

आपराधिक कानूनों पर राष्‍ट्रीय वेबिनार ,हाल ही में लागू किए गए आपराधिक कानूनों ‘भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस), और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए)’ पर आधारित था। यह पहल विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों के कल्‍याण के लिए इन परिवर्तनकारी कानूनी बदलावों के बारे में राष्ट्रव्यापी जागरूकता और जानकारी बढ़ाने के लिए है, और इन कानूनों में महिलाओं और बच्‍चों की सुरक्षा, गरिमा और संरक्षा से संबंधित विशेषताओं पर जोर दिया गया।।

  म हिला और बाल विकास मंत्रालय ने ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्रालय इनके  सहयोग से नए आपराधिक कानूनों पर दूसरा राष्‍ट्रीय वेबिनार आयोजित किया गया  महिला और बाल विकास मंत्रालय ने ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्रालय इन दोनों के  सहयोग से नए आपराधिक कानूनों पर दूसरे  राष्‍ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया। इसका आयोजन अभी देश में लागू किए गए आपराधिक कानूनों ‘के भारतीय न्याय संहिता (BNS) , भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) , और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) पर आधारित था। यह पहल विशेषत: महिलाओं और बच्चों इन दोनों के कल्‍याण के लिए इन परिवर्तनकारी कानूनी बदलावों के बारे में राष्ट्रव्यापी जागरूकता और जानकारी बढ़ाने के लिए  है। इस प्रकार  का पहला वेबिनार 21 जून , 2024 इस तिथि को आयोजित किया गया था। आज के इस वेबिनार में पंचायती राज मंत्रालय के सचिव और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय व  ग्रामीण विकास मंत्रालय के संयुक्त सचिव इन्होने उद्घाटन भाषण दिया। उन्‍होंने अपने इस संबोधन में इन नए आपराधिक कानूनों के प्रमुख प्रावधानों के बारे में पूरी जानकारी दी। पुल...

कार्यस्थलों पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न के खिलाफ एक बड़ा कदम

विगत दिंनाक २ सितंबर २०२४ को केंद्र सरकार द्वारा महिला सुरक्षा एवं गरिमा को सुनिश्चित करने के लिए नियम , कानून को सशक्त बनाया गया है और व्यथित महिलाओंको शिकायत दर्ज कराने के लिए SHe Box शी-बॉक्स नामक इलेक्ट्रॉनिक व्यवस्था स्थापित की गई है , जिसका सह–विस्तार विवरण अग्रलिखित है :  सभी   कार्यस्थलों पर महिलाओं को सुरक्षित माहौल प्रदान करना ! देश में हर एक कार्यस्थलों पर महिलाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने  केंद्रीय मंत्री श्रीमती अन्नपूर्णा देवीजी  के नेतृत्व में २९ अगस्त २०२४ को आयोजित एक कार्यक्रम में नया शी-बॉक्स पोर्टल लॉन्च किया है। इस केंद्रीकृत प्लेटफॉर्म को कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न से संबंधित शिकायतों के पंजीकरण और निगरानी को कारगर बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। नई दिल्ली में आयोजित इस लॉन्च कार्यक्रम में मंत्रालय की नई वेबसाइट का भी अनावरण किया गया। इन दोनों से ही सरकार की जनता के साथ डिजिटल सहभागिता बढ़ने की उम्मीद है।   केंद्रीय मंत्री ने लॉन्च किया शी-बॉक्स पोर्टल कार्यस्थल पर उत्पीड़न के खिलाफ एक ...

महिलाओं की सलामती और सुरक्षा के लिए फास्ट ट्रैक विशेष अदालतें प्रारंभ की गई हैं… इन अदालतों के संबध में सभी जानकारी होने पर न्यायालयीन कार्यवाहियों की प्रक्रिया के विषय पर… जन जागरूकता आयेगी तथा पीड़ित और व्यथित महिलाओं को त्वरित न्याय मिल सकेगा…

मौत की सजा महिलाओं और बालिकाओं की सुरक्षा के लिए सरकार ने आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2018 पारित करके बलात्कार के अपराधियों के लिए मौत की सजा सहित कड़ी सजा का प्रावधान किया है। यौन अपराधों की शीघ्र सुनवाई   पीड़ितों को तत्काल राहत प्रदान करने के लिए अक्टूबर 2019 से न्याय विभाग, यौन अपराधों से संबंधित मामलों की शीघ्र सुनवाई के लिए देश भर में 389 अनन्य पोक्सो न्यायालयों सहित 1023 फास्ट ट्रैक विशेष न्यायालयों (एफ. टी.एस.सी.) की स्थापना के लिए एक केंद्र प्रायोजित योजना लागू कर रहा है।  अदालत प्रारंभ हुई   ऐसी प्रत्येक अदालत में 1 न्यायिक अधिकारी और 7 सदस्य कर्मचारियों का प्रावधान किया गया है। कुल पात्र 31 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में से 28 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश इस योजना में शामिल हो चुके हैं। पुदुचेरी ने इस योजना में शामिल होने के लिए एक विशेष अनुरोध किया और मई, 2023 में एक विशेष पॉक्सो कोर्ट का संचालन किया गया। वित्तीय व्यवस्था   यह योजना शुरू में रुपये 767.25 करोड़ के कुल परिव्यय पर दो वित्तीय वर्षों 2019-20 और 2020-21 में एक वर्ष की अवधि के लिए थी। इ...

क्या आपने कभी सोचा है कि, महिलायें क्यों पिछड जाती है अगर नहीं सोचा तो सोचिये जरुर क्योंकिनिचे लिखे तिन कारण आपके भी अनुभव का हिस्सा होंगे जिनका निराकरण आपकी पहल से हो सकता इसलिए आप भी अपनी सामाजिक सक्रियता को बढाकर अग्रलिखित तिन अवरोधक परिस्थितियों के निराकरण के अपनी भागीदारी दीजिये

महिलायें क्यों पिछड़ जाति है पहला कारण नियम कानून की जानकारी नहीं होना दूसरा कारण निष्पक्ष सलाहकार का आभाव तीसरा कारण कार्यवाही प्रक्रिया से अवगत करवाने वाले सामाजिक कार्यकर्त्ता की कमी 1/ नियम कानून की जानकारी नहीं होना इस बात को कहे जाने पर शायद ही दो मत नहीं होगा की महिलाओं को नियम कानून की जानकारी देने का व्यवहारिक तंत्र हमारी शिक्षण व्यवस्था और सामाजिक व्यवस्था में नहीं है जिसके कारण नियम कानून की जानकारी के आभाव में महिलाओं को सुरक्षित और गरिमापूर्ण कामकाजी वातावरण उपलब्ध करवाने की शासकीय कार्यवाहियों में महिलाओं की भागीदारी वर्तमान में नहीं के बराबर है जबकि वास्तविकता यह है कि , लैंगिक उत्पीड़न मुक्त कामकाजी वातावरण बनाने के लिए जो शिकायत समिति विधि निर्देशानुसार प्रत्येक कार्यस्थल पर बनाए जाने का प्रावधान है उसमे महिला सदस्यों की संख्या ज्यादा रखकर बहुमत स्थापित किए जाने का विधि निर्देश दिया गया है l 2/ निष्पक्ष सलाहकार का आभाव हमारी सामाजिक और प्रशासकीय व्यवस्था में महिलाओं को निष्पक्ष सलाहकार मिलना आसान नहीं होता है विशेषकर जब महिला किसी भी...

उपराष्ट्रपति ने जोर देकर यह कहा कि सूक्ष्म लैंगिक भेदभाव चिंताजनक है, लैंगिक न्याय के लिए पुरुष मानसिकता में बदलाव की आवश्यकता है, उपराष्ट्रपति ने महिलाओं से आग्रह किया, चुनौतियों का सामना करें और बाधाओं को तोड़कर आगे बढ़ें

   " लक्षणात्मक विकृति" इन जैसी टिप्पणियां महिलाओं के खिलाफ हिंसा की बर्बरता को कम करके आंकती हैं और यह बेहद ही  शर्मनाक है-  उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़जी लोकसभा और राज्य विधानसभाओंमें महिलाओं के लिए आरक्षण एक युगांतरकारी कदम है ; अतीत के गौरव को वापस पाने के लिए यह एक बड़ा प्रयास है , उपराष्ट्रपति ने आगाह किया , इवेंट मैनेजमेंट के जरिए प्रतिष्ठित हैसियत हासिल करने वाले सभी स्वार्थी लोगों से सतर्क रहें, उन्होंने कहा कि  , हाल के वर्षों में महिलाओं के विकास से महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास में आमूलचूल बदलाव आ रहा  है उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़जी  ने आज पुरुष मानसिकता में बदलाव लाने और व्यापक लैंगिक संवेदनशीलता के लिए भी अपील की। दिल्ली के ताज पैलेस इस होटल में आज नेटवर्क १८ समूह द्वारा आयोजित "महिला सशक्तिकरण के लिए समग्र दृष्टिकोण" इस विषय पर शी शक्ति 2024 में अपना संबोधन देते हुए , श्री धनखड़जी ने समाज में फैले सूक्ष्म लैंगिक भेदभाव पर ध्यान देने पर जोर दिया।  लैंगिक न्याय के लिए पुरुषों की मानसिकता में बदलाव की आवश्यकता है, उपराष्ट्रपतिजी...