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कामकाजी महिलाओं की सुरक्षा… एक गंभीर विषय है गौरतलब रहे की इस ज्वलंत विषय पर सभी शिकायत तो करते हैं लेकिन अपनी नागरिक जिम्मेदारी नहीं निभाते हैं इसलिए जानिए महिला सुरक्षा को लेकर क्या है आपकी नागरिक जिम्मेदारी…

भारत में कामकाजी महिलाओं की सुरक्षा एक ज्वलंत विषय है। कामकाजी महिलाओं के खिलाफ अपराधों में होती गुणात्मक वृद्धि के साथ, यह चिंता बढ़ रही है कि. कार्यस्थल में भी महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं। यहां कुछ मुख्य मुद्दे दिए गए हैं: यौन उत्पीड़न:   यह एक गंभीर समस्या है, जिसमें महिलाओं को अवांछित टिप्पणी, छूना, या यौन संबंध बनाने के लिए दबाव सहना पड़ता है। भेदभाव:   महिलाओं को पुरुषों की तुलना में कम वेतन, कम पदोन्नति के अवसर और कम सुविधाएं मिल सकती हैं। असुरक्षित कार्य वातावरण:   कुछ कार्यस्थलों में महिलाओं को असुरक्षित परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है, जैसे कि खराब रोशनी, अपर्याप्त सुरक्षा उपाय, और लंबे समय तक काम करना। गौरतलब रहे कि, आप भी शासकीय तंत्र का हिस्सा बनकर महिला सुरक्षा के लिए अधिकृत संरक्षक की भूमिका निभा सकते हैं  इस लिंक पर है पूरी जानकारी क्लिक करिए  आप सूचना का अधिकार प्रयोग कर महिला सुरक्षा सुनिश्चित करवा सकते हैं उल्लेखनीय है की आप इस लिंक से सूचना का अधिकार आवेदन कॉपी कर करके सभी शासकीय कार्यालयों के मुखिया को सबक सिखा सकते हैं  RTI आवेदन कॉ...

महिलाओं की व्यवहारिक सुरक्षा व्यवस्था को सुनिश्चित करवाने के लिए शासन ने नियम कानून बना दिया है और प्रत्येक कार्यस्थल पर आंतरिक शिकायत समिति का अनिवार्यतः गठन करने का निर्देश भी जारी कर दिया है... आप भी इस समिति की अधिकृत सदस्य बन सकती है पढ़िए कैसे...

  शासकीय कार्यालयों के आंतरिक शिकायत समिति के बाहरी सदस्य बनिए और सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में अपनी अलग पहचान बनाकर महिला शक्तिकरण के लिए अग्रणी भूमिका निभाईये... आंतरिक शिकायत समिति का महत्व आंतरिक शिकायत समिति (आईसीसी) कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न से मुक्त, सुरक्षित और भय-रहित वातावरण प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह समिति कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013 के तहत गठित की जाती है। आंतरिक शिकायत समिति के महत्व के कुछ प्रमुख बिंदु: 1. महिलाओं के लिए सुरक्षित वातावरण: आईसीसी महिलाओं को कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न से सुरक्षा प्रदान करती है। यह महिलाओं को डर और भय के बिना काम करने का माहौल प्रदान करती है। 2. यौन उत्पीड़न की शिकायतों का निवार ण: आईसीसी यौन उत्पीड़न की शिकायतों का त्वरित और निष्पक्ष तरीके से निवारण करती है। यह शिकायतकर्ता और प्रतिवादी दोनों को सुनवाई का अवसर प्रदान करती है। 3. यौन उत्पीड़न के मामलों की गोपनीयता: आईसीसी यौन उत्पीड़न के मामलों की गोपनीयता बनाए रखती है। यह शिकायतकर्ता की पहचान और जानकारी को गुप्त रखती है...

राष्ट्रीय महिला दिवस पर महिला सुरक्षा, सशक्तिकरण और गरिमापूर्ण कामकाजी वातावरण दिलवाने की बात होगी National Womens Day पर कार्यक्रम आयोजित होंगे पर क्या महिलाओं की समस्याओं का निराकरण वाकई होगा... आइए पढ़ते है प्रमुख विषय...

कामकाजी महिलाओं की समस्या और उकामकाजी महिलाओं की समस्याएं और उनका निराकरण: समस्याएं: कार्य-जीवन संतुलन:  कामकाजी महिलाओं को घर और काम दोनों जगह जिम्मेदारियों को संभालना पड़ता है। यह उन्हें थका देता है और तनाव पैदा करता है। लिंगभेद:  कई कार्यस्थलों में लिंगभेद अभी भी मौजूद है। महिलाओं को समान अवसर और वेतन नहीं मिल पाता है। यौन उत्पीड़न:  कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न एक बड़ी समस्या है। महिलाओं को अक्सर पुरुष सहकर्मियों द्वारा परेशान किया जाता है। मातृत्व अवकाश:  कई महिलाओं को मातृत्व अवकाश के बाद नौकरी में वापस आने में मुश्किल होती है। बाल देखभाल:  कामकाजी महिलाओं को अपने बच्चों की देखभाल के लिए विश्वसनीय और किफायती विकल्पों की आवश्यकता होती है। निराकरण: कार्य-जीवन संतुलन:  नियोक्ताओं को लचीले काम के घंटे और दूरस्थ कार्य विकल्प प्रदान करके कार्य-जीवन संतुलन को बढ़ावा देना चाहिए। लिंगभेद:  सरकार को लिंगभेद को खत्म करने के लिए कानूनों को लागू करना चाहिए और जागरूकता अभियान चलाना चाहिए। यौन उत्पीड़न:  कार्यस्थलों में यौन उत्पीड़न की रोकथाम के लिए नीतियां औ...

आंतरिक शिकायत समिति की बाहरी सदस्य की भूमिका बेहद अहम है क्योंकि बाहरी सदस्य व्यथित महिला को संरक्षण और उसके अधिकारों का संवर्धन करती है तथा निष्पक्ष होकर दबावमुक्त वातावरण में शिकायत समिति के कामकाज को निष्पादित करने का कार्य करती है

शिकायत समिति की बाहरी सदस्य  कार्यक्षेत्र को लैंगिक उत्पीड़न मुक्त वातावरण देती है /  वह सामाजिक व्यवस्थाओं से लैंगिक भेदभाव वाले मानसिकता को  हटाती है /  व्यथित का सहारा बनकर उसका संरक्षण विधि द्वारा प्रदत प्राधिकार के आधार पर करती है ------------------------ व्यथित की मजबूरी लैंगिक उत्पीड़न से निपटने के लिए व्यवस्था और कार्यविधियों की कमी के कारण , पीड़ित व्यक्ति यह समझ नहीं पाते कि वह लैंगिक उत्पीड़न की व्यथा के बारे मे किससे बात करें और क्या कार्यवाही करें क्योंकि उसके कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न को रोकने का कोई व्यवहारिक तंत्र नहीं होता है इसलिए पीड़ित पक्ष असहाय होता है मजबूर होता है ------------------------ कार्यवाहियों की जानकारी जब पीड़ित पक्ष असहाय और मजबूर होता है ऐसी स्थिति में पीड़ित पक्ष को ऐसे दृढ़ निश्चयी महिला के सहयोग की आवश्यकता होती है जो विशेषकर महिलाओं के पक्ष को विधि सम्मत तरीके से आंतरिक शिकायत समिति के कार्यवाहियों में रखने में उसकी मदद करें इसलिए बाहरी सदस्य से विधि की अपेक्षा होती है की वह आतंरिक शिकायत समिति के कार्यवाही प्रक्रिया ...

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